Apr 19, 2020

चलो, मास्क बनाते हैं



चलो, मास्क बनाते हैं 

 
सेलेब्रिटी का हगना-मूतना तक समाचार होता है |वे कपड़े पहनें तो समाचार और न पहनें तो और बड़ा समाचार |ऐसे में उनका अन्त्याक्षरी खेलना समाचार कैसे नहीं होता ? राष्ट्रहित के इस पुण्य-कार्य में स्मृति ईरानी, करण जौहर, एकता कपूर, प्रियंका चोपड़ा आदि ने भाग लिया |करण जौहर ने कोरोना के मुख्य परहेज के विरुद्ध पंक्तियाँ पढीं- लग जा गले ......|अच्छा हुआ जो किसी ने इसका अनुसरण करते हुए नियमों का उल्लंघन नहीं किया |प्रियंका चोपड़ा ने भूल सुधार करते हुए गाया- बच के रहना रे बाबा | अच्छा है सोशियल डिस्टेंसिंग |वैसे वे अपने ट्विटर-भक्तों के लिए निक के साथ अपने बड़े अन्तरंग फोटो डालती रहती हैं |सेलेब्रिटी का ट्विटर पर भी तो करोड़ों का धंधा है |


रोचक लोगों की रोचकता के बावजूद हम इस अन्त्याक्षरी के सहमत नहीं हैं |जब तक ड,ण, ढ, झ, थ आदि पर लाकर बार-बार छोड़कर विपक्षी की टांग न खींची जाए तब तक अन्त्याक्षरी-कबड्डी का मज़ा ही क्या ? यह क्या, कुछ भी गा दो | हमें यह बड़ा बचकाना लगा | हमें और तोताराम को अन्त्याक्षरी से बेहतर मास्क बनाना लगा | 

हमने अपनी १९६७ में खरीदी, 'उषा' की 'टेलर मॉडल' की मशीन को झाड़-पोंछकर तेल दिया | हमारी मशीन की जगह कोई राजनीतिक पार्टी होती तो उसका स्वर्ण जयंती समारोह पूरे साल भर चलता | १९५३-५४ में सीखी सिलाई की कला को पुनर्जीवित करने के लिए जमकर बैठ गए |जहाँ तक मशीन के 'उषा' के 'टेलर मॉडल' होने की बात है तो बस नाम-नाम है |समझिए, मुखौटा भर है |सभी अंग-प्रत्यंग लोकल और डुप्लीकेट हैं |वैसे ही जैसे भाजपा, कांग्रेस सभी ने सत्ता के गटर में उतरने के लिए ऐसे-ऐसे नीचों, बदमाशों और लम्पटों का सहारा लिया कि खुद का जैसा भी चरित्र था, बदल गया |फिर भी सिलाई मशीन तो है ही | हमें कौन किसी बड़े नेता का शपथ-ग्रहण के लिए कुरता-पायजामा सिलना है |मास्क ही तो सिलना है |वैसे मास्क का अनुवाद मुखौटा होता है लेकिन इस शब्द से जनसेवकों की इमेज खराब करने का आरोप लग सकता है |वैसे असलियत से सभी परिचित हैं |चुनावी रैली में मोदी जी का मुखौटा लगाकर जाने वाले मोदी जी नहीं हो जाते |सिर में मोरपंख खोंस लेने से क्या कोई योगिराज कृष्ण थोड़े ही हो जाता है या जैसे साबरमती आश्रम में गाँधी जी का चरखा चलाने से ट्रंप गाँधी जी नहीं बन जाते |
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बरामदे में दरी बिछा दी गई |एक स्टूल पर गुलदस्ता सजाया गया | पृष्ठभूमि में मोदी जी का फोटो टांग दिया गया |बगल में धोती से मास्क के साइज़ में काटे हुए कपड़े के टुकड़े |चार-चार फुट की दूरी पर गोले बनाकर बैठे हुए तोताराम, मैना तथा हमारी पत्नी |  जब सब सेटिंग हो गई तो हमने पोतियों को आवाज़ दी- चलो बच्चो, कोरोना के विरुद्ध भारत को विजयी बनाने के लिए, कोरोना विषाणु को निष्प्रभावी बनाने के लिए मास्क बनाते हैं |

दोनों पोतियाँ आईं |हमने छोटी को वीडियो बनाने के लिए आदेश दिया तो बोली- बाबा, अब उसकी कोई ज़रूरत नहीं है |देखो, यह फोटो |

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आपकी तरह स्मृति ईरानी ने भी अन्त्याक्षरी छोड़कर हाथ से सीकर ही मास्क बनाना शुरू कर दिया था लेकिन अब खबरों में आने वाला यह ट्रेंड पुराना हो गया है |

हमने पूछा- क्या अब भारत से कोरोना का सफाया हो गया ? लगता है, मोदी जी की थाली, ताली बजाने और दीये जलाने की तकनीक काम कर गई | कोरोना सोचकर तो आया होगा कि भारत को परेशान कर दूँगा लेकिन यहाँ आकर जब उसने देखा कि घर-घर में उत्सव, द्वीप-प्रज्जवलन, अन्त्याक्षरी और मौज-मस्ती हो रही है तो बेचारा शर्म के मारे ही मर गया होगा | 

पोतियाँ बोलीं- ज्यादा जोश में मत आओ |यह तो टेस्टिंग नहीं हो रही है इसलिए संख्या कम है | सबकी टेस्टिंग हो तो पता चले | लेकिन वह होना नहीं | फ़िलहाल तो मोदी जी ने कहा है कि अपने यहाँ जो गमछा है वह सबसे बढ़िया मास्क है |स्वास्थ्य कर्मियों के अतिरिक्त सबका काम गमछे से चल सकता है |इसलिए गमछा अपनाइए, उसे मास्क  बनाइए और कोरोना को भगाइए |

यदि हाथ के बने मास्क पहनने का ज्यादा ही शौक है तो स्मृति जी को लिख दो |उनके पास रखे होंगे |







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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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