आज तोताराम आया तो उसकी सजधज कुछ निराली ही थी । सिर पर चूनड़ी का साफ़ा, धुला प्रेस किया कुरता पायजामा, माथे पर टीका और कलाई पर मोटा सा कलावा बँधा था । हम कुछ समझ नहीं पाये । आते ही तोताराम उछल कर चबूतरे पर चढ़ गया और देश में लोकतंत्र की दुर्दशा और उसकी रक्षा के बारे में जोशीला भाषण झाड़कर ज़ोर से चिल्लाया- भारत माता की .... ।
आगे हमें बोलना था पर हम चुप रहे । तोताराम को गुस्सा आया, बोला- जिस भारत माता ने तुझे पाल पोसकर बड़ा किया, नौकरी दी और अब पेंशन दे रही है उसकी जय बोलते हुए तेरी जुबान घिस रही है, लानत है ।

तोताराम बोला- तुझे पता नहीं ए. आर. रहमान ने ख़ुद कह दिया है कि 'जय हो' पर किसीका एकाधिकार नहीं है ।
हमने कहा- ए. आर. रहमान के कहने से क्या होता है । क़ानून तो उसके हाथ है जिसके हाथ में ताक़त होती है । लोकतंत्र में ताक़त वोटर के हाथ में होती है । वह चाहे तो सरकारों को उलट-पलट सकता है । वोट का राज है । मैं लोगों को जगाऊँगा । बताऊँगा कि भ्रष्ट, रिश्वतखोर, अपराधियों को वोट मत देना ।
हमने कहा- ऐसा प्रचार तो अखबारों में हो रहा है । लोग संपादक के नाम पत्र लिख रहे हैं पर वास्तव में धन, दारू और बंदूक का सहारा लेने वालों को क्या कोई रोक पा रहा है ? यदि लोकतंत्र के सेवकों को पता लग गया कि तू इस प्रकार का अलोकतांत्रिक कृत्य कर रहा है तो तेरे बूथ पर पहुँचने से पहले कोई बूथ लेवल का कार्यकर्ता तेरा वोट तो डाल ही जाएगा । हो सकता है कोई अतिउत्साही तेरे हाथ-पाँव ही न तोड़ दे । फिर धरी रह जायेगी तेरी 'जय हो'। तू पलस्तर बँधाए अस्पताल में होगा और उधर लोकप्रिय सरकार बन जायेगी ।
बनी-बनाई चाय छोड़ कर तोताराम 'जय हो' चिल्लाता चला गया । हम जानते है कि जय होगी तो लल्लू पहलवान की या फिर कल्लू पहलवान की । तोताराम के तो हाथ-पैर बचे रहें यही बहुत है ।
(भय हो का वीडियो देखें)
२१-४-२००९
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन ।
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Jhootha Sach
... बहुत खूब !!!
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