Oct 29, 2018

मी तू बनाम वी टू



 मी टू बनाम वी टू 

कल पड़ोस में हनुमान जी के प्रसाद का आयोजन था |हमें भी बुलावा मिला था लेकिन जीमने का कार्यक्रम थोड़ा देर से था इसलिए नहीं गए | शाम को आठ बजे ही खाना खा लेने की आदत जो ठहरी |पड़ोसी  भले हैं सो अपगे दिन मतलब आज सुबह जल्दी ही हमारे हिस्से का प्रसाद घर पर ही पहुँचा गए |

दो दिन से रात को थोड़ी ठण्ड पड़ने लग गई है |इसलिए हमने तोताराम का इंतज़ार किए बिना ही चाय पीने का मन बना लिया |कमरे में प्रसाद की कचौरी की महक फैली हुई थी सो हमारा मन कचौरी पर फिसल गया जैसे कि 'मी टू' वाले मामले में किसी प्रसिद्ध अभिनेता या संपादक का मन सुविधा देखकर अपने साथ काम करने वाली महिला पर फिसल जाता है |जैसे ही कचौरी का एक टुकड़ा मुँह में रखा, आवाज़ आई- मी टू |कहीं कोई तनुश्री या कंगना रानौत दिखाई नहीं दी |हाँ, तोताराम अवश्य दिखा |हमें आश्चर्य हुआ कि हमारे दरवाजा खोले बिना ही तोताराम कैसे अन्दर आ गया जैसे कि सावधानी बरतते-बरतते भी राफाल लीक हो गया  |शायद हमीं पड़ोसी के जाने के बाद दरवाजा बंद करना भूल गए थे |

हमने कहा-तुझे पता है तू क्या कह रहा है ?क्या तेरे साथ भी बचपन में कोई हादसा हुआ था ?

बोला- यही तो समस्या है |बना फिरता है साहित्यकार और व्यंजना का यह हाल है कि 'मी टू' के एक अर्थ से आगे सोचना ही नहीं चाहता |अरे इसका अर्थ यह भी तो हो सकता है कि हे मास्टर, अकेले-अकेले ही कचौरी खा रहा है |मुझे नहीं देगा क्या ?वैसे इस प्रचलित अर्थ में भी क्या बुराई है ? जो लोग अपने पद के नशे में महिलाओं पर अत्याचार करते रहे हैं, आज डरे हुए हैं | यह सच की ताकत है |

हमने कहा- लेकिन इतने वर्षों बाद इसकी जाँच कैसे होगी ? और फिर प्रमाण क्या हैं ?
बोला- सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि एक महिला कह रही है |यह पीड़ा एक महिला के मन में एक फोड़े के मवाद की तरह चीसती रहती है लेकिन इस पितृप्रधान समाज में लोक निंदा के भय से वह उसे दबाए रहती है |आज तक इस मामले में महिलाओं पर जाने कितने अत्याचार हुए हैं |ऐसे मामलों के लिए ही कहा गया है-
ज़बरा मारे भी और रोने भी नहीं दे |

आज बहुत से बड़े-बड़े लोगों के कारनामे इसलिए दबे हुआ हैं क्योंकि पीड़िताओं की कोई सुनवाई नहीं होगी |बिना बात अपना दुःख बताकर बदनाम और होंगी |अच्छा हुआ कि एक आन्दोलन तो चला |पीड़िताओं में हिम्मत तो आई |दुःख कह देने से मन हल्का हो जाता है |क्या पीड़ित महिलाओं को इतना भी अधिकार नहीं |और फिर इसके सच होने का यही प्रमाण है कि कई बड़े-बड़ों के चहरे उतरे हुए हैं |सच भी आत्मा की तरह न जलाया जा सकता है, न गलाया, काटा और सुखाया जा सकता है |दस साल क्या, हजार साल बाद भी सर चढ़कर बोलेगा |

हमने कहा- लेकिन इतने समय बाद यह कीचड़ उछालने से क्या फायदा ?

बोला- सच में बड़ी ताकत होती है |लोग एक झूठ को छिपाने के लिए हजार झूठ बोलते हैं |यह दुनिया जाने कितने झूठों और आडम्बरों के बोझ से दबी हुई है |एक बार समुद्र मंथन हो ही जाना चाहिए |हालाँकि उससे हालाहल विष और वारुणी भी निकलेंगे लेकिन उसी से अमृत भी निकलेगा |मेरा तो सुझाव है कि एक बार हिम्मत जुटाकर सारी दुनिया के बड़ी से बड़ी गलती किए हुए लोग अपने-अपने दुष्कर्मों यथा- यहूदियों का कत्ले आम, गोरों द्वारा कालों पर अत्याचार, तलवार के जोर पर लोगों का धर्मान्तरण, बलात्कार, अपहरण, रिश्वत, मिलावट,चोरी, गुजरात और दिल्ली के दंगों, जलियाँवाला बाग़, कश्मीर के पंडितों, गौ-रक्षा-हत्या आदि के सभी अपराधी एक बार सच्चे मन से अपने-अपने लाल किले पर खड़े होकर नाटक करने की बजाय 'मी टू' की तरह 'वी टू' बोलने का साहस जुटा लें और नए सिरे से एक साफ सुथरी दुनिया और कुंठा विहीन जीवन की शुरुआत करें |

हमने कहा- तोताराम, यही तो समस्या है |आत्ममुग्ध और हीरो बने हुए लोग अन्दर से इतने कायर हैं कि वे सच बोलने का साहस ही नहीं जुटा सकते |तभी महावीर कहते है- क्षमा वीरस्य भूषणं |क्षमा माँगना और क्षमा करना कायरों के बस का नहीं है |फिर भी हम तेरे इस अभियान के लिए सच्चे दिल से कहते हैं- आमीन |


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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