Aug 24, 2022

झंडा दिखाई नहीं दे रहा


झंडा दिखाई नहीं दे रहा


वैसे तो पोती देर उठती है लेकिन आज हमारे साथ ही उठ गई. जैसे ही अपनी ‘पेट’ कूरो को घुमाकर लाये, पोती ने कहा- बाबा, दूध बाद में ले आना, पहले झंडा लगा देते हैं.

 हमने कहा- डंडा कहाँ है ? आज बाज़ार से लाएंगे। बिना डंडे के झंडा कैसे फहरेगा. डंडा हो तो बिना झंडे के भी आदमी का रुतबा बढ़ जाता है।  

बोली- एक प्लास्टिक का पक्के वाला पाइप मिल गया है कोई तीन फुट का है. उसीमें फिट करके पानी की टंकी पर लगा देंगे.

हमने कहा- लेकिन आदेश तो १३ से १५ अगस्त तक झंडा फहराने का है. आज तो १२ अगस्त ही है.

बोली- इसमें किसी के आदेश की कोई बात नहीं है. अब तो कोई भी, कभी भी, अपने घर पर तिरंगा फहरा सकता है. शाम को उतारने का झंझट भी नहीं. एक दिन एक्स्ट्रा फहराने में क्या नुकसान है.

किसी तरह एक पुराना गमछा फाड़कर उसकी रस्सी से टंकी की पाइप से तीन फुट की प्लास्टिक की पाइप बांधकर तिरंगा फहरा दिया.

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा.

फिर नीचे आकर देखा। हवा चल रही थी और तिरंगा फहरा रहा था.

हम भूल गए कि हमने इसे किसी के एजेंडे के तहत फहराया है. यह भी भूल गए कि यह तिरंगा तिरंगे के स्थापित कोड के अनुसार नहीं है. बस,अच्छा लग रहा था. बार-बार उधर ही निगाह जा रही थी. लगा जैसे कोई हमारी रखवाली कर रहा है. आकाश में किसी ड्रोन की तरह. आज समझ में आया कि हिमालय की तरह तिरंगा भी हमारा संतरी और पासबाँ है.

झंडा फहराने के बाद जैसे ही बाहर बरामदे में आये तो देखा कि तोताराम सड़क पर खड़ा अपने मोबाइल को हमारी छत  की तरफ करके फोटो ले रहा है. हमें देखकर बोला- ठीक कर, फोटो में झंडा नहीं आ रहा है.

हमने कहा- तो क्या फ़र्क़ पड़ता है. अंदर आकर देख ले.

बोला- अंदर आकर मुझे और तुझे दीखने से क्या होता है. फोटो में भी तो आना चाहिए. उसके बिना क्या प्रूफ है कि तूने झंडा फहराया है ?

हमने कहा- हमें किसी को क्या प्रमाण देना है. हमारा देश, हमारा झंडा। फहरा लिया. फोटो लेकर क्या करना है ?

बोला- फोटो लेकर उत्तराखंड के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को भेजना है. उन्होंने कहा है कि मुझे उस घर का फोटो लेकर भेजें जिस पर तिरंगा नहीं लगा है. बाहर से तेरे घर का फोटो लेने पर तिरंगा दिखाई नहीं दे रहा है. कोई तेरे घर का तिरंगा न दिखता हुआ फोटो लेकर भेज देगा तो तेरा नाम वे देशद्रोहियों की लिस्ट में डाल देंगे। उसके बाद न तो जमानत होगी और न ही दो-पांच साल सुनवाई. स्टेस स्वामी की तरह हिरासत से सीधा ही हैवेन में पहुँच जाएगा.

हमें गुस्सा आ गया, हमने कहा- हमारे दस साल मास्टरी करने, बीसों बार झंडा फहराने और प्रभात फेरी निकालने के बाद पैदा हुआ कल का छोकरा हमसे तिरंगे के साथ देशभक्ति का प्रमाण मांग रहा है. लानत है. कोई ज़रूरत नहीं है किसी को फोटो भेजने की, किसी को तिरंगे के साथ सेल्फी भेजने की. कर ले जिसे जो करना है. अस्सी के हो रहे हैं. हो ले, जो होना है सो.

तोताराम बोला- भाई साहब, गुस्सा थूकें. ये सब पार्टियों के चुनावी नाटक हैं. कोई दूध का धुला नहीं. सब की दाढ़ियों में तिनके ही क्या, झाड़ू हैं. फोटो लेने में क्या है. अपन ही देखे-दिखाएँगे. झंडे के साथ अच्छा लगेगा.

जा, खड़ा हो जा, टंकी के पास;  भाभी और शुभम के साथ.

टेक्नोलॉजी भी है तो कमाल की चीज.  तोताराम ने फोटो लिया और उसी समय दिखा भी दिया. बहुत अच्छा लग रहा था.  

  


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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