Apr 3, 2015

लार्ड मैकाले बोले

 






































२०१५-०१-१२ 
लार्ड मैकाले  बोले 

राजस्थान और विशेषकर हमारे इस इलाके की हालत तो कश्मीर जैसी हो रही आजकल, जब कि मकर संक्रांति दो दिन दूर है | यदि वसुंधरा जी हमें राजस्थान ट्यूरिज्म का ब्रांड अम्बेसडर बना दें तो हम यही कहेंगे- कुछ दिन तो सीकर में बिताइए , रेगिस्तान में कश्मीर का मज़ा उठाइए |

आज विकास के लिए विकल सरकार की कृपा से धूप निकली है | 'अच्छे दिनों' की राम जाने लेकिन धूप के कारण सुबह तो अच्छी हो ही गई थी | चाय का कप उठाया ही था कि एक बहुत ही बुज़ुर्ग सज्जन छड़ी टेकते हुए गुज़रे |उम्र के विपरीत बड़ी धाँसू पर्सनेलिटी, गोरा रंग,जूते-मोज़े, पेंट, शर्ट-टाई, कोट और उसके ऊपर ओवर कोट, गले में मफलर जैसा कुछ,कमीज़ के कॉलर खड़े किसी दादा की तरह लेकिन वह दादा नहीं लग रहा था | किसी पुराने आई.सी.एस. ऑफिसर की तरह लग रहा था |

हम दोनों अपना-अपना कप छोड़कर खड़े हो गए | तोताराम ने कहा- गुड मोर्निंग सर, हव अ कप ऑफ़ टी | सज्जन रुके,बैठे और बोले- थैंक यू |

हमने बचपन में लार्ड मैकाले का फोटो देखा था, लगा कहीं वही तो नहीं है | पूछ लिया- सर, इफ आई ऍम नोट मिस्टेकन, आर यु लार्ड मैकाले ?

बोले- यस, ऑफकोर्स |

हमारी हिम्मत बढ़ी, पूछा- सर, हमने तो पढ़ा है था कि आप तो हमारे जन्म से एक सौ वर्ष पहले ही गॉड के पास चले गए थे और अब यहाँ ?

बोले- देखो, व्यक्ति जिसको सर्वाधिक प्यार करता है उसे मरने के बाद भी भूल नहीं सकता | मेरा भारत से यही संबंध है | भारत ने मुझे जितना प्यार दिया है संसार में मुझे कहीं नहीं मिला | तुम लोगों ने हमारी भाषा और जीवन शैली के लिए अपना मन-मस्तिष्क सब कुछ अर्पित कर दिया | अपना धर्म, भाषा, संस्कृति, खान-पान सब कुछ | इतना तो भक्त भी भगवान के लिए नहीं छोड़ता | हम बहुत खुश हैं |तुमने हमें अमर कर दिया |

तोताराम बोला- सर, आप अंग्रेजी को इस देश की राष्ट्र भाषा बनवा दीजिए |

मैकाले कुछ चिढ़कर बोले- तुम्हें पता है राष्ट्र क्या होता है ? बात-बात में राष्ट्र -राष्ट्र करते रहते हो और बात बिना बात आपस में लड़ते रहते हो | किसी बात में एक राय नहीं होते | जिन मामलों में देश की एक आवाज़ होनी चाहिए वहाँ भी तुम लोग पार्टी-पोलिटिक्स करने लग जाते हो | जिन्हें तुम 'राष्ट्रीय' बनाते हो उन्हीं का अपमान और दुर्गति करते हो | तुम चाहोगे तो भी हम ऐसा नहीं होने देंगे | 

तोताराम फिर कहने लगा- सर, अंग्रेजी  के बल पर आपने दुनिया पर राज किया | भारत में अंग्रेजी का विकास होने से हमारा देश और विकसित हो जाएगा |

वे कहने लगे- विकास मेहनत और साहस से होता है | वह तुम लोगों में नहीं है | तुम तो दुनिया के एक नंबर के नकलची हो |इतनी अंग्रेजी पढ़कर भी तुम्हारी सोच मौलिक नहीं हुई | अंग्रेजी तो एक भाषा है | भाषा साध्य नहीं, साधन होती है | और तुमने उसे साध्य बना लिया | बिना अंग्रेजी के भी जर्मनी, जापान, फ़्रांस, चीन प्रगति कर रहे हैं |तुम लोगों के लिए अंग्रेजी के आठ शब्द ही काफी हैं |   विदेशियों के सामने यस, सर, गुड,थैंक यू, ओके और अपनों के सामने नो,गेट आउट आदि |अपनी अकल, मेहनत लगाओगे तो तुम्हारी भाषा में भी सब कुछ है | तुम्हारे पूर्वजों ने अंग्रेजी के बिना भी  बहुत कुछ कर लिया था |

तोताराम  कहाँ चूकने वाला था, बोला- यदि अंग्रेजी को राष्ट्र भाषा नहीं तो रोमन को ही हिंदी की लिपि बनवा दीजिए | अब तो चेतन भगत ने भी इसका समर्थन कर दिया है |

मैकाले कुछ नाराज़ नज़र आए, कहने लगे- पाणिनि के देश में अब चेतन भगत जैसे विद्वान ही रह गए हैं |जिसे दुनिया सबसे सरल और पूर्ण लिपि मानती है उसमें  भी तुम ठीक नहीं लिख सकते तो रोमन में तो बहुत लोचे हैं | उसमें एक ध्वनि के लिए कई चिह्न होते हैं | क्यों देश को और कन्फ्यूज़ करना चाहते हो |

हम दोनों ने कहा- सर, हम तो हिंदी के मास्टर रहे हैं | जो कुछ सरकार ने पढ़ाने को दिया,पढ़ाते रहे | यह तो आपको इम्प्रेस करने के लिए डरते-डरते दो वाक्य बोल दिए वरना अंग्रेजी ही जानते होते तो यहाँ बैठकर टाइम खोटी करते क्या ? कोई कोचिंग सेंटर नहीं चलाते ?

मैकाले साहब जा चुके थे | हम दोनों  इतना घबरा गए थे कि इस डाँट के बदले थैंक यू कहना भी भूल गए | पता नहीं, उन्होंने हमारे देश की सभ्यता के बारे में क्या सोचा होगा ?

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