Nov 8, 2015

कैसी रही गिफ्ट

   कैसी रही गिफ्ट 

आते ही तोताराम ने हमारे सामने अखबार रखते हुए कहा- ये गिफ्ट देने वाले भी बड़े  अजीब हैं |बिना सोचे समझे किसी को कुछ भी गिफ्ट दे देते हैं जब कि नेताओं को पाँच हजार से ज्यादा की गिफ्ट तो सरकारी तोशाखाना में जमा करवानी होती है और लोग समझते हैं कि फलाँ-फलाँ को फलाँ-फलाँ कीमती गिफ्ट मिली |बहुत कम ही ऐसे साहसी होते हैं जो इन्हें सरकारी तोशाखाना में जमा करवाने की बजाय घर ले जाते हैं यह बात और है कि जब हल्ल्ला मचता है तो मन मार कर जमा करवाना पड़ता है |आदमी को चाहिए कि सोच समझकर गिफ्ट ले और फालतू की गिफ्ट ले ही नहीं और न ही पाँच हजार से ज्यादा की ले |

हमने कहा- बन्धु, ज़रा स्पष्ट करो |

बोला-  क्या स्पष्ट करूँ, मोदी जी को झुमके, शीशा, केतली, चाय पत्ती, टोपी, चटाई, तीर-कमान आदि दिए |अब बता वे झुमके किसे पहनाएंगे ? वे तो ब्रह्मचर्य आश्रम में ही संसार की भलाई के लिए सीधे संन्यास ले चुके हैं | अब झुमके कहाँ तक सँभालेंगे ? यदि कहीं बरेली चले गए और झुमका खो गया तो शेष सारा कार्यकाल झुमका ही ढूँढ़ते रह जाएँगे और तिस पर भी मिलने की कोई गारंटी नहीं |साधना को तो झुमका आज तक मिला नहीं जो इन्हें मिलेगा |केतली, चाय पत्ती का भी क्या करेंगे ?अब चाय के लिए समय ही कहाँ बचा है ? जहाँ तक शीशे की बात है तो सेल्फी से बढ़िया आत्ममुग्ध करने वाला कोई शीशा हो नहीं सकता | टोपी वे किसी से पहनते नहीं तो फिर उनसे कौन पहनेगा ? चटाई साल में एक बार योग दिवस के अतिरिक्त कब काम आएगी ?अन्य कीमती सामान सरकारी तोशाखाना में जमा करवा दिया होगा |अच्छा रहा, जो घोड़ा मंगोलिया में ही छोड़ आए |वैसे जब तक उनके पास स्पष्ट बहुमत है तो घोड़े तो यहाँ भी मुफ्त में बिकने के लिए उनके बँगले के आसपास चक्कर लगा रहे हैं |इस ट्रेड की अब उन्हें कोई आवश्यकता नहीं |और तीर-कमान का तो कोई काम ही नहीं है |वे तो बातों-बातों में ही तीर चलाने का मौका निकाल लेते हैं |

हमने कहा- और मनमोहन जी को भी ऐसे ही अजीब तोहफे दिए गए हैं |उन्हें २१ लाख की तलवार दी गई है |उन्होंने तो अपने धर्म वाली तलवार का ही उपयोग नहीं किया |ऐसी कीमती तलवारें तो सजाने के लिए होती हैं जो कहीं सरकारी म्यूजियम में रखी होगी |और चाय की केतली दे दी लेकिन चाय-पत्ती नहीं दी |वैसे दे दी होती तो भी वे चाय के मामले में मोदी से जीत नहीं सकते |खैर, झुमके और नेकलेस तो मैडम के काम आ जाएँगे |

तोताराम ने आगे कहा- लेकिन सुषमा जी टाई का क्या करेंगी ? वे तो शुद्ध भारतीय परिधान पहनती हैं |एक महिला अधिकारी को तो शराब की बोतलें भी दी हैं |पता नहीं, वे उनका क्या करेंगी ?

हमने कहा- जून २०१४ में सोनिया जी को किसी ने पत्थर का एक कटोरा ही दे दिया |कटोरा तो उन्हें दिया जाना चाहिए था जिन्हें अब 'मेक इन इण्डिया' के लिए विदेशों से निवेश लाना है |

बोला- छोड़ ये सब बातें |जिन्हें मिला है वे जानें |मुझे तो यह बता, मुझे सेवा-निवृत्ति पर जो एक साफा पहनाया गया था उसका क्या करूँ ? कोई ग्राहक हो तो बता, दस रुपए में दे सकता हूँ |

हमने कहा- इससे तो अच्छा है, अपने वार्ड पार्षद को बुलाकर अभिनन्दन कर दें और साफा पहना दें |क्या पता, इसी बहाने गली की सफाई हो जाए |

बोला- ठीक है, देखेंगे लेकिन अब तू मध्यप्रदेश का एक सच्चा किस्सा सुन |किसी तिवारी को एक यजमान ने एक गाय दान में दी |अब उस गाय ने बछड़ा तो दे दिया लेकिन दूध नहीं दे रही है |तिवारी बाज़ार से दूध लाकर बछड़े को पाल रहे हैं |
कैसी रही यह गिफ्ट ? 

हमने वैसे ही पूछ लिया- तोताराम, यदि तू नेता हो और तुझे कोई गिफ्ट दे तो तू क्या लेना चाहेगा ?
बोला- दस-दस किलो दाल,प्याज और सरसों का तेल |तोशाखाना में जमा करवाने का झंझट नहीं, ये सर्दियाँ  तो मजे से निकल जाएँगी |आगे जिंदा रहे तो फिर सोचेंगे |इस उम्र में ज्यादा लम्बी प्लान नहीं बनानी चाहिए |



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