2015-04-03 मैं कैसा दिखता हूँ
हमेशा की तरह सूर्योदय के समान नियत समय पर तोताराम हाजिर हुआ |बैठने के लिए कहने पर मना कर दिया बोला- मुझे ध्यान से देख और बता मैं कैसा दिखता हूँ ?
हम क्या उत्तर देते, कहा- जैसा सत्तर साल से दिखता आ रहा है, वैसा ही दिखता है |वही पाँच फुट का ऊँचा पूरा क़द, वही छब्बीस इंच का विशाल सीना, वही भगवान कृष्ण और राम जैसा श्याम रंग, वही दयनीय मुस्कराहट जो सन १९४७ के देखते आ रहे हैं |बस, थोड़ा सा अंतर यह आया है कि ऊपर वाले जो दो दांत मुँह बंद करने पर भी दिखाई दे जाया करते थे अब दंतचिकित्सक की कृपा से सामान्य हो गए हैं, सिर के बाल कुछ अधिक उड़ गए हैं |
सुनकर तोताराम झुँझलाया और बोला- मैं बाह्य रूप की नहीं, आतंरिक गुणों की बात कर रहा हूँ |
हमने उतनी ही तत्परता से उत्तर दिया- ईश्वर को किसी भी एक गुण में समाहित नहीं किया जा सकता इसलिए उसे निर्गुण कहा जाता है वैसे ही तू भी निर्गुण है |
तोताराम और उखड़ गया- मैं जानता हूँ कि तू मेरे लिए कोई अच्छी बात न सोचना चाहता है , न ही देखना | रामचरितमानस में तुलसी बाबा कहते हैं - सच्चा मित्र 'गुण प्रकटे अवगुनहि दुरावा ' और एक तू है कि जिसे मुझमें कोई भी विशिष्टता नज़र नहीं आती ?मोदी जी को देख- अपने से १४ वर्ष छोटे अमित शाह में महात्मा गाँधी और राम मनोहर लोहिया जैसे चामत्कारिक गुण देख लिए और तुझे सत्तर वर्ष के सत्संग में मुझमें एक भी चमत्कार नज़र नहीं आया | यह या तो तेरा मेरे प्रति दुराग्रहपूर्ण दृष्टिकोण है फिर तुझे आदमी की पहचान ही नहीं है | इतने वर्ष अगर किसी और के चरण छुए होते तो उसे मुझमें अपना बाप नज़र आने लगता | वैसे तेरी भी क्या गलती, यह तो संसार का नियम ही है कि वह महान लोगों को बड़ी देर से पहचानती है |
हमने कहा- तोताराम, ऐसी बात नहीं है | संसार उतना मूर्ख नहीं है जितना तू समझता है | अटल जी के प्रधान मंत्री बनते ही इंदौर के एक वकील को उनमें भगवान नज़र आने लगा, गुजरात में एक भक्त को मोदी का मंदिर बनाने का ख्याल क्या वैसे ही आ गया, बिहार के एक तुक्कड़ को लालू और राबड़ी में धीरोदात्त नायक-नायिका के गुण ऐसे ही तो दिखने लगे | अगर तू भी नक़ल करवाने वाला या प्रेक्टिकल में पूरे नंबर देने वाला साइंस टीचर होता तो तुझमें भी बच्चे आदर्श गुरु देख लेते |
बोला- लेकिन जब एक साथ ही गाँधी और लोहिया अमित शाह में ही समाहित हो गए तो फिर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का क्या होगा ?
हमने कहा- कांग्रेस में बहुत से गाँधी हैं | मुलायम सिंह जी तो स्वयं ही साक्षात् लोहिया हो गए हैं वैसे अगर देश सेवा के लिए अमित शाह में लोहिया-दर्शन करना ज़रूरी हुआ तो उसमें क्या देर लगती है ? आतंकवादियों और पाकिस्तान की कृपा से शांति पूर्ण चुनाव के बाद भाजपा और पीडीपी मिलकर कश्मीर की सेवा कर रहे हैं या नहीं ?संस्कृत में कहा गया है- 'परम अर्थी दोषं न पश्यति' |
पूछने लगा- फिर भी क्या तुझे मुझमें कोई चमत्कार नज़र नहीं आता ?
हमने कहा- आता है, चमत्कार नज़र आता है कि इस बढ़ती महँगाई में इस थोड़ी सी पेंशन में , इस आतंककारी समय और जाति-धर्म द्वेषी समाज ईमानदार होकर तेरे जीवित रहने में, नकली खाद्य पदार्थो और नकली दवाइयों के युग में तेरे इस उम्र में भी चलते-फिरते दिखने में वास्तव में एक चमत्कार नज़र आता है |
वैसे तू दिखने की बजाय इस बात का मंथन क्यों नहीं करता कि वास्तव में तू कैसा है ?दिखने की फ़िक्र तो वे करते हैं जो चोर, लम्पट और बदमाश होते हैं | वे ही लम्बे तिलक, लम्बे चोगे और दाढ़ी की फ़िक्र करते हैं जो मालिक नहीं माल के भगत होते हैं |जो अपने आप में कुछ नहीं होता वही किसी की तरह दिखने के लिए मुखौटा लगाता है |हर शै भगवान की अनुपम कृति है |ईश्वर प्रदत्त उसी रूप में अपने व्यक्तित्त्व को विकसित कर |
हमेशा की तरह सूर्योदय के समान नियत समय पर तोताराम हाजिर हुआ |बैठने के लिए कहने पर मना कर दिया बोला- मुझे ध्यान से देख और बता मैं कैसा दिखता हूँ ?
हम क्या उत्तर देते, कहा- जैसा सत्तर साल से दिखता आ रहा है, वैसा ही दिखता है |वही पाँच फुट का ऊँचा पूरा क़द, वही छब्बीस इंच का विशाल सीना, वही भगवान कृष्ण और राम जैसा श्याम रंग, वही दयनीय मुस्कराहट जो सन १९४७ के देखते आ रहे हैं |बस, थोड़ा सा अंतर यह आया है कि ऊपर वाले जो दो दांत मुँह बंद करने पर भी दिखाई दे जाया करते थे अब दंतचिकित्सक की कृपा से सामान्य हो गए हैं, सिर के बाल कुछ अधिक उड़ गए हैं |
सुनकर तोताराम झुँझलाया और बोला- मैं बाह्य रूप की नहीं, आतंरिक गुणों की बात कर रहा हूँ |
हमने उतनी ही तत्परता से उत्तर दिया- ईश्वर को किसी भी एक गुण में समाहित नहीं किया जा सकता इसलिए उसे निर्गुण कहा जाता है वैसे ही तू भी निर्गुण है |
तोताराम और उखड़ गया- मैं जानता हूँ कि तू मेरे लिए कोई अच्छी बात न सोचना चाहता है , न ही देखना | रामचरितमानस में तुलसी बाबा कहते हैं - सच्चा मित्र 'गुण प्रकटे अवगुनहि दुरावा ' और एक तू है कि जिसे मुझमें कोई भी विशिष्टता नज़र नहीं आती ?मोदी जी को देख- अपने से १४ वर्ष छोटे अमित शाह में महात्मा गाँधी और राम मनोहर लोहिया जैसे चामत्कारिक गुण देख लिए और तुझे सत्तर वर्ष के सत्संग में मुझमें एक भी चमत्कार नज़र नहीं आया | यह या तो तेरा मेरे प्रति दुराग्रहपूर्ण दृष्टिकोण है फिर तुझे आदमी की पहचान ही नहीं है | इतने वर्ष अगर किसी और के चरण छुए होते तो उसे मुझमें अपना बाप नज़र आने लगता | वैसे तेरी भी क्या गलती, यह तो संसार का नियम ही है कि वह महान लोगों को बड़ी देर से पहचानती है |
हमने कहा- तोताराम, ऐसी बात नहीं है | संसार उतना मूर्ख नहीं है जितना तू समझता है | अटल जी के प्रधान मंत्री बनते ही इंदौर के एक वकील को उनमें भगवान नज़र आने लगा, गुजरात में एक भक्त को मोदी का मंदिर बनाने का ख्याल क्या वैसे ही आ गया, बिहार के एक तुक्कड़ को लालू और राबड़ी में धीरोदात्त नायक-नायिका के गुण ऐसे ही तो दिखने लगे | अगर तू भी नक़ल करवाने वाला या प्रेक्टिकल में पूरे नंबर देने वाला साइंस टीचर होता तो तुझमें भी बच्चे आदर्श गुरु देख लेते |
बोला- लेकिन जब एक साथ ही गाँधी और लोहिया अमित शाह में ही समाहित हो गए तो फिर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का क्या होगा ?
हमने कहा- कांग्रेस में बहुत से गाँधी हैं | मुलायम सिंह जी तो स्वयं ही साक्षात् लोहिया हो गए हैं वैसे अगर देश सेवा के लिए अमित शाह में लोहिया-दर्शन करना ज़रूरी हुआ तो उसमें क्या देर लगती है ? आतंकवादियों और पाकिस्तान की कृपा से शांति पूर्ण चुनाव के बाद भाजपा और पीडीपी मिलकर कश्मीर की सेवा कर रहे हैं या नहीं ?संस्कृत में कहा गया है- 'परम अर्थी दोषं न पश्यति' |
पूछने लगा- फिर भी क्या तुझे मुझमें कोई चमत्कार नज़र नहीं आता ?
हमने कहा- आता है, चमत्कार नज़र आता है कि इस बढ़ती महँगाई में इस थोड़ी सी पेंशन में , इस आतंककारी समय और जाति-धर्म द्वेषी समाज ईमानदार होकर तेरे जीवित रहने में, नकली खाद्य पदार्थो और नकली दवाइयों के युग में तेरे इस उम्र में भी चलते-फिरते दिखने में वास्तव में एक चमत्कार नज़र आता है |
वैसे तू दिखने की बजाय इस बात का मंथन क्यों नहीं करता कि वास्तव में तू कैसा है ?दिखने की फ़िक्र तो वे करते हैं जो चोर, लम्पट और बदमाश होते हैं | वे ही लम्बे तिलक, लम्बे चोगे और दाढ़ी की फ़िक्र करते हैं जो मालिक नहीं माल के भगत होते हैं |जो अपने आप में कुछ नहीं होता वही किसी की तरह दिखने के लिए मुखौटा लगाता है |हर शै भगवान की अनुपम कृति है |ईश्वर प्रदत्त उसी रूप में अपने व्यक्तित्त्व को विकसित कर |
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