Nov 2, 2015

पहले वाला हिसाब-किताब

  पहले वाला हिसाब-किताब 



 कुछ दिन पहले जब दिन जल्दी निकल आता था और गर्मी भी थी तो पानी आते ही नहाने का मन हो जाता था लेकिनआजकल सुबह-सुबह हल्की सी ठण्ड पड़ने लग गई है सो नहाने की बजाय इस समय का उपयोग घूमने जाने के लिए करना शुरू कर दिया है |सभी तरह के लोगों के दर्शन हो जाते हैं - कुछ घुटनों को सक्रिय रखने तो कुछ इस बहाने मंदिर में स्थापित भगवान को भी आभारी बनाने तो  कुछ युवा अपना ट्रेक सूट और जूतों का प्रदर्शन करने के लिए आते हैं | आज जैसे ही लौट रहे थे तो बड़ा अजीब नज़ारा देखने को मिला | कुर्ता पायजामा पहने एक अधेड़ सज्जन बड़ी विनम्र मुद्रा में सिर झुकाए खड़े थे और कुछ युवा उन्हें शब्दों से सम्मानित करते हुए धकिया रहे थे- साले, वापिस कैसे नहीं करेगा ? तेरा तो बाप भी करेगा वापिस |

हालांकि आजकल किसी के फटे में टांग फँसाने से बन्दर की तरह अपनी ही पूंछ लट्ठे में रह जाती है लेकिन क्या करें, आदत से लाचार | पूछ ही लिया- क्या हुआ भैया, कैसे इनका अभिनन्दन कर रहे हो ?

युवक बोले- ताऊ जी, इसकी हिम्मत तो देखिए |कह रहा है वापिस नहीं करेगा | कैसे नहीं करेगा वापिस ?

हमने पूछा- क्या आपने इन सज्जन को कुछ उधार दिया था क्या ?

बोले- उधार तो इस जैसे फटीचर को कौन देगा लेकिन हमने इसे अपनी संस्था 'वृद्धजन सम्मान समिति' द्वारा  सम्मानित किया था |अब हम इससे वह सम्मान वापिस माँग रहे हैं और यह कह रहा है कि वापिस नहीं करेगा |

हमने उन अधेड़ सज्जन से कहा- बन्धु, जब इन्होंने  ही तुम्हें सम्मानित किया था और अब ये आपको सम्मान के काबिल नहीं समझते तो वापिस कर दीजिए | क्या फर्क पड़ता है ? वैसे आजकल सम्मान और पुरस्कार वापिस करने और सम्मान वापिस करने वालों का विरोध  करने वालों का फैशन चल रहा है |कर दो वापिस |

बोला- बात सम्मान की नहीं है |बात उस राशि की है जो इन्होंने  मुझे दी थी |

हमने कहा- तो फिर दे दो |हम इन युवकों से कहेंगे कि ये उस पर बनने वाला ब्याज माफ़ कर देंगे |और यदि तुम एक साथ नहीं दे सकते तो हम इनसे यह भी प्रार्थना करेंगे की ये किश्तों में ले लें |

बोला- लेकिन वास्तव में इन्होंने मुझे कोई राशि नहीं दी |वह राशि मेरी ही थी | इन्होंने  तो उस सम्मान में होने  वाला माला, साफा, नारियल, शाल और नाश्ते तक का खर्च मुझसे लिया था |

हमने कहा- भले आदमी यह भी कोई सम्मान है, ऐसे भी कोई करता है ?

बोला- आपको पता नहीं, इस देश में ऐसी हजारों संस्थाएं हैं जो इसी तरह सम्मान बाँटने का धंधा करती  हैं |और कहीं से सम्मान नहीं मिला तो मैंने सोचा- यदि कुछ मिल नहीं रहा है तो जेब से मात्र उत्सव  का खर्चा ही तो हो रहा है सो भुगत लूंगा | समाज में कुछ चर्चा तो होगा |

हमने उन युवकों से कहा- आप ऐसा क्यों करते हैं ?

बोले- आजकल जो यह सम्मान वापिस करने वाला नाटक चल रहा है हम उसे हमेशा के लिए समाप्त करना चाहते हैं |अभी यह अकादमी से पुरस्कृत लोगों में चल रहा है, कल को स्थानीय स्तर तक आ जाएगा |

वैसे आगे से तो हम सम्मान-पत्र में साफ-साफ लिखवा देंगे- जैसे बिका हुआ माल वापिस नहीं होगा वैसे ही एक बार किया गया सम्मान किसी भी स्थिति में न संस्था वापिस माँगेगी और न ही प्राप्तकर्त्ता इसे वापिस नहीं करेगा  |हम तो पहले वाला हिसाब-किताब निबटा रहे हैं |

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