ऐसे नहीं चलेगा, रमेश जी भाई साहब
आज आते ही तोताराम ने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए जैसे कि पार्टी का कोई अनुशासित सिपाही आत्मा की आवाज़ पर किसी दूसरी पार्टी में जाने से पहले कहा करता है- ऐसे नहीं चलेगा, रमेश जी भाई साहब |
हमने कहा- तोताराम, क्या नहीं चलेगा ? आतंकवादियों, कालेधन वालों और रिश्वतखोरों की कमर तोड़ने के लिए नरेन्द्र भाई ने जो कदम उठाया है वह तो बड़े मज़े से चल रहा है |देखा नहीं, शादियों में 'आज मेरे यार की शादी है ' वाले पारंपरिक कमर तोड़ने वाले गीत की जगह 'मोदीजी नै काळै धन की वाट लगा दी रै ' गा-गाकर लोग कमर तुड़वाए जा रहे हैं | इससे ज्यादा सुखद परिणति किसी क्रांतिकारी कदम की और क्या हो सकती है ?
बोला- मेरी भाषा से अपनी पार्टी वाली लाइन मत पकड़ |मैं तुझे पश्चिम वालों की बदमाशी के बारे में बताना चाहता हूँ | अब उनकी यह बदमाशी नहीं चलने वाली है | ज़रूरत हुई तो मैं अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में भी जाऊँगा | द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद गाँधी जी को नोबल देते-देते चर्चिल को दे दिया |फिर अटल जी को देते-देते रुक गए |पिछली बार मोदी जी को 'पर्सन ऑफ़ द ईयर का अवार्ड देते-देते अन्गिला मर्केल को दे दिया |और इस साल फिर मोदी जी को देते-देते ट्रंप को दे दिया |यह तो वैसे ही हुआ जैसे कोई बच्चा किसी बच्चे को देने के लिए टॉफी आगे बढ़ाए और जब वह पास में आए तो 'गप' से अपने मुँह में डाल ले |
हमने कहा- तोताराम, यह हम सबको समझ लेना चाहिए कि ये पश्चिम वाले कभी पुरस्कारों, कभी सम्मानों और कभी सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता का लालच दिखा-दिखा कर कभी हमें प्लेन बेच जाते हैं, कभी परमाणु रिएक्टर का सौदा पटा ले जाते हैं और करते-कराते कुछ नहीं |
बोला- इसमें एक और बड़ी बदमाशी है |देख, जैसे ही ओबामा राष्ट्रपति चुने गए तो ऐन वक्त पर भागते-भागते उनका लास्ट डेट पर नोमिनेशन करवा दिया |और अब जब साल के २२ दिन बाक़ी हैं तभी २०१६ का 'पर्सन ऑफ़ द ईयर' का सम्मान डिक्लेयर कर दिया |इतने दिन में क्या कोई चमत्कारिक काम नहीं किया जा सकता ?
हमने कहा- जैसे ?
बोला- मैं नवम्बर में चार बार-बार लाइन में लगकर अपने खाते में से दस हजार रुपए निकाल लाया |अब तीन चक्कर लगाकर अपनी पूरी पेंशन निकाल लाया और तुम्हारे सामने जिंदा खड़ा हूँ क्या यह 'पर्सन ऑफ़ द ईयर' के सम्मान के लायक काम नहीं है ?
हमने कहा- तोताराम, यह ठीक है कि तुमने वास्तव में वीरों वाला काम किया है जिसके लिए किसी ने तुम्हें सम्मानित नहीं किया इसके लिए हम भारत देश और टाइम मैगजीन की तरह से क्षमाप्रर्थी हैं |पर हम मात्र तुझे यह सम्मान न मिलने के कारण दुखी नहीं हैं |हम इसलिए भी दुखी हैं कि ट्रंप मुसलमानों को अमरीका से भगाने के नाम पर जीते हैं |अब हम तो मोदी जी की ओर से चिन्तित हैं |पिछली बार यदि उन्हें 'पर्सन ऑफ़ द ईयर' का सम्मान दे दिया जाता तो शायद शांति से बैठे रहते |लेकिन नहीं मिला तो यह नोट बंदी वाला नाटक कर बैठे |अब पता नहीं, इस सम्मान के लिए कहीं जनवरी २०१७ में हिमालय को दक्षिण भारत में शिफ्ट करने का काम शुरू न कर दें |
आज आते ही तोताराम ने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए जैसे कि पार्टी का कोई अनुशासित सिपाही आत्मा की आवाज़ पर किसी दूसरी पार्टी में जाने से पहले कहा करता है- ऐसे नहीं चलेगा, रमेश जी भाई साहब |
हमने कहा- तोताराम, क्या नहीं चलेगा ? आतंकवादियों, कालेधन वालों और रिश्वतखोरों की कमर तोड़ने के लिए नरेन्द्र भाई ने जो कदम उठाया है वह तो बड़े मज़े से चल रहा है |देखा नहीं, शादियों में 'आज मेरे यार की शादी है ' वाले पारंपरिक कमर तोड़ने वाले गीत की जगह 'मोदीजी नै काळै धन की वाट लगा दी रै ' गा-गाकर लोग कमर तुड़वाए जा रहे हैं | इससे ज्यादा सुखद परिणति किसी क्रांतिकारी कदम की और क्या हो सकती है ?
बोला- मेरी भाषा से अपनी पार्टी वाली लाइन मत पकड़ |मैं तुझे पश्चिम वालों की बदमाशी के बारे में बताना चाहता हूँ | अब उनकी यह बदमाशी नहीं चलने वाली है | ज़रूरत हुई तो मैं अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में भी जाऊँगा | द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद गाँधी जी को नोबल देते-देते चर्चिल को दे दिया |फिर अटल जी को देते-देते रुक गए |पिछली बार मोदी जी को 'पर्सन ऑफ़ द ईयर का अवार्ड देते-देते अन्गिला मर्केल को दे दिया |और इस साल फिर मोदी जी को देते-देते ट्रंप को दे दिया |यह तो वैसे ही हुआ जैसे कोई बच्चा किसी बच्चे को देने के लिए टॉफी आगे बढ़ाए और जब वह पास में आए तो 'गप' से अपने मुँह में डाल ले |
हमने कहा- तोताराम, यह हम सबको समझ लेना चाहिए कि ये पश्चिम वाले कभी पुरस्कारों, कभी सम्मानों और कभी सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता का लालच दिखा-दिखा कर कभी हमें प्लेन बेच जाते हैं, कभी परमाणु रिएक्टर का सौदा पटा ले जाते हैं और करते-कराते कुछ नहीं |
बोला- इसमें एक और बड़ी बदमाशी है |देख, जैसे ही ओबामा राष्ट्रपति चुने गए तो ऐन वक्त पर भागते-भागते उनका लास्ट डेट पर नोमिनेशन करवा दिया |और अब जब साल के २२ दिन बाक़ी हैं तभी २०१६ का 'पर्सन ऑफ़ द ईयर' का सम्मान डिक्लेयर कर दिया |इतने दिन में क्या कोई चमत्कारिक काम नहीं किया जा सकता ?
हमने कहा- जैसे ?
बोला- मैं नवम्बर में चार बार-बार लाइन में लगकर अपने खाते में से दस हजार रुपए निकाल लाया |अब तीन चक्कर लगाकर अपनी पूरी पेंशन निकाल लाया और तुम्हारे सामने जिंदा खड़ा हूँ क्या यह 'पर्सन ऑफ़ द ईयर' के सम्मान के लायक काम नहीं है ?
हमने कहा- तोताराम, यह ठीक है कि तुमने वास्तव में वीरों वाला काम किया है जिसके लिए किसी ने तुम्हें सम्मानित नहीं किया इसके लिए हम भारत देश और टाइम मैगजीन की तरह से क्षमाप्रर्थी हैं |पर हम मात्र तुझे यह सम्मान न मिलने के कारण दुखी नहीं हैं |हम इसलिए भी दुखी हैं कि ट्रंप मुसलमानों को अमरीका से भगाने के नाम पर जीते हैं |अब हम तो मोदी जी की ओर से चिन्तित हैं |पिछली बार यदि उन्हें 'पर्सन ऑफ़ द ईयर' का सम्मान दे दिया जाता तो शायद शांति से बैठे रहते |लेकिन नहीं मिला तो यह नोट बंदी वाला नाटक कर बैठे |अब पता नहीं, इस सम्मान के लिए कहीं जनवरी २०१७ में हिमालय को दक्षिण भारत में शिफ्ट करने का काम शुरू न कर दें |
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