Feb 16, 2016

देश के विकास में अडंगा

  देश के विकास में अडंगा 

आज तोताराम ने आते ही कहा- मास्टर, अच्छी तरह से हाथ साफ़ करके बाहर आ जा |
हमने कहा- हमारे हाथों को क्या हुआ है ?हमने न किसी का खून किया है, न ही रँगे हाथों पकड़े गए हैं और दुबारा हाथ पीले करना नहीं चाहते |कोई घपला-घोटाला नहीं किया |

बोला- हाथ देखकर तेरा भविष्य बताऊँगा |हाथ साफ न होने से रेखाएँ साफ दिखाई नहीं देतीं और गलती होने की संभावना रहती है |

हमने कहा- हमारा भविष्य तो हमें मालूम है |दो हजार सत्रह में कम्यूटेशन ख़त्म हो जाएगा और डेढ़ हजार की जो कटौती हो रही है वह बंद हो जाएगी, जनवरी से बढ़ा डी.ए.अप्रैल में मिल जाएगा, सातवें वेतन आयोग में जो बढ़ोत्तरी होगी उसे जेतली जी महँगाई या टेक्स बढ़ाकर बराबर कर देंगे, सरकार बिजली चोरी नहीं रोक सकेगी सो दो चार महीने में बिजली का बिल बढ़कर आने वाला है, हो सकता है एक-दो वर्ष में घुटनों में दर्द शुरू हो जाए, लकवा मार जाए या दिल का दौरा पड़ जाए या मार्शल जाति का कोई फ़ास्ट युवक मोटर साइकल की चपेट में ले ले |इसके अलावा और क्या भविष्य हो सकता संन्यास की सीमा में पहुँचे सेवा निवृत्त, अराजनीतिक ब्राह्मण का|वैसे तो हम सन्यास की उम्र में पहुँच चुके हैं लेकिन हमसे किसी को कोई राजनीतिक खतरा नहीं इसलिए  कोई निदेशक मंडल में भी नहीं लेने वाला है और न ही कोई कहीं का राज्यपाल बनाने वाला है |बस, अब हम भले और यह चबूतरा भला |

बोला- हाथ तो देखने दे |

कई देर तक घुमा-फिरा कर हमारा हाथ देखता रहा, एक आतशी शीशा पता नहीं, कहाँ से ले आया |उससे घिस चुकी रेखाओं को घूरता रहा |फिर चिंतित होकर बोला- मास्टर, अब मैं जो प्रश्न पूछता हूँ उनके हाँ या ना में उत्तर देना |

प्रश्न थे- क्या तेरे पास व्हाट्स ऐप है, क्या तू ई-बैन्किंग, ई-शोपिंग करता है, क्या तेरे पास बी.एम.डब्लू कार,हवाई जहाज, फार्महाउस,बंगला विथ स्विमिंग पूल है, या तू साल में एक-दो बार विदेश में छुट्टियाँ  मनाने जाता है, क्या तुझे मेट्रो ट्रेन चाहिए, क्या तू डिज़ाईनर जूते और कपड़े पहनता है ?

हमने कहा- अब और प्रश्न मत कर |यदि करेगा तो भी वे ऐसे ही होंगे |इसलिए हमारा एक ही उत्तर है, सुन ले- 'नहीं' |

हम तो बैंक में चेक से पैसे निकलवाते हैं,जहाँ जाना होता है पैदल ही जाते हैं, रिटायर होने के बाद कोई रेल, बस,हवाई यात्रा नहीं की है, एक पुराना फोन हैं जिसमें दो साल पहले डलवाया बेलेंस अभी तक चल रहा है,  पंद्रह साल से लुंगी, चड्डी-बनियान के अलावा कोई कोई कपड़ा नहीं ख़रीदा है, हफ्ते में एक बार दाढ़ी बनाते हैं और एक ब्लेड को दो महीने चलाते हैं और बेकार हो चुकी ब्लेड से नाखून काटते हैं फिर उसीसे  पोते-पोतियों की पेंसिलें छील देते हैं |

तोताराम ने हमारे पैर पकड़े और कहा- बस, हो चुका |ये बातें मुझे तो बता दीं लेकिन किसी और के आगे चर्चा मत कर देना अन्यथा तेरी रेखाओं में एक बड़ा विकट योग बन रहा है |

हमने पूछा- क्या ?

बोला- मोदी जी परेशान हैं कि इतनी योजनाओं और घोषणाओं के बावजूद विकास क्यों नहीं हो रहा है ? उन्होंने आसाम की एक चुनाव सभा में कहा है कि एक परिवार देश के विकास में अडंगा लगा रहा है |इतनी विकास-विरोधी जीवनचर्या वाला परिवार तेरे सिवा और कौन हो सकता है ? यदि मोदी जी को पता चल गया तो शीघ्र ही मोदी जी तुझे विकास में अडंगा न लगाने के लिए मनाने के लिए आएँगे और यदि नहीं माना तो हो सकता है तुझे देश निकाला दे दिया जाएगा या देशद्रोही घोषित कर दिया जाएगा |यह भी हो सकता है कि अगले चुनाव में नारा हो- इण्डिया विदाउट तोताराम |

हमें हँसी आ गई, कहा- तोताराम, इतने चुनावी भाषणों के बाद भी तुझे अब तक पता नहीं चला कि वह परिवार कौन है ? भले ही उन्होंने आसाम में साफ-साफ उसका नाम नहीं लिया लेकिन सब जानते हैं कि उनका इशारा किधर है ? 

अब लोकतंत्र है सो क्या करें ?कुछ ऐसा-वैसा हो नहीं सकता |अच्छा है, पाँच साल बाद एक बहाना तो बचेगा मुँह छिपाने के लिए |

याद रख, भले ही विकास के नाम पर संसाधनों के निर्दय दोहन का समय चल रहा है लेकिन यदि यह दुनिया बचेगी तो हम जैसे मितव्ययी लोगों के कारण ही |विकास साधनों की अधिकता का नाम नहीं; संतोष, सादगी और प्रेम का नाम है |












No comments:

Post a Comment