Jan 26, 2025

मोदी जी के कहे बिना.....

2025-01-26  

मोदी जी के कहे बिना.....  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रथम स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 और प्रथम गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 सबसे पहले हमने अपने प्रधानाध्यापक श्री अमीर बहादुर सक्सेना से नेतृत्व में मनाएइसके बाद से आज तक हम बिना नागा तिरंगे को नमन करते रहे हैंकुछेक अवसरों को छोड़कर जब हम देश से बाहर थेइसमें 15 अगस्त 2023 को भी जोड़ा जा सकता है जब आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मोदी जी नेहर घर तिरंगाका नारा दियाकारण कुछ नहीं बस, हमें लगा कि कोरोना में थाली बजाने और दीये जलाने की तरह मोदी जी हमारी अक्ल और देशभक्ति की परीक्षा ले रहे हैं 

31 जुलाई 2002 को केन्द्रीय विद्यालय जयपुर से रिटायर होने के बाद सामान के साथ खादी भंडार से एक तिरंगा भी ले आए थेतब से घर पर ही तिरंगा फहरा लेते हैंपिछली बार सँभाला तो पाया कि किसारियों ने उसमें कई जगह छेद कर दिए हैंसो इस बार नया ले आए 

आज सुबह सुबह उसे बाँस की एक खपच्ची में फिट करके छत की टंकी के पाइप से बाँध दियातभी अखबार भीगयासीकर में रात का पारा .4 डिग्री पढ़कर ठंड लगने लगीवैसे ही जैसे मोदी जी बताते हैं तो पता चलता है कि विकास जैसा कुछ हो गया है 

आती जाती ठंड और नेता दोनों खतरनाक होते हैं जैसे अमेरिका में भारत मूल के लोग ट्रम्प के आने से अनुभव कर रहे हैंसो सुरक्षा की दृष्टि से हम झण्डा टाँगने के बाद रजाई मेंघुसेऔर आँख लग गई 

 

सुना, दरवाजे पर कोई दस्तक दे रहा है जैसे आजकल ग्रेटनेस भारत और अमेरिका का दरवाजा पीटे जा रही है 

 

तोताराम ही थाकह रहा था- ऐ देशद्रोही मास्टर, हर महिने बिना कुछ किए 30-40 हजार रुपए महिने की पेंशन पेल रहा है और राष्ट्रप्रेम के नाम पर खर्राटेकम से कम साल में दो बार तो झंडे को सलामी दे दिया।चल आ, मंडी या आई आई टी जहाँ भी ध्वजारोहण हो रहा होगा, जन गण मन गा लेंगे 

 

हमने कहा- कहीं जाने  की जरूरत नहीं हैध्वजारोहण हो चुकाऊपर देख, पानी की टंकी के पाइप से बँधा तिरंगा फहरा रहा है 

बोला- मास्टर, तेरा भी जवाब नहींतेरी डेढ़ चावल की खिचड़ी हमेशा अलग पकती है, भले ही दाल गले या नहीं 

हमने कहा- तोताराम, हम दाल गलाने या रोटी के नीचे आँच लगाने के लिएतो तिरंगा फहराते हैं औरही किसी के मन की बात सुनते हुए फ़ोटो खिंचवाकर ऊपर भेजते हैं ।  2023 में तो हमने जानबूझकर तिरंगा नहीं फहराया क्योंकि उस वक्त नकली देश भक्त तिरंगे के बहाने हम पर रोब गाँठ रहे थे और हमारी देशभक्ति नहीं, संघभक्ति चेक कर रहे थेहमारा तिरंगा-प्रेम किसी नेता को दिखाने के लिए नहीं हैऔर फिर किस नेता को दिखाएंउन्हें जिन्होंने 55 साल तक अपने तथाकथित सांस्कृतिक संगठन के मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया 

 

बोला- गुस्सा छोड़यह तो प्रेम, समानता, न्याय और भाईचारे का दिन हैसच्चे अर्थों में सबके साथ और सबके विकास का पर्वसबके लिए शुभकामना करउनके लिए भी सद्बुद्धि की कामना कर जो धर्म के नाम पर संविधान की जड़ें खोद रहे हैंसबको यहीं रहना हैहम सबके सुख-दुख यहीं से जुड़े हैंऔर फिर अब तो संसद में अंबेडकर का अपमान करने वाले भी अपने सीकर में  ‘संविधान गौरव यात्रानिकाल रहे हैं 

 

हमने कहा- यह गौरव यात्रा नहीं, डेमेज कंट्रोल यात्रा हैवैसे ही जैसे जब मध्यप्रदेश में भाजपा के एक वीर क्षत्रिय ने एक आदिवासी के सिर पर पेशाब कर दिया था तो शिवराज सिंह ने किसी और ही आदिवासी को पकड़कर मँगवा लिया और उसके पैर धोते हुए फ़ोटो खिंचवाकर कर वाइरल करवा दिया था । या वैसा ही हरिजनोद्धार है जो मोदी जी ने पिछले साल कुम्भ के चार सफाई कर्मचारियों के पर धोते हुए फ़ोटो खिंचवाकर किया था 

 

बोला- ठीक हैतो फिरसही महाकुंभ का 5 हजार करोड़ का बजट जहाँ धर्म के भोंडे प्रदर्शन की आड़ में राजनीति हो रही हैअपने तो गत शताब्दी के स्वतंत्रता आंदोलन के जनमंथन से निकले गणतंत्र के इस अमृत की सुरक्षा की शुभकामना के साथ यहीं बरामदे में चाय और गाजर के हलवे के साथ सेलेबरेट कर लेते हैं ।   

 



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