Jun 11, 2024

मणिपुर विवाद की प्राथमिकता


मणिपुर विवाद की प्राथमिकता 

आज तोताराम ने आते ही बड़ी गंभीर मुद्रा में आसन ग्रहण करते ही आदेशात्मक अंदाज में कहा- मणिपुर विवाद को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाना चाहिए । 
हमने पूछा- क्या मोदी जी ने 400 पार की जगह 200 पार करके, नेहरू जी का रिकार्ड तोड़ते हुए अपने तीसरे कार्यकाल के लिए तुझे देश का गृहमंत्री बना दिया जो मणिपुर की समस्या को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाने का निर्णय सुना रहा है । 
बोला- मोदी जी भारत ही क्या, विश्व के निर्विवाद नेता हैं .  वे चाहें तो बिना कोई चुनाव जीते हुए या चुनाव हारे हुए व्यक्ति को भी मंत्री बना सकते हैं फिर अमित शाह तो रिकार्ड मतों से जीते हुए, पटेल से भी श्रेष्ठ गृहमंत्री हैं . उनका तो कोई विकल्प ही नहीं है . उनका मामला भी मोदी जी की तरह ‘मोदी नहीं तो कौन’  की तरह है ‘शाह नहीं तो कौन’  . जिस कुशलता से उन्होंने देश में विभिन्न जाति-धर्म के समुदायों के बीच सद्भाव बढ़ाने और बनाये रखने का काम किया है वह किसी और के बस का नहीं है . सारे देश में सुख शांति है . सब सुरक्षित हैं . कहीं कोई अव्यवस्था नहीं है . अमित जी को छोड़कर मुझे गृहमंत्री कैसे बना सकते हैं ?
हमने पूछा- जब तू गृहमंत्री नहीं है तो शांति से बैठ . और फिर मणिपुर की समस्या मोदी जी ने जुलाई 2023 में संसद के बाहर संसद परिसर में 36 सेकण्ड का वक्तव्य देकर सुलझा तो दी थी. अब क्या कोई नई समस्या आ गई मणिपुर में ? 
बोला- समस्या तो वही मार्च 2023 वाली ही है, मणिपुर की ही है लेकिन इस बार मोदी जी और शाह साहब का कोई प्रसंग-सन्दर्भ नहीं है . इस बार तो  सरसंघ संचालक आदरणीय श्री मोहन भागवत का बयान आया है- कि मणिपुर विवाद को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाना चाहिए . 
हमने  कहा-लेकिन मणिपुर का मामला तो एक साल से ही ज़्यादा पुराना है . भागवत जी को अब अचानक से यह कैसे याद आया ? लगता है  400 पार की जगह 200 पार रह जाने से और आगे 100 पार ही रह जाने की आशंका से यह ख़याल आया हो . 
बोला- अब वह बात नहीं रही . अब सब तरह से मैनेज करना आ गया है . भगवान् केयर फंड की केयर करता रहे और एलेक्ट्रोल बांड बिकते रहें, सरकार बनाने के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं रहेगी . और संसाधन होने पर क्या नहीं हो सकता और फिर ईडी और केंचुआ तो हैं ही . लेकिन भागवत जी राजनीति नहीं करते . उन्हें तो इस देश की अखंडता और सद्भावना की चिंता है . 
हमने कहा- लेकिन इतने दिन बोले क्यों नहीं ?







बोला- क्या तेरी तरह उनका जीवन बरामदे में बैठकर चाय पीने और बकवास करने तक सीमित है जो हर छोटी मोटी बात को रगड़ते रहेंगे . मंदिर शिलान्यास, प्राणप्रतिष्ठा आदि से अब जब पहली बार थोड़ी फुर्सत मिली तो बयान दे तो दिया . 
हमने कहा- तोताराम, जो स्थान व्यक्तिगत जीवन में प्रेम का होता है वही स्थान सामाजिक जीवन में सद्भाव का होता है .  जो सरकारें समान भाव से जनता का सम्मान और सुरक्षा नहीं करती उसके किसी बयान पर जनता विश्वास नहीं करती . 
लेकिन हमारा मानना है कि भागवत का पद इस देश में बहुत बड़ा है . उन्हें एक राजनीतिक पार्टी की तरह व्यवहार करते हुए संकेत न देकर खुद मणिपुर जाना चाहिए . हमारा विश्वास है इसका बहुत सकारात्मक प्रभाव होगा और उनका खुद का कद भी सही अर्थों में राष्ट्रीय हो जाएगा . 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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