Nov 21, 2015

तोताराम के साथ एम. ओ यू.

  तोताराम के साथ एम.ओ. यू. 

यह क्या ? उधर 'रिसर्जेंट राजस्थान ' शुरु और ठीक उसी समय मतलब १९ नवम्बर २०१५ की सुबह नौ बजे तोताराम हमारे बरामदे में हाजिर | हमने पूछा- क्या सम्मिट से पहले ही तेरा ड्रीम प्रोजेक्ट अप्रूव हो गया ? अब बता, पहले अपने प्रोजेक्ट का फुल फॉर्म बताएगा या प्रोजेक्ट के डिटेल्स या 'ला फ्यूरा' की कलाबाजियों के बारे में  ?

बोला- तू भी साँस ले और मुझे भी लेने दे और भाभी से एक कड़क चाय और पानी का गिलास मँगवा |

हमने पूछा- क्या वहाँ चाय भी नहीं मिली ?

बोला-मिली होती तो आते ही तेरे सामने हाथ फैलाता क्या ?

खैर, चाय आई और चाय पीते-पीते तोताराम में जो बताया वह इस प्रकार था- प्रोजेक्ट का नाम कल तो याद था लेकिन अब हड़बड़ी में मैं खुद ही  भूल गया हूँ | यही समझ ले बस; कैर, काचरी से संबंधित कुछ था | सुबह-सुबह  सिन्धी कैम्प उतरकर रिक्शे वाले से पूछा- रिसर्जेंट राजस्थान चलेगा ?

तो बोला- यह कहाँ है ?

मैंने कहा-यहीं है |जयपुर में |देश-विदेश के बड़े-बड़े  धुरंधर धनी उद्योगपति इकट्ठे हो रहे हैं |होटल में मिलेंगे और कलाबाजियां देखेंगे और कुछ धंधे-पानी की बात करेंगे |
  
तो पूछने लगा- क्या तू उनसे किसी गौशाला के लिए चंदा माँगने आया है ?

मैंने कहा- चंदा माँगने नहीं, राजस्थान के  जायके को विश्व पटल पर स्थापित करने आया हूँ |

तो बोला- बाबा, तेरी बात तो मुझे समझ में आती नहीं लेकिन यह पक्का है कि आज और दिनों जैसी बात नहीं है |शहर की सुरक्षा, व्यवस्था, यातायात आदि बड़े-बड़े अधिकारी सँभाल रहे हैं यहाँ तक कि सड़कों पर लटके हैंगिंग गार्डन में पानी भी वे ही दे रहे हैं |कल तो सड़कों पर से गाएं भी वे ही भगा रहे थे |परिंदा भी पर नहीं मार सकता |इसलिए अच्छा होगा कि चुपचाप निकल ले लौटती बस से | २१ तारीख़ को आना जब सब नार्मल हो जाए |किसी पुलिस वाले ने, किसी शक में अन्दर कर दिया तो मुश्किल हो जाएगी |सो लौट आया |

हमने पूछा- तो अब तेरे इस कैर-काचरी प्रोजेक्ट का क्या होगा ?

बोला- होगा क्या ? अब मैं स्थानीय स्तर विद्यालयों में काचर छीलने और कैर चूँटने की प्रतियोगिताएं करवाऊँगा और फिर इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक ले जाऊँगा | मैथ्स ओलंपियाड की तरह इनके भी ओलंपियाड करवाऊँगा | इससे राजस्थान के इस विशिष्ट स्वाद कैर के अचार और काचरी की चटनी का विश्व में प्रचार होगा जिससे राजस्थान में औद्योगीकरण होगा, ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को गति मिलेगी | गाँव-गाँव खुशहाली और समृद्धि आएगी |

हमने कहा- तोताराम, हम तुम्हारे इस प्रदेश-प्रेम से बहुत प्रभावित हैं |भले ही तुम्हें रिसर्जेंट राजस्थान में घुसने का मौका नहीं मिला लेकिन हम तेरे साथ 'मेमो ऑफ़ अंडर स्टेंडिंग'  साइन करते हैं | बैठ, आज तेरी भाभी ने देशी बाजरे की रोटी, लहसुन- काचरी की चटनी और मट्ठा बनाया है, उसी के साथ सेलेब्रेट करते हैं |

बोला- यही तो है 'रिसर्जेंट-राजस्थान' लेकिन बाज़ार की चकाचौंध के मारों को कुछ समझ में आए तो ? जल्दी ला | पता नहीं, विकास की इस दौड़ में गाँवों में फिर कैर और काचरी मिलें या नहीं |





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