Jun 27, 2024

कौन ओम बिरला ?


2024-06-27 

कौन ओम बिरला  ?


 आज  तोताराम ने आते ही बैठने से पहले फरमाइश फेंकी, बोला- आज तो कुछ मीठा हो जाए । 


हमने पूछा- चाय है तो । अब क्या मोदी जी ने इस चाय पर 28% जी एस टी लगाकर मीठा और जोड़ दिया ? 


बोला- ये सब तुच्छ बातें छोड़ । कम से कम राजस्थानी होने के नाते ही सही, कुछ हो जाए ? 


हमने फिर पूछा- राजस्थान में क्या नया हो गया ।  नियमानुसार कांग्रेस के बाद फिर बी जे पी आ गई और  ?वही पुराना राग । निकालदी पर्ची । अब करते रहो भजन कीर्तन ।


बोला- अगर कुछ मीठा-शीठा नहीं खिलाना है तो मत खिला लेकिन खुश तो हो जा । सारी दुनिया को खबर हो गई कि ओम बिरला फिर से लोकसभा  के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं । और एक तू है जो मिठाई न खिलाने के लिए झूठ-मूठ अनजान बन रहा है ।


हमने कहा- कौन ओम बिरला ? 

बोला- इसका मतलब तू मोदी जी से भी बड़ा हो गया । मोदी जी का जन्म नहीं हुआ । वे तो ईश्वर के द्वारा किसी विशेष कार्य के लिए भेजे गए हैं । वैसे भक्तों ने तो बहुत पहले ही उन्हें भारत के लिए ईश्वर का आशीर्वाद, विष्णु का अवतार जाने क्या-क्या कहना शुरू कर दिया था । ऐसे अवतारी पुरुष मोदी जी अगर  पूछें- कौन राहुल ? तब तो कोई बात नहीं ।  

140 करोड़ भारतीयों के निर्विवाद नेता , विश्व के एक विशिष्ट और आदरणीय नेता मोदी जी के सामने नेहरू जी तक की ही कोई औकात नहीं तो उनके पड़पोते राहुल को जो कभी किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं रहा मोदी जी न जानें तो बात समझ में आती है लेकिन तू पूछे ओम बिरला कौन तो तेरे अज्ञान पर दुख होता है । तुझे लेकर तो समस्त राजस्थान को शर्मिंदा होना चाहिए । 


हमने कहा- भई, हमने तो एक बिरला सुने थे बिट्स पिलानी वाले बिरला । जगह जगह मंदिर बनवाने वाले जुगलकिशोर बिरला, देश में तरह तरह के आधारभूत उद्योग लगाने वाले घनश्यामदास बिरला । बिरला का तत्सम रूप होता है- विरल, कम, दुर्लभ । अब ये नए बिरला कहाँ से आ गए ? 


बोला- पहले कोटा से विधायक, फिर 2014 से 2019 तक सांसद, तत्पश्चात 2019 से 2024 तक लोकसभा के अद्भुत और अपूर्व अध्यक्ष रहे ओम बिरला । 


हमने कहा- वे निर्वाचित थोड़े हैं वे तो अपने मोदी जी द्वारा मनोनीत हैं । अगर 2029 में फिर यही संयोग बना तो फिर मोदी जी ओम बिरला को ही लोकसभा का अध्यक्ष मनोनीत करेंगे ।  


बोला- इसका मतलब बिरला जी में भी अमित शाह, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, निर्मल सीतारामन, अर्जुनराम मेघवाल की तरह कोई तो ऐसी विशेषता होगी कि उन्हें भी रिपीट किया गया है । 


हमने कहा- हाँ, है तो सही ऐसी विशेषता । वैसे तो शक्ल से ही ओम जी ज्ञानी, बुद्धिजीवी, स्थितिप्रज्ञ, सत्यनिष्ठ, न्यायप्रिय और पहुंचे हुए संत लगते हैं । हालांकि उनकी आयु भी हमारे बच्चों जितनी है लेकिन केवल वयोवृद्ध होने से क्या होता है ? ज्ञानवृद्ध वयोवृद्ध से भी अधिक आदरणीय होता है ।  बिरला जी ने अपने कार्यकाल में अदालत के छोटे छोटे फैसलों को भी बड़ी शिद्दत से लागू किया जैसे कि राहुल की सदस्यता समाप्त करना, मकान खाली करवाना, सैंकड़ों सांसदों को एक ही बार में निलंबित कर देना, रमेश विधूडी द्वारा एक मुसलमान सांसद को कटुआ, भड़ुआ आदि कहने पर भी उदारता पूर्वक क्षमा कर देना । कोई तो बात है जो  14 मिनट के राहुल के भाषण में 11 मिनट तक बिरला जी का ही देदीप्यमान, लोकलुभावन, मनमोहक मुखमण्डल दिखाया जाता रहा । 


बोला- और क्या ? तभी तो तुलसी बाबा हकते हैं-

सुधा सराहिए अमरता, गरल सराहिए मीच । 


हमने कहा- लेकिन अब यह सब शायद उतना सरल नहीं होगा  ?

बोला- क्यों ? अब क्या नई बात हो गई ?


हमने कहा- पिछले 10 साल तक कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं था । अब राहुल नेता प्रतिपक्ष है । 


बोला- कौन राहुल ? 


हमने कहा- वही राहुल जिसकी रगों में गांधी-नेहरू की विरासत प्रवाहित है, वही राहुल जिसे योजनाबद्ध तरीके से ‘पप्पू’ प्रचारित किया गया, वही राहुल जिसने कांग्रेस को पुनर्जीवित किया है, वही राहुल जिसके नेतृत्व में समूचा विपक्ष एक विचार के तहत एकजुट हुआ है, वही राहुल जिसने पिछले एक डेढ़ साल में जनता के साथ पैदल चलते हुए इस विशाल देश को  दक्षिण से उत्तर और पूर्व से पश्चिम नाप डाला, वही राहुल जो कल संसद में नेता प्रतिपक्ष के रूप में मोदी जी से हाथ मिला रहा था, वही राहुल जिससे मोदी जी ढंग से आँखें नहीं मिला पा रहे थे ।  

वैसे भी सांसद के रूप में राहुल का अनुभव मोदी जी और बिरला जी से अधिक ही  है । 


बोला- कुछ भी हो हमारे पास अब  बहुमत है, जुटाया हुआ ही सही । और हमारा तो एजेंडा भी 100 साल से तय है । हम अब भी वही सब करेंगे जो करते आए हैं । जीत गए तो खुले में और नहीं जीते तो बौद्धिक के रूप में । तुझे पता होना चाहिए कि हम दिन में 20-20 नहीं 28 घंटे काम करने वाले लोग हैं । कुंभकरण तो छह महिने में एक दिन के लिए ही जागता था, हम तो सोते ही नहीं । सी बी आई और ई डी से किसे डर नहीं लगता ? पैसा किसे बुरा लगता है ? कहा भी है- 

इश्क करे ऊ जिसकी जेब में माल वाहरे बलमू 

कदर गँवावे जो कड़का कंगाल वाहरे बलमू । 

और माल किसकी जेब में है यह किसीसे छुपा नहीं है । 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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