Apr 22, 2015

तोताराम की नसधंधी

  १९-०१-२०१५ 
तोताराम की नसधंधी 

चबूतरे पर बैठे थे | तोताराम आया और हमारी तरफ उड़ती सी नज़र डाल कर बोला- यदि सच्चा हिन्दू है तो पहन जूते और चल मेरे साथ |

हमने पूछा- यहाँ बैठे-बैठे हमारे हिंदुत्व को कोई खतरा है क्या ?

बोला-  हाँ, है | और यह खतरा तब तक नहीं टलेगा जब तक हिन्दू दस-दस बच्चे पैदा नहीं करेगा |सो मैं नसधंधी  करवाने जा रहा हूँ |

हमने पूछा- हमने तो सरकार के आह्वान पर कोई चालीस वर्ष पहले ही नसबंदी करवा ली थी | क्या तेरी इतने वर्षों बाद असफल हो गई ?

कहने लगा- लगता है तेरे दिमाग की तरह तेरे कान भी खराब हो गए हैं | नसबंदी नहीं, नसधंधी करवाने जा रहा हूँ |

हमने यह शब्द कभी सुना नहीं था, पूछा- यह नसधंधी क्या होती है ? 

बोला- नसबंदी होती है बच्चे बंद करने के लिए और नसधंधी होती है फिर से बच्चे पैदा करने की क्षमता प्राप्त करने के लिए |

हमने कहा- अंग्रेजी में इसे वेसोवेसोस्टामी कहते हैं |हिंदी में इसके लिए कोई शब्द हमने नहीं सुना है |

बोला- अब भाषा की टाँग मत तोड़ | चलना है तो चल, नहीं तो मैं जा रहा हूँ |

हमने कहा- लेकिन तुझे पता है यह ओपरेशन 'नसबंदी' जितना आसान नहीं है | जनरल एनस्थीसिया दिया जाता है, चार-पाँच घंटे लगते हैं और दस साल बाद इसके ठीक होने की संभावना भी एकदम कम होती है | और फिर जिस देश में सरकारी कैम्पों में नसबंदी करवाने वाली महिलाओं की नकली दवाओं से इन्फेक्शन होकर मौत हो जाती है, नेत्र-चिकित्सा शिविर में थोड़ी रोशनी के लिए इलाज करवाने गए लोग सपट अंधे बन कर लौटते हैं वहाँ तू इतना बड़ा ओपरेशन करवाने जा रहा है ?

कहने लगा- कुछ भी हो कम से कम धर्म के लिए कुछ न कर पाने का पछतावा तो नहीं रहेगा  कि इतने बड़े हिंदुत्व प्रेमियों का कहना नहीं माना |

हमने कहा- सब दूर बैठे-बैठे उलटे-सीधे मन्त्र पढ़ते रहते हैं और लोगों को साँप की बाँबी में हाथ डालने को कहते हैं | खुद तो छुट्टे घूमते हैं और दूसरों को गरीबी के नरक में और गहरे धकेलना चाहते हैं | अगली दाल को तो पानी नहीं  |इतना ही हिन्दू प्रेम है तो खुद गृहस्थ क्यों नहीं बन जाते |और जब हिन्दुओं की संख्या बढ़ाना ही हिंदुत्व-प्रेम है तो लालू जी को भारत-रत्न क्यों नहीं दिया ? 

बोला- तेरे तर्क में दम तो है लेकिन यह भी  सच है कि कितना भी प्रगतिवादी समाज हो लोग जाति, धर्म, नस्ल को दिमाग से निकाल पाते | इसलिए लोकतंत्र में संख्या बल भी मायने तो रखता ही है | और फिर बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती जी के अनुसार मोदी जी दुबारा प्रधान बनाने के लिए हिन्दुओं के दस बच्चे करना ज़रूरी है |

हमने कहा- यह ज़रूरी नहीं है कि हिन्दू भाजपा को वोट दे ही | यदि ऐसा होता तो भाजपा को ३१ प्रतिशत वोट ही क्यों मिले ? ८२ प्रतिशत मिलने चाहिएँ थे |और मान ले इन महान आत्माओं के ब्रह्मवाक्यों  को  सभी हिन्दू मान भी लें तो वह बच्चा वोटर तो वह १८ बाद ही बन पाएगा | और तब तक मोदी जी क्या जवान ही बने रहेंगे ?तुझे पता है उन्हें बूढ़े पसंद नहीं है | बहुत खिचखिच करते हैं | वे प्रधान मंत्री नहीं बल्कि निदेशक मंडल में ही ठीक हैं |
बोला- फिर तो कोई फायदा नहीं | छोड़ दिया इरादा | अब चाय मँगवा |

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