Aug 19, 2022

झंडा लाया कि नहीं ?



झंडा लाया कि  नहीं ?



तोताराम ने आते ही प्रश्न किया- झंडा लाया कि  नहीं ?


हमने कहा- गए तो थे खादी भण्डार लेकिन झंडे ख़त्म हो गए थे. खादी भण्डार वाला कह रहा था,आये तो हर साल जितने थे लेकिन इस साल मांग कुछ ज़्यादा है इसलिए पूरे नहीं पड़ रहे. 


बोला- झंडे कम तो पड़ेंगे ही. आज तक कोई इतना बड़ा देशभक्त हुआ ही नहीं जो तिरंगे को इतना सम्मान दे, ‘हर घर तिरंगा’ जैसा बड़ा कार्यक्रम सोच भी सके. वास्तव में मोदी जी बड़ा सोचते हैं. हर काम में वर्ल्ड रिकार्ड। अमरीका के टेक्सास राज्य की तरह- एवरीथिंग इज बिग इन टेक्सास. मोदी जी से पहले सब बस, पद के मजे लेकर चलते बने लेकिन मोदी जी काल के कपाल पर कुछ लेख लिखकर जाएंगे. 


हमने कहा- तो जब मोदी जी पहली बार २०१४ में प्रधानमंत्री बने थे तभी से तिरंगे बनवाना शुरू कर देते तो अब तक सही तरीके से २० करोड़ तिरंगे बन जाते। राष्ट्र ध्वज बनाने का मामला है. कोई चुनावी रैली के लिए झंडियां बनाने जैसा थोक और ठेके का काम थोड़े ही है. तिरंगा बनाने का काम बहुत जिम्मेदारी और श्रद्धा का काम है. एक पूजा ही समझो. 


बोला- तो क्या हुआ ? अब बन जाएंगे। रिलायंस के होते कौन पोलिस्टर की कमी है. सूरत के कई लोगों को ठेके दे तो दिए हैं. और कमी पड़ेगी तो चीन को ऑर्डर दे देंगे। जब चीन पटेल और शिवाजी की मूर्ति बना सकता है तो पोलिस्टर के झंडे बनाना कौन बड़ी बात है. अमरीका के झंडे भी तो चीन ही बनाता है. 


हमने कहा- लेकिन पोलिस्टर के झंडे में वह अनुभूति नहीं आती. मोदी जी तो खादी का महत्त्व जानते हैं. साबरमती आश्रम में खुद भी चरखा चलाया है, अपने मित्रों से भी चलवाया है. खादी-ग्रामोद्योग के कलेण्डर पर उनका फोटो भी तो छपा था. ऐसे में यह पोलिस्टर का झंडा लगवाकर बिना बात तिरंगे, खादी और स्वदेशी की आत्मा का हनन क्यों कर रहे हैं ?


बोला- क्या किया जाए मौका ही ऐसा आ गया. एक तो आज़ादी के ७५ वर्ष पूरे हुए हैं तो कुछ नया और बड़ा करना ज़रूरी था. और फिर २०१५ में लोगों को २०२२ तक सभी बेघरबार भारतीयों को पक्के घर बनाकर देने का कार्यक्रम भी तो था. पक्का घर,घर में गैस-कनेक्शन,एल ई डी बल्ब, हर घर में नल, नल में जल, जल से कीचड़, कीचड़ में कमल, कमल पर लक्ष्मी, जहां लक्ष्मी वहाँ दिवाली. अब जब घर हो तो देश के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन के लिए घर पर तिरंगा भी तो होना चाहिए. 




 


हमने कहा- लेकिन घर तो तय से आधे भी नहीं बने.  


बोला- फिर भी लोगों को तिरंगा हाथ में लेकर तैयार तो रहना चाहिए। पता नहीं, बिहार में एक सप्ताह में कई लाख शौचालय की तरह कब करोड़ों घर तैयार हो जाएँ.  


हमने कहा- कोई बात नहीं हम तो देश के पहले ध्वजारोहण से लेकर अब तक झंडे को सलामी देते ही रहे हैं, इस बार खाड़ी का झंडा न मिल पाने के कारण झंडा घर पर लगाने की बजाय मंडी में जाकर कार्यक्रम में शामिल हो जाएंगे. 


बोला- नहीं. यह मोदी जी का मेगा प्रोजेक्ट है. इसमें कोताही नहीं चलेगी. मोदी जी को तिरंगा फहराने का प्रमाण भी भेजना है जिससे तय हो सके कि देश में कितने देशभक्त हैं. वैसे ही जैसे चुनाव में वोट डालने के बाद अमिट स्याही लगी अंगुली के साथ सेल्फी लेकर उन्हें भेजने से लोकतंत्र सुरक्षित हो गया या 'सेल्फी विद डॉटर' के बाद बेटियां सुरक्षित हो गईं.  


हमने कहा- हमें तो लगता है यह देशभक्तों की नहीं बल्कि अपने अंधभक्तों की गिनती करने का कार्यक्रम है. मोदी जी को पता है कि ताली-थाली से कोई कोरोना नहीं भागता है. यह तो चेक करना था कि जनता कितनी आज्ञाकारी हो चुकी है. वैसे ही जैसे करवा चौथ का पति की आयु से कोई संबंध नहीं है बल्कि उसकी पति के प्रति गुलामी का टेस्ट है.

 

और तोताराम, एक मज़े की बात कि थाली बजाते हुए सभी बड़े-बड़े लोगों के फोटो देखे लेकिन मोदी जी का खुद का कोई फोटो कभी देखने को नहीं मिला. 


बोला- फिर भी सलाम के लिए मियाँ को क्यों नाराज़ किया जाए. बिना बात क्यों ई.डी. वालों को निमंत्रण देने का काम करता है. संजय राउत की तरह फांस लेंगे तो ‘सामना’ करने की सारी सामनागीरी निकल जायेगी. 


 



पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment