गंगा का बेटा
आज जी कुछ ठीक नहीं था लेकिन यह सोचकर संतोष कर लिया कि भले आदमियों का यही अंत होता है; चाहे ईसा हो या गाँधी |अपनी तुच्छ महत्त्वाकांक्षाओं में आत्ममुग्ध लोग उनके लक्ष्य की विराटता और दूरदृष्टि को कहाँ समझ पाते हैं ?
सुबह-सुबह एक परिचित जल-सैनिक मित्र का दिल्ली से फोन आया कि स्वामी सानंद नहीं रहे |आशंका तो पहले भी थी कि वे इस बार नहीं मानेंगे |कोई तीन महिने से उनका अनशन चल रहा था |वे दीपक की तरह अपने तेल की अंतिम बूँद तक निचोड़कर दुनिया को रोशन करते हुए निर्वाण को प्राप्त हो गए |अब चतुर लोग उनके नाम की रोशनी में गंगा-सेवा की आड़ में खुद को प्रकाशित करेंगे |
हम किससे अपने मन का दुःख कहते |तोताराम आया तो उसीसे कहा- तोताराम, स्वामी जी चले गए |
तोताराम को शायद पता नहीं था, सो बोला- क्या ? फिर कोई लम्पट बाबा जेल चला गया ?
हमने कहा- नहीं | स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की बात कर रहा हूँ |
बोला- कौन स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ?
हमने कहा- वही जो आई.आई टी.कानपुर के सिविल और पर्यावरण इंजीनीयरिंग विभाग के अध्यक्ष पद से रिटायर हुए थे |
तोताराम ने फिर प्रश्न किया- क्या कोई कोचिंग संस्थान चलाते थे ?
हमने कहा- नहीं, वे तो अविवाहित, संत और गंगा-पुत्र थे |
बोला- क्या गंगा ने उन्हें बुलाया था ?
हमने कहा- क्या गंगा किसीको बुलाती है ?
बोला- हाँ, क्यों नहीं |यदि कोई इस काबिल हो, उसकी सेवा कर सकता हो तो गंगा बुलाती भी है जैसे गंगा ने मोदी जी को गुजरात से बुलाया |मोदी जी चाहते तो बनारस क्या अमरीका से चुनाव लड़ते तो भी जीत जाते | अगर लोकसभा की सभी ५४५ सीटों पर चुनाव लड़ते तो ५४५ पर ही जीत जाते |उनके विकास के सपने हैं ही इतने आकर्षक कि कोई भी फ़िदा हो जाए |लेकिन क्या करें जब 'माँ गंगे' ने बुलाया तो फिर गंगा का सच्चा भक्त तत्काल गुजरात से वाराणसी पहुँच गया 'माँ गंगे' की सेवा में |
हमने कहा- ये कोई राजनीतिक प्राणी तो थे नहीं इसलिए शायद तुम्हें पता नहीं है |कोई बात नहीं लेकिन इस समय फालतू बातें करके हमें और दुःख मत पहुँचाओ |ज्ञान स्वरूप अग्रवाल उर्फ़ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद गंगा के अविरल प्रवाह और समस्त गंगा नदी घाटी के पर्यावरण को बचाने के लिए दशकों से सक्रिय थे |गंगा के किनारे बाँधों, तटों पर निर्माण कार्य और गंगा से रेत आदि के खनन को वे उचित नहीं मानते थे |इसके लिए उनके पास वैज्ञानिक तर्क थे |बत्तखों के पंखों से आक्सीजन वाले मूर्खतापूर्ण जुमले नहीं |
बोला- परेशान मत हो |सब ठीक हो जाएगा |गडकरी जी ने कहा है कि मार्च २०१९ तक गंगा ८०% साफ़ हो जाएगी |
हमने कहा- साढ़े चार साल में तो १०% काम हुआ बताते हैं, सच भगवान जाने |और अब छह महिने में ७०% साफ़ हो जाएगी |यह कोई नोटबंदी थोड़े ही है जो घोषणा कर दी और हो गई |
बोला- हो जाएगी | यदि कुछ उन्नीस-बीस का फर्क रहा भी तो यमुना के किनारे श्री-श्री जी जैसे किसी गिनीज बुक स्तर के नृत्य-गीत-वादन का कार्यक्रम करवा देंगे या मोरारी बापू के मन्दाकिनी के तट पर कविसम्मेलन की तरह गंगा के किनारे भी कवि सम्मेलन करवा देंगे | कोई और नहीं तो कम से कम आमंत्रित कवि तो गंगा के बहाने हमारे सफाई कार्यक्रम के गुण गाते फिरेंगे |और फिर मन्त्र-बल किस दिन काम आएगा ? मन्त्र-बल से जब त्रिशंकु का धरती से स्वर्ग में प्रक्षेपण किया जा सकता है तो गंगा भी साफ़ हो ही जाएगी |
हमने कहा- तो फिर मन्त्र-बल से ही वायु सेना को सज्जित कर दो | क्यों राफाल के चक्कर में अपनी भद्द पिटवा रहे हो |
बोला- कर तो सकते हैं लेकिन कुछ उद्योगपतियों का दलितोद्धार भी तो ज़रूरी है |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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