मोदी जी की नाक
जैसे ही तोताराम बैठने को हुआ, हमने न्यूज ब्रेक कर दी- सुना है, मोदी जी की नाक कट गई ।
बोला- मैंने तो कल ही उन्हें ‘मन की बात’ में देखा था । सब कुछ ठीकठाक था ।
हमने कहा- तूने बच्चों को क्या हिन्दी पढ़ाई होगी । एक सामान्य से मुहावरे को भी नहीं समझ पाता। नाक कट गई मतलब अपमान हो गया ।
बोला- सब समझता हूँ । मोदी जी सज्जन दयालु और स्थितप्रज्ञ है । इनकी जगह कोई छोटा-मोटा अहंकारी नेता होता तो मुहावरा समझने से पहले ऐसा बोलने वाले की टाँगें तुड़वा देता, जुबान खिंचवा लेता । वैसे अपमान किसने किया ?
हमने कहा- और कौन करेगा ? शे’र है-
हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहा दम था । ट्रम्प ने काटी है नाक । छोटे-छोटे देश वालों को बुला लिया लेकिन मोदी को निमंत्रण नहीं दिया ।
बोला- पहले तो अपने शब्दों को ठीक कर । नाक काटना होगा मुहावरा लेकिन सुनने वाले के ध्यान में सबसे पहले जो बिम्ब आता है वह बहुत अपमानजनक है ।
औपचारिक निमंत्रण दिया जाता है औपचारिक संबंधों वालों को । ट्रम्प और मोदी जी के बहुत घरेलू संबंध हैं । अमेरिका में हाऊ डी मोडी होता है तो अहमदाबाद में नमस्ते ट्रम्प । मोदी जी उन्हें माई फ्रेंड कहते हैं और वह इन्हें नेशन का फादर कहता है । दूसरे अभी कुम्भ चल रहा है । ऐसे में मोदी जी का यहाँ रहना जरूरी है । अगर मोदी जी यहाँ नहीं होते तो कुम्भ की आग कैसे बुझती । ट्रम्प से अपने वहाँ की आग ही नहीं बुझाई जा रही है । अगर ट्रम्प निमंत्रण देता तो मोदी जी को बिना बात संकोच होता । वैसे भी मोदी जी निमंत्रण के मामले में बहुत कच्चे हैं । मना नहीं कर पाते । दोनों की बात रह गई । और फिर अपने तो अपने होते हैं ।
दिल में रहती है सदा तस्वीर-ए-यार
जब जरा गरदन झुकाई देख ली ।
हमने कहा- फिर भी लोग बातें तो बना ही रहे हैं ।
बोला- जो कोई काम नहीं करते वे बातें बनाते हैं । काम करने वाले मोदी जी की तरह बहुत कम बोलते हैं । यह तो दुनिया का दस्तूर है कि जिसने भी विश्व के कल्याण का व्रत लिया उसे कष्ट और अपमान ही सहना पड़ा है । सुकरात, ईसा, गाँधी सबको । लेकिन महान लोग मान अपमान की परवाह नहीं करते ।
छमा बड़न को चाहिए छोटन को उतपात ।
का रहीम हरि को घट्यो जो भृगु मारी लात ।।
हमने कहा- वैसे हमें इसका एक और कारण समझ में आता है ।
बोला- क्या ?
हमने कहा- मोदी जी दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता हैं । अगर मोदी जी जाते तो लोगों का ध्यान ट्रम्प के समारोह की बजाय मोदी पर केंद्रित हो जाता । हो सकता है लोग मोदी-मोदी चिल्लाने लगते । जो बाइडेन कार्यक्रम छोड़कर मोदी जी से हाथ मिलाने भाग पड़ते, मेलोनी सब कुछ भूलकर मोदी जी के साथ सेल्फ़ी लेने के लिए दौड़ पड़ती तो कैसा लगता ?
ये कहने की नहीं, समझने की बातें होती हैं । ना समझे वो अनाड़ी है ।
बोला- भले ही मोदी जी 2026-2027 में ट्रम्प को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर लें लेकिन अगर तूने उन्हें अपनी बरामदा संसद के किसी कार्यक्रम में बुला लिया तो मैं उसका बायकाट ही नहीं, घोर विरोध भी करूँगा । ऐसे आदमी से क्या व्यवहार रखना जो निमंत्रण दे और खाने के नाम पर बेशर्मी से लाखों-करोड़ों वसूल कर ले ।
जब अपना ही खाना है तो अपना घर क्या बुरा है ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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