रिसर्जेंट एंड वाइब्रेंट तोताराम
हम बरामदे में बैठे चाय का इंतजार कर रहे थे कि सिर पर चूंदड़ी की राजस्थानी पगड़ी, घुमावदार मूँछे, दुलंगी धोती और पैरों में कढ़ाई वाली मोचड़ी पहने एक आकृति हमारे सामने आकर गिर पड़ी |हम तो घबरा गए |वस्त्रों से तो पहचान नहीं पाए पर जैसे ही उस काया को उलटा तो- तोताराम | हे राम, सुबह-सुबह यह क्या हुआ ? सात दशकों का साथी तोताराम | हमारी ही बाँहों में इसे अंतिम साँस लेनी थी |चिल्लाते हुए अन्दर गए पानी लेने कि इसके चेहरे पर छींटे मारकर होश में लाने की कोशिश करें |वापिस आए तो देखा तोताराम पालथी मारे बैठा है |हमने टेस्ट करने के लिए उठाया तो काँपता हुआ फिर गिर पड़ा |फिर उठाया तो दस सेकण्ड बाद फिर गिर पड़ा |
हमने पूछा- क्या पैर सो गया या मोच आ गई ?और काँप भी रहा है क्या सर्दी लग रही है ?
बोला- कुछ नहीं |डिक्शनरी देख |
हमें बड़ा अजीब लगा |हम बीमारी पूछ रहे हैं और यह डिक्शनरी की बात कर रहा है |दुबारा खड़ा किया तो फिर वही हाल |फिर बोला- डिक्शनरी देख |
हम डिक्शनरी लाए और पूछा- बता क्या देखना है ?
बोला-रिसर्जेंट और वाइब्रेंट के अर्थ देख |
हमने देखकर बताया- रिसर्जेंट अर्थात फिर उठ खड़ा होने वाला और वाइब्रेंट अर्थात झनझनाता हुआ |
बोला- मैं एक साथ रिसर्जेंट राजस्थान और वाइब्रेंट गुजरात का प्रतिनिधित्त्व कर रहा हूँ |
हमने माथा पीट लिया, कहा- अब तो उठ रिसर्जेंट और वाइब्रेंट तोताराम |बेवकूफ, तूने तो डरा ही दिया था |
बोला- चल, मैं तो रिसर्जेंट-राजस्थान में भाग लेने जयपुर जा रहा हूँ |यदि तेरा मन हो तो तू भी चल | 'ला फ्यूरा' देख आना |
हमने कहा- यह क्या है ?
बोला- यह स्पेन का एक दल आया है जो इस कार्यक्रम में कलाबाजियाँ दिखाएगा |
हमने कहा- इसके लिए स्पेन से बुलाने का खर्चा करने की क्या ज़रूरत थी | दुनिया में कहीं भी निगाह डाल लो कलाबाजियाँ ही चल रही हैं |सब तीन को तेरह दिखाने के चक्कर में तीन-तेरह हुए जा रहे हैं | अरे, जब रसोई में सामान ही नहीं है तो कप-प्लेट और टेबल-कुर्सियों से काम थोड़े चलेगा ? और न ही कलाबाजियों से पेट भरेगा |बच्चे को दूध चाहिए, चुसनी से कब तक चुप रहेगा ?
बोला- ऐसे समय में मज़ाक ठीक नहीं |दूर-दूर से मेहमान आए हैं |हँस-बोल कर स्वागत करो |
हमने कहा- सो तो करने वाले करेंगे ही लेकिन तुझे किसने बुलाया है जो मूँछों पर ताव दे रहा है ?
कहने लगा- अरे, हम राजस्थानी हैं, मेज़बान हैं |किसके बुलाने का इंतज़ार करेंगे ?
हमने कहा- लेकिन वहाँ तो इन्वेस्टमेंट करने वाले आए हैं |तू क्या इन्वेस्ट करेगा ? हाँ, भले लोगों का टाइम ज़रूर वेस्ट करेगा |यहीं रह |चाय आ रही है |
बोला- मुझे भी इन्वेस्ट करना है | अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एक तकनीकी संस्थान स्थापित करना है |
हमने कहा- कोई ढंग का काम कर |हमारे राज्य और शहर में तो पहले से ही गली-गली में बस, होस्टल सुविधा वाले ऑक्सफोर्ड और केम्ब्रिज खुले हुए हैं |और कुछ तो बिना एडमीशन और परीक्षा के ही घर पर डिग्री की डिलीवरी दे देते हैं तो किसी संस्थान की ज़रूरत ही क्या है ?
बोला- मेरा संस्थान इनसे भिन्न है | राजस्थान को विश्व पटल पर स्थापित कर देने वाला- के.के.ऍफ़.सी.इंटरनेशनल |
हमने पूछा- यह क्या है ?
बोला- यह सब एक लम्बे ब्रेक के बाद |अब चाय मँगवा |
हमें कल का इंतजार है |शायद पाठकों को भी |
हम बरामदे में बैठे चाय का इंतजार कर रहे थे कि सिर पर चूंदड़ी की राजस्थानी पगड़ी, घुमावदार मूँछे, दुलंगी धोती और पैरों में कढ़ाई वाली मोचड़ी पहने एक आकृति हमारे सामने आकर गिर पड़ी |हम तो घबरा गए |वस्त्रों से तो पहचान नहीं पाए पर जैसे ही उस काया को उलटा तो- तोताराम | हे राम, सुबह-सुबह यह क्या हुआ ? सात दशकों का साथी तोताराम | हमारी ही बाँहों में इसे अंतिम साँस लेनी थी |चिल्लाते हुए अन्दर गए पानी लेने कि इसके चेहरे पर छींटे मारकर होश में लाने की कोशिश करें |वापिस आए तो देखा तोताराम पालथी मारे बैठा है |हमने टेस्ट करने के लिए उठाया तो काँपता हुआ फिर गिर पड़ा |फिर उठाया तो दस सेकण्ड बाद फिर गिर पड़ा |
हमने पूछा- क्या पैर सो गया या मोच आ गई ?और काँप भी रहा है क्या सर्दी लग रही है ?
बोला- कुछ नहीं |डिक्शनरी देख |
हमें बड़ा अजीब लगा |हम बीमारी पूछ रहे हैं और यह डिक्शनरी की बात कर रहा है |दुबारा खड़ा किया तो फिर वही हाल |फिर बोला- डिक्शनरी देख |
हम डिक्शनरी लाए और पूछा- बता क्या देखना है ?
बोला-रिसर्जेंट और वाइब्रेंट के अर्थ देख |
हमने देखकर बताया- रिसर्जेंट अर्थात फिर उठ खड़ा होने वाला और वाइब्रेंट अर्थात झनझनाता हुआ |
बोला- मैं एक साथ रिसर्जेंट राजस्थान और वाइब्रेंट गुजरात का प्रतिनिधित्त्व कर रहा हूँ |
हमने माथा पीट लिया, कहा- अब तो उठ रिसर्जेंट और वाइब्रेंट तोताराम |बेवकूफ, तूने तो डरा ही दिया था |
बोला- चल, मैं तो रिसर्जेंट-राजस्थान में भाग लेने जयपुर जा रहा हूँ |यदि तेरा मन हो तो तू भी चल | 'ला फ्यूरा' देख आना |
हमने कहा- यह क्या है ?
बोला- यह स्पेन का एक दल आया है जो इस कार्यक्रम में कलाबाजियाँ दिखाएगा |
हमने कहा- इसके लिए स्पेन से बुलाने का खर्चा करने की क्या ज़रूरत थी | दुनिया में कहीं भी निगाह डाल लो कलाबाजियाँ ही चल रही हैं |सब तीन को तेरह दिखाने के चक्कर में तीन-तेरह हुए जा रहे हैं | अरे, जब रसोई में सामान ही नहीं है तो कप-प्लेट और टेबल-कुर्सियों से काम थोड़े चलेगा ? और न ही कलाबाजियों से पेट भरेगा |बच्चे को दूध चाहिए, चुसनी से कब तक चुप रहेगा ?
बोला- ऐसे समय में मज़ाक ठीक नहीं |दूर-दूर से मेहमान आए हैं |हँस-बोल कर स्वागत करो |
हमने कहा- सो तो करने वाले करेंगे ही लेकिन तुझे किसने बुलाया है जो मूँछों पर ताव दे रहा है ?
कहने लगा- अरे, हम राजस्थानी हैं, मेज़बान हैं |किसके बुलाने का इंतज़ार करेंगे ?
हमने कहा- लेकिन वहाँ तो इन्वेस्टमेंट करने वाले आए हैं |तू क्या इन्वेस्ट करेगा ? हाँ, भले लोगों का टाइम ज़रूर वेस्ट करेगा |यहीं रह |चाय आ रही है |
बोला- मुझे भी इन्वेस्ट करना है | अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एक तकनीकी संस्थान स्थापित करना है |
हमने कहा- कोई ढंग का काम कर |हमारे राज्य और शहर में तो पहले से ही गली-गली में बस, होस्टल सुविधा वाले ऑक्सफोर्ड और केम्ब्रिज खुले हुए हैं |और कुछ तो बिना एडमीशन और परीक्षा के ही घर पर डिग्री की डिलीवरी दे देते हैं तो किसी संस्थान की ज़रूरत ही क्या है ?
बोला- मेरा संस्थान इनसे भिन्न है | राजस्थान को विश्व पटल पर स्थापित कर देने वाला- के.के.ऍफ़.सी.इंटरनेशनल |
हमने पूछा- यह क्या है ?
बोला- यह सब एक लम्बे ब्रेक के बाद |अब चाय मँगवा |
हमें कल का इंतजार है |शायद पाठकों को भी |
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