जगद्गुरु जी टॉयलेट में हैं
आज तोताराम के साथ एक और सज्जन थे |शक्ल-सूरत से योरोपियन से लग रहे थे |वैसे हम मेक इन इण्डिया की तरह किसी फोरेन इन्वेस्टमेंट के झाँसे में नहीं हैं |यहाँ तो जन्म ही वेस्ट जा रहा है तो किस 'इन' 'आउट' के चक्कर में पड़ें |फिर भी पर्यटन विभाग के नारे 'अतिथि देवो भव' का सम्मान करते हुए, अन्दर से एक दरी लाए और चाय भी गिलास की जगह कप-प्लेट में |
जैसे ही चाय पीना शुरू किया तो हमने उन सज्जन से पधारने का कारण पूछा, बोले- हम तो जगद्गुरु जी से मिलने आए हैं ?
हमने कहा- बन्धु, पता नहीं, आप किस देश से आए हैं ? देशभक्तों और राष्ट्राभिमानी साथियों से सुना है कि आज़ादी से पहले भी जर्मनी, फ़्रांस, स्पेन, ब्रिटेन आदि से बहुत से लोग आए थे और हमें बहला फुसलाकर हमारे वेदों में से सारा ज्ञान निकालकर ले गए |अब हमें छोटे-मोटे प्लेन तक के लिए फ़्रांस जैसे देशों से महँगा सौदा करना पड़ता है |मोबाइल फोन तक के लिए चीन और साउथ कोरिया को आमंत्रित करना पड़ता है |यह तो भला हो कुछ वैज्ञानिक सोच वाले देश भक्तों का कि वेदों के उस सपरेटे में से भी प्लास्टिक सर्जरी ढूँढ़ निकाली, गटर में से गैस की गवेषणा कर ली | महाभारत में इंटरनेट तलाश लिया | बतखों के फड़फड़ाने से ऑक्सीजन खींच ली |
तोताराम बोला- मास्टर, तुम इन पर क्यों इतना नाराज़ हो रहे हो ? ये तो बेचारे इस देश के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने आए हैं |योरप के लोगों का तो हमें कृतज्ञ होना चाहिए कि वेदों का प्रथम भाष्य लिखने और उन्हें प्रकाशित कराने का काम किसी भारतीय से पहले योरप वालों ने किया |हिंदी का पहला व्याकरण भी किसी विदेशी ने ही लिखा | यदि वेदों में कुछ था तो हजारों वर्षों से तुमने इनमें से कुछ निकला क्यों नहीं ? और अब निकाल लो |
हमने अपना स्वर नीचा करते हुए कहा- हमें भी इनसे कोई व्यक्तिगत नाराज़गी नहीं है |फिर उन सज्जन की तरफ मुखातिब होते हुए कहा- बुरा मत मानिए |कहिए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ ?
सज्जन बोले- कुछ नहीं |मैं तो वैसे ही किसी काम से भारत आया था |आपकी शेखावाटी की हवेलियों के बारे बहुत सुना था तो उन्हें देखने रामगढ़, फतेहपुर की तरफ चला गया था |आजकल आपके यहाँ रोड़वेज की बसों की हड़ताल चल रही है |यहाँ मंडी के पास बस के चक्कर में घूम रहा था तो आपके इन मित्र ने चाय का निमंत्रण दे दिया |बस, अब आपके सामने हूँ |यदि जगद् गुरु जी के बारे में कुछ मार्गदर्शन कर सकें तो बड़ी कृपा होगी |
हमने कहा- बन्धु, यहाँ तो जब सारा देश ही पिछले चार साल से शौचालय में घुसा हुआ पता नहीं, किस सोच-विचार में व्यस्त है तो जगद् गुरु भी शौचालय के अतिरिक्त और कहाँ हो सकते हैं ?चिंतित तो हम भी हैं लेकिन क्या करें ? अमिताभ बच्चन के कहने के अनुसार 'बीमारी बंद' के लिए जगद् गुरु जी ने अन्दर से 'कुण्डी बंद' कर रखी है | हो सकता है अन्दर मुंडी भी हिला रहे हों |यदि बाहर आ भी गए तो नवरात्रा आने वाले हैं तो स्थापना से पहले "शौचालय-पूजन' में लग जाएँगे |
तोताराम बोला- यह 'शौचालय-पूजन' का क्या चक्कर है ?
हमने कहा- हमारा कोई चक्कर नहीं है |यह तो अलीगढ जिला प्रशासन का आदेश है कि दुर्गा पूजा की घटस्थापना से पहले लोग 'शौचालय-पूजन' करें |
इसके बाद हमने आगंतुक की तरफ मुखातिब होते हुए कहा- महाशय, अब तो २०१९ के चुनाव के बाद ही आप पधारें |तब शायद इस देश को शौचालय से थोड़ी सी फुर्सत मिले |वैसे आपने चौधरी और पंडित जी का 'मल धुलाई वाला किस्सा' तो सुना ही होगा |नहीं सुना तो तोताराम सुना देगा |इस उम्र में हम सुनाते अच्छे नहीं लगेंगे |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
बढ़िया मार।
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