बंदियों के बंदी
जब से अर्थव्यवस्था को मुक्त किया गया है, पता ही नहीं चलता कहाँ क्या हो रहा है |पता नहीं, कब कौन सी कम्पनियाँ बना लेता है और कौन किस कंपनी में तालाबंदी करके सार्वजनिक बैंकों का पैसा लेकर लन्दन भाग जाता है |आजादी के समय ज़मीन की चकबंदी का चर्चा चला था |अपनी ज़मीन की बाड़बंदी, तारबंदी, हदबंदी भी होती ही आई है भले ही बाहुबली किसी भी बंदी को तोड़कर कुछ भी कर ले |अब देखिए ना,मध्य प्रदेश और पंजाब में जेलबंदी तोड़ी ही जा रही है | जब ख़रीदे हुए विधान सभा सदस्यों या सांसदों पर विश्वास नहीं होता तो उनकी बाड़ाबंदी की जाती है |इंदिरा जी के समय में नसबंदी चली थी |अब नोटबंदी चल रही है |मतलब लोकतंत्र में किसी न किसी 'बंदी' का बंदी तो आदमी को होना ही पड़ेगा |
पहले कभी हम किसी बंदी में इतने बंद नहीं हुए थे जितने इस नोटबंदी के बंदी हो गए हैं |समझ लीजिए घर में ही नज़रबंद चल रहे हैं |बैंक की लाइन में लगकर शहीद होने का मन नहीं है |कभी छोटामोटा सामान इधर-उधर अड़ोस-पड़ोस की दुकान से ले आया करते थे |उसमें भी हमारा दर्ज़ा उधारिये का हो गया है |वैसे हमने दुकानदार को, दूधवाले को, दवा वाले को, सब्ज़ी वाले को एडवांस चेक दे दिए हैं लेकिन जब तक पैसे हाथ में न आ जाएँ तब तक वे सब इसे उधार ही मान कर चल रहे हैं |
आजकल हम और तोताराम भी कुछ विशेष बात और चोंच लड़ाई नहीं करते | इसलिए चाय का कार्यक्रम कुछ जल्दी ही निबट जाता है | जैसे ही तोताराम उठने को हुआ एक स्थानीय नौसिखिया पत्रकार हमारे सामने प्रकट हुआ और बोला- मास्टर जी, आजकल हम अपने अखबार में नोटबंदी के बारे में लोगों की फोटो सहित प्रतिक्रिया छाप रहे हैं |आपकी नोटबंदी के बारे में क्या प्रतिक्रिया है ?
हमने कहा- बस, सर्दी बढ़ने लगी है इसलिए कहीं जाने का मन ही नहीं होता |मोदी जी के राज में मज़े कर रहे हैं |ले रहे हैं मुफ्त का विटामिन डी | वैसे लाइफ सर्टिफिकेट देने की तारीख़ भी तो बढ़ा दी है |हो आएँगे जब मन करेगा |
जब तोताराम का नंबर आया तो बोला- बहुत अच्छा कदम है |सभी बेकार के लोग कम से कम लाइनों में तो खड़े हैं |इसलिए बदमाशियाँ भी कुछ कम हो गई हैं | दो हजार के नोट छापने से एक हजार वाले की बजाय कागज़ कम लगेगा और रखने में भी कम जगह घेरेगा |
पत्रकार के जाने के बाद हमने कहा- तोताराम, आज तो तेरी बात कुछ जमी नहीं |यह नोटबंदी के समर्थन में बड़ा लचर तर्क है |
बोला- तूने कौनसा बोल्ड स्टेटमेंट दे दिया | वैसे मोदी जी ने नोटबंदी के बारे में स्मार्ट फोन पर राय भी तो माँगी थी जिसमें ९८ प्रतिशत लोगों ने उनका समर्थन किया था |जब ३१ प्रतिशत में सरकार बनाई जा सकती है तो ९८ प्रतिशत वोट मिलने पर तो नोटबंदी ही क्या, 'दस्त बंदी' से 'साँस बंदी' तक कुछ भी 'बंदी' की जा सकती है |ऐसे में और क्या कहा जाए ?अगर कुछ ज्यादा बोल दिया और बात ऊपर तक पहुँच गई तो मेरा नाम काले धन वालों में आ जाएगा और मेरा सातवें पे कमीशन का एरियर बंद कर दिया जाएगा |वैसे इस समय कोई दुःख, बीमारी और समस्या देश में नहीं है | बस, दो ही तरह के लोग हैं |जो दुखी दिख रहे हैं वे काले धन वाले हैं और जो शांतिपूर्वक लाइन में लगे हुए हैं वे नोटबंदी का समर्थन कर रहे हैं और ईमानदार हैं |
मोहल्ले में एक शादी है |जैसे ही तोताराम की बात ख़त्म हुई, माइक पर जोर से गाना शुरू हो गया- 'मोदी जी नै काले धन की वाट लगादी रै' |
और तोताराम जोर-जोर से कमर मटका-मटकाकर नाचने लगा |सुरक्षा की दृष्टि से ज़रूरी भी है |
जब से अर्थव्यवस्था को मुक्त किया गया है, पता ही नहीं चलता कहाँ क्या हो रहा है |पता नहीं, कब कौन सी कम्पनियाँ बना लेता है और कौन किस कंपनी में तालाबंदी करके सार्वजनिक बैंकों का पैसा लेकर लन्दन भाग जाता है |आजादी के समय ज़मीन की चकबंदी का चर्चा चला था |अपनी ज़मीन की बाड़बंदी, तारबंदी, हदबंदी भी होती ही आई है भले ही बाहुबली किसी भी बंदी को तोड़कर कुछ भी कर ले |अब देखिए ना,मध्य प्रदेश और पंजाब में जेलबंदी तोड़ी ही जा रही है | जब ख़रीदे हुए विधान सभा सदस्यों या सांसदों पर विश्वास नहीं होता तो उनकी बाड़ाबंदी की जाती है |इंदिरा जी के समय में नसबंदी चली थी |अब नोटबंदी चल रही है |मतलब लोकतंत्र में किसी न किसी 'बंदी' का बंदी तो आदमी को होना ही पड़ेगा |
पहले कभी हम किसी बंदी में इतने बंद नहीं हुए थे जितने इस नोटबंदी के बंदी हो गए हैं |समझ लीजिए घर में ही नज़रबंद चल रहे हैं |बैंक की लाइन में लगकर शहीद होने का मन नहीं है |कभी छोटामोटा सामान इधर-उधर अड़ोस-पड़ोस की दुकान से ले आया करते थे |उसमें भी हमारा दर्ज़ा उधारिये का हो गया है |वैसे हमने दुकानदार को, दूधवाले को, दवा वाले को, सब्ज़ी वाले को एडवांस चेक दे दिए हैं लेकिन जब तक पैसे हाथ में न आ जाएँ तब तक वे सब इसे उधार ही मान कर चल रहे हैं |
आजकल हम और तोताराम भी कुछ विशेष बात और चोंच लड़ाई नहीं करते | इसलिए चाय का कार्यक्रम कुछ जल्दी ही निबट जाता है | जैसे ही तोताराम उठने को हुआ एक स्थानीय नौसिखिया पत्रकार हमारे सामने प्रकट हुआ और बोला- मास्टर जी, आजकल हम अपने अखबार में नोटबंदी के बारे में लोगों की फोटो सहित प्रतिक्रिया छाप रहे हैं |आपकी नोटबंदी के बारे में क्या प्रतिक्रिया है ?
हमने कहा- बस, सर्दी बढ़ने लगी है इसलिए कहीं जाने का मन ही नहीं होता |मोदी जी के राज में मज़े कर रहे हैं |ले रहे हैं मुफ्त का विटामिन डी | वैसे लाइफ सर्टिफिकेट देने की तारीख़ भी तो बढ़ा दी है |हो आएँगे जब मन करेगा |
जब तोताराम का नंबर आया तो बोला- बहुत अच्छा कदम है |सभी बेकार के लोग कम से कम लाइनों में तो खड़े हैं |इसलिए बदमाशियाँ भी कुछ कम हो गई हैं | दो हजार के नोट छापने से एक हजार वाले की बजाय कागज़ कम लगेगा और रखने में भी कम जगह घेरेगा |
पत्रकार के जाने के बाद हमने कहा- तोताराम, आज तो तेरी बात कुछ जमी नहीं |यह नोटबंदी के समर्थन में बड़ा लचर तर्क है |
बोला- तूने कौनसा बोल्ड स्टेटमेंट दे दिया | वैसे मोदी जी ने नोटबंदी के बारे में स्मार्ट फोन पर राय भी तो माँगी थी जिसमें ९८ प्रतिशत लोगों ने उनका समर्थन किया था |जब ३१ प्रतिशत में सरकार बनाई जा सकती है तो ९८ प्रतिशत वोट मिलने पर तो नोटबंदी ही क्या, 'दस्त बंदी' से 'साँस बंदी' तक कुछ भी 'बंदी' की जा सकती है |ऐसे में और क्या कहा जाए ?अगर कुछ ज्यादा बोल दिया और बात ऊपर तक पहुँच गई तो मेरा नाम काले धन वालों में आ जाएगा और मेरा सातवें पे कमीशन का एरियर बंद कर दिया जाएगा |वैसे इस समय कोई दुःख, बीमारी और समस्या देश में नहीं है | बस, दो ही तरह के लोग हैं |जो दुखी दिख रहे हैं वे काले धन वाले हैं और जो शांतिपूर्वक लाइन में लगे हुए हैं वे नोटबंदी का समर्थन कर रहे हैं और ईमानदार हैं |
मोहल्ले में एक शादी है |जैसे ही तोताराम की बात ख़त्म हुई, माइक पर जोर से गाना शुरू हो गया- 'मोदी जी नै काले धन की वाट लगादी रै' |
और तोताराम जोर-जोर से कमर मटका-मटकाकर नाचने लगा |सुरक्षा की दृष्टि से ज़रूरी भी है |
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