Feb 2, 2016

राम हाज़िर हो

 राम हाज़िर हो

जब से मिथिला वाले ठाकुर चन्दन प्रसाद सिंह द्वारा राम पर सीता के साथ ज्यादती करने का केस दायर किया गया है,  हम और तोताराम बहुत खुश हैं | हमने कोई ऐसे बड़े पुण्य तो किए नहीं हैं कि राम हमें वन में आकर दर्शन दें | वैसे मृत्युलोक में तो कोई खास परेशानी नहीं है, किसी तरह काम चल ही रहा है, भले ही महँगाई की रफ़्तार भत्ते से दुगुनी होने के कारण ठुड्डी घुटनों तक पहुँच गई है |अब चोहत्तर के हो गए हैं और एक साल बाद कम्यूटेशन भी ख़त्म हो जाएगा और नया पे कमीशन भी आ जाएगा लेकिन यह भी तो सच है कि सन्यास आश्रम में प्रवेश कर जाएंगे |उसके बाद तो पता नहीं कब बुलावा आ जाए और ऊपर जाना पड़े |

सुना है, वहाँ न कोई झूठ चलता है और न ही सिफारिश | यदि बेलेंस शीट गड़बड़ हुई तो नरक में भी डाला जा सकता है |सो इस समाचार से मन को थोड़ी तसल्ली हुई कि चलो मिथिला चलकर कोर्ट में पहुंचे भगवन राम के दर्शन कर लें |सुना है उनके दर्शन से सब पाप कट जाते हैं |सारे पाप न भी काटें तो कम से कम नरक की यातनाओं में कुछ तो छूट मिलेगी |

इस अवसर का लाभ उठाने इस सर्दी में भी हम और तोताराम मिथिला जा पहुंचे और जज महोदय को एक पर्ची भिजवाई कि राजस्थान से आए दो वरिष्ठ सेवानिवृत्त अध्यापक आपके दर्शन करना चाहते हैं |आदमी भले थे सो बुलवा लिया | हमने कहा- साहब, राम जी की पेशी कब है ?

बोले-वह बकवास अपील खारिज कर दी गई है | जिन वकीलों को कोई काम नहीं है वे और कुछ नहीं तो चर्चित होने के लिए ऐसे उलटे-सीधे केस डाल देते हैं |अब इन्हें कौन समझाए कि कोई राम को खोजने कहाँ जाए ?

हमने कहा- साहब, अयोध्या जाएं और कहाँ ?

बोले- इतने वर्ष हो गए कोई यह भी तय नहीं कर पाया कि उनकी अयोध्या कहाँ है ? और जिसे जन्म स्थान बताया जा रहा है वह वास्तव में क्या है ? और फिर राम  भी तो कई हैं- बाल्मीकि के राम, तुलसी के राम, कबीर के राम, तोगड़िया-आडवानी-उमाभारती-अशोक सिंघल के राम, रामानंद सागर के राम |कोई कहता है कि राम कण- कण में व्याप्त हैं, कोई कहता कि वह जो बता रहा है उस खास मंदिर में ही राम हैं |तुलसी समस्त सृष्टि में राम को देखते हैं |कोई कहता है- 'मेरे पिया मेरे मन में बसत हैं' |

हमने कहा- साहब, क्या मात्र पता न होने की वज़ह से ही राम जी को नहीं बुलाया गया ?

बोले- वैसे इस केस में कोई जान भी तो नहीं है |है भी इतना पुराना कि सारे गवाह मर खप चुके |यदि कोई गुंजाइश होती तो हवा तक से उलझने वाले राम जेठमलानी क्या चूक जाते |वे तो पहले ही कह चुके हैं कि राम बुरे पति थे और लक्षण उनसे भी बुरे |ऐसे ही करने लगे तो फिर गौतम बुद्ध को भी बुलाना पड़ेगा |रावण, दुर्योधन, कंस जाने कौन-कौन |

हमने कहा- फिर भी साहब अन्याय तो अन्याय ही है |

बोले- जो लोग चालक होते हैं वे अपने वर्तमान के दायित्त्वों से ध्यान हटाने के लिए इतिहास को लेकर वितंडावाद फैलाते हैं |अरे, अन्याय आज नहीं हो रहे क्या ? उनसे ही निबट लो |जाने कैसे-कैसे लफंगे भरे पड़े हैं और क्या-क्या दुष्कर्म नहीं कर रहे ? उन्हें तो अग्रिम जमानत मिल जाती है |जेल में अधिकारी उनके पैर छूते हैं, पाँच सितारा होटल की सुविधाएं दी जाती हैं | इनके सामने जाते तो ऐसे न्याय प्रियों की नानी मरती है, उनके सामने या तो चालीसा रचने लग जाते हैं या फिर सेल्फी लेने लग जाते हैं |

हमने कहा- लेकिन फिर साहब, हमारे राम-दर्शन का क्या होगा ?

बोले- होगा क्या ? राम के दर्शन उनके कर्मों में करो | संयम सत्कर्म अपनाओ |  अब निकल लो |सर्दी का मौसम है,यदि निमोनिया गया तो राम-दर्शन और नया पे कमीशन सब धरे रह जाएँगे |

अब हमारे पास लौटने के सिवा और चारा क्या था ?

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