चलता फिरता चुटकुला
अमरीका के कैलिफोर्निया राज्य में सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक शिक्षिका एवालिन लिजेट ने बच्चों से कोई चुटकला लिखने को कहा | रात को बच्चों का असाइनमेंट जाँचते समय जब एक बच्चे का चुटकुला जब अध्यापिका के सामने आया तो उसकी प्रतिक्रिया थी- आज तो मेरी रात बन गई |मतलब मज़ा आ गया | बच्चे ने चुटकुले के रूप में में केवल दो शब्द लिखे थे- अवर प्रेसिडेंट अर्थात डोनाल्ड ट्रंप |
जैसे ही तोताराम आया, हमने उसे यह समाचार पढ़वाया तो बोला- मुझे पता है |बच्चे का क्या है ? बच्चा तो हर बात में कोई न कोई मनोरंजन का मसाला निकाल लेता है लेकिन मुझे तो उआकी अध्यापिका और उसके द्वारा शेयर किए गए इस ट्वीट को पसंद करने वाले लोगों पर तरस आता है |और सबसे ज्यादा तरस तुझ जैसे बुद्धिजीवी बने फिरते बुज़ुर्ग पर आता है जो चुटकुलों पर मज़े लेता है |
हमने कहा- अपने सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है | यदि लोगों के विचारों की गैस नहीं निकलती है तो कुकर फट सकता है |इसलिए जिस अमरीकी बच्चे ने ट्रंप को चलता-फिरता साक्षात् चुटकुला कहा है वह अमरीका के लोकतंत्र की अभिव्यक्ति की आज़ादी का प्रमाण है कि उनका सेफ्टी वाल्व ठीक है |
बोला- ये चुटकुले, ये तमाशे दिखाकर चतुर लोग जनता को उल्लू बनाते रहते हैं |जनता खुश होती रहती है कि लोकतंत्र में नेता का भी मज़ाक बना सकती है लेकिन इस मज़ाक बनाने से मिलता क्या है ? लोग हँसते रहते हैं और चुटकुला बना नेता अपने मन की करता रहता है |राजनारायण, लालू और भी बहुत से फालतू बातें बनाने वाले नेता करते कुछ नहीं |बस, बचकानी बातें करते रहते हैं और चुनाव दर चुनाव जीतते रहते हैं |लोग ट्रंप के तमाशों का मज़ा ले रहे हैं और वह अपने पूर्ववर्तियों की सभी ढंग की योजनाओं और अमरीका की छवि का सत्यानाश किए जा रहा है |हमारे यह चुटकुलों की कौनसी कमी है ? दिल्ली से एक चुटकुला चलता है और गाँव के सरपंच तक उसीको पलते रहते हैं |जैसे चुटकुलेबाजों ने कविसम्मेलनों का सत्यानाश कर दिया वैसे ही नेताओं ने भी चुटकलों के चक्कर में राजनीति का सत्यानाश कर दिया है |
हमने कहा- लेकिन अब तो हमारा देश तो बहुत परिपक्व हो गया है |सब विकास, स्वच्छता, रोजगार और जनकल्याण के कामों में लगे हुए हैं |पिछले साठ वर्षों में कुछ नहीं हुआ जबकि पिछले चार वर्षों में देश कहाँ से कहाँ पहुँच गया |
बोला- देशद्रोह के आरोप और रक्षकों के डर के मारे कोई बोल नहीं रहा है लेकिन ये जुमले, गाली-गलौज, भ्रामक और विभाजक स्टेटमेंट क्या है ? क्या ये चुटकुले नहीं हैं ? क्या हासिल हो रहा है इनसे ?
बोला- ये ट्रंप की तरह कोई बचकानी बातें थोड़े ही हैं |ये तो हमारे प्राचीन ज्ञान, राष्ट्र की अस्मिता, आत्म-गौरव और शुद्ध देशी प्रतिभा के प्रमाण हैं |
हमने कहा- कोई बात नहीं |चुटकुला मत मान लेकिन हमारे लोक में जो ढपोरशंख और लाल बुझक्कड़ नाम के पात्र और आजकल हो रहे उनके अवतार क्या किसी शाश्वत, जीवंत और चलते-फिरते चुटकुलों से कम हैं ?
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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