Aug 30, 2022

गुरुर्ब्रह्मा बनाम राज का कुत्ता

गुरुर्ब्रह्मा बनाम राज का कुत्ता 



एक लम्बी निःश्वास छोड़ते हुए तोताराम ने कहा- मास्टर, अब और क्या बाक़ी रह गया ?

हमने कहा- 

अभी आए, अभी बैठे अभी दामन संभाला है 

तुम्हारी जाऊं जाऊं ने  हमारा दम  निकाला है 

बोला- यह सच है कि परेशान हूँ लेकिन जब आडवाणी जी को देखता हूँ तो सोचता हूँ उनकी भारतरत्न की प्रतीक्षा की तरह सौ साल में दुगुनी हो जाने वाली पेंशन तक रुकूँ। जब तीस्ता को ज़किया का केस लड़ने के अपराध में  गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद हिमांशु पर आदिवासियों को न्याय दिलाने के दंडस्वरूप पांच लाख का जुर्माना लगाया गया तो लगा कि समय खराब है. जल्दी चल दें तो ठीक रहेगा। फिर जब मोदी जी का  १५ अगस्त २०२२ के अमृत महोत्सव वाला 'संकल्प २०४७' और महिला अस्मिता वाला प्रेरक भाषण सुना तो कम से कम २०४७ तक रुकने का इरादा पक्का हुआ. फिर जब उसी दिन बिलकिस बानो के नृशंस बलात्कारियों की सजा माफ़ की गई और १६ अगस्त को उन्हें छोड़ दिया गया. उसके बाद जिस तरह से उनका फूल मालाओं, तिलक और मिठाइयों से स्वागत हुआ उसे देखने पर लगा कि अभी इस  दुनिया को छोड़ दूँ.  

कुल मिलाकर मेरी हालत तो 'श्रीमान फंटूश' जैसी हो रही है-

 वो झरोखे से जो झांकें 

तो इतना पूछूं कि  

मैं रुकूँ या चला जाऊं ?

मोदी जी कुछ कहें तो. 

हमने कहा-  तोताराम, निराश न हो. मोदी जी के कन्धों पर दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश का समस्त भार है. कोई भी इतना काबिल नज़र नहीं आता जो उनका थोड़ा सा भी भार हल्का कर सके. और अब तो शीघ्र ही यह देश जनसंख्या में नंबर वन होने वाला है. ऊपर से दुनिया के सभी देश मार्गदर्शन के लिए उनकी तरफ ही  देखते हैं. वे समय मिलते ही ज़रूर तुझे परेशान करने वाली समस्याओं की तरफ भी ध्यान देंगे। लोगों को लगता था कि मोदी जी किसानों की नहीं सुन रहे हैं लेकिन जैसे ही उन्हें समय मिला तत्काल तीनों कानूनों को वापिस ले लिया कि नहीं। लोगों को लगता था कि प्रज्ञा ठाकुर द्वारा नाथूराम गोडसे को सच्चा देशभक्त बताकर इशारे से गाँधी का अपमान करने को मोदी जी का मौन समर्थन है लेकिन जैसे ही फुर्सत मिली मोदी जी ने कठोरतापूर्वक कह दिया- मैं दिल से माफ़ नहीं कर सकता।और क्या चाहिए। थोड़ा इंतज़ार कर और २०४७ तक रुकने का कार्यक्रम बना.  

वैसे बता आज की तेरी विशेष परेशानी क्या है ? 

बोला- राष्ट्र निर्माताओं का अभिनन्दन। 

हमने कहा- अभी तो ५ सितम्बर दूर है. मोदी जी गुरुओं का भी सफाई कर्मचारियों की तरह किसी दिन चरण धोकर सम्मान करेंगे। लेकिन जिसके बारे में संकेत रहा है वह क्या मामला है ? 


बोला- मुजफ्फरपुर, बिहार में बिहार टीचर्स एंट्रेंस टेस्ट (बी.टी.ई.टी. ) के अभ्यर्थियों का ए. डी.एम. केके सिंह ने अभिनन्दन कर दिया। वैसे तो पुलिस अपने स्तर और क्षमता के अनुसार भावी गुरुओं का अभिनन्दन कर ही रही थी लेकिन सिंह  जी को इससे संतोष नहीं हुआ और वे एक पुलिस मैन का दंड लेकर गुरुओं का अभिनन्दन करने के लिए स्वयं पिल पड़े. 

हमने कहा- डिफेंस की नौकरी ही नहीं, सरकार की तरफ से जो भी थोड़ी बहुत जन कल्याण की संभावनाएं बची हैं वे सब 'अग्निपथ' हो गई हैं.  हम तो पार उतर गए, बिना डंडे खाये, बिना अभिनन्दित हुए ही निभ गई लेकिन अब तो सब सामान्य और मेहनतकशों को इसी अग्निपथ से गुजरना पड़ेगा। 

और फिर इसमें पुलिस और ए.डी.एम. कोई भी दोषी नहीं है. ये सब 'राज के कुत्ते' होते हैं.  

बोला- तेरे इस स्टेटमेंट पर यदि किसी की भावना आहत हो गई तो तुझे जेल में सड़ा दिया जाएगा। तू कौनसा बिलकिस बानो के बलात्कारियों की तरह संस्कारी ब्राह्मण है. पुलिस और अन्य बड़े-बड़े अधिकारी संविधान के तहत सुशासन की स्थापना करने वाले होते हैं. इन्हें कुत्ता कैसे कह रहा है ? हम ही तो सरकारी कर्मचारी रहे हैं. 

हमने कहा- हमारी बात और थी. जो पाठ्यपुस्तक आ गई, बच्चों को पढ़ा देते थे. सौभाग्य से हमारे समय में ये विवाद नहीं थे. अब तो यदि सरकार कहेगी कि हल्दीघाटी की लड़ाई में ज्ञानदेव आहूजा जीता था तो तुझे वही पढ़ाना  पड़ेगा। कल को गोडसे को भारतरत्न दे दिया और उसे महान देशभक्त लिखा जाने लगा तो अन्यथा उत्तर देने वाला तो फेल हो जाएगा। मास्टरों को भी वही पढ़ाना पड़ेगा। 

पुलिस अधिकारियों को भी  संविधान, कानून और नियम नहीं बल्कि जो सरकार कहती है वही करना पड़ता है क्योंकि उसका प्रमोशन, ट्रांसफर आदि सब सरकार में बैठे लोग करते हैं.इसलिए संविधान के पक्ष में बहुत कम लोग खड़े हो पाते हैं. 

और 'राज के कुत्ते' तो अकबर बीरबल की कहानी है. हम थोड़े ही कह रहे  हैं.  इस कहानी में बीरबल ने ' राज के कुत्ते' उन सरकारी कर्मचारियों को कहा है जो उसके मित्र थे और बादशाह के कहने पर बिना किसी अपराध के ही बीरबल को घसीटते, अपमानित करते हुए दरबार में ले गए.  इस कहानी का एक और नाम भी है- असल से कमसल, कमसल से असल, राजा के कुत्ते और गधी का गधा.



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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