Nov 11, 2019

क्रिकेट की कोचिंग



क्रिकेट कोचिंग की तैयारी 


आज बरामदे में बैठे थे कि तोताराम नीले रंग की साइड में पट्टी वाली पजामी, टी शर्ट और कैप लगाए फुदकता हुआ हमारे सामने आ खड़ा हुआ
हमने पूछा- क्या बात है ? कहीं मोदी जी ने तुझे ‘हम फिट तो भारत फिट’ के तहत कोई चेलेंज तो नहीं दे दिया
बोला- हमें कोई क्या चेलेंज देगा ? हम तो जन्मजात फिट हैं। पिछले साठ सालों से वही 28 इंच का सीना और 47 किलो वजन। किया है किसी ने ऐसा मेंटेन ?
हमने कहा- नहीं बन्धु, यह तुम्हारे अलावा किसी और के द्वारा कैसे संभव हो सकता है? नेताओं का वज़न भी विभाग के अनुसार थोड़ा-बहुत घटता-बढ़ता रहता है। चाहो तो ट्विटर पर यह महत्त्वपूर्ण ज्ञान देश के फिटत्वाभिलाषी युवाओं से शेयर कर सकते हो
बोला- मुझे न तो 'फिट इंडिया' से मतलब है और न ही किसी ट्विटर से। मैं तो अगस्त 2021 से टीम इंडिया को क्रिकेट की कोचिंग देने की तैयारी कर रहा हूँ | 
हमने कहा- यह ठीक है कि कल्याण सिंह जी की तरह न तेरा तन टायर और न तेरा मन रिटायर।लेकिन याद रख नेताओं की बात और है। वे तो 100 साल की उम्र में भी कुर्सी की शोभा बढ़ा सकते हैं। कोई चेकिंग न करे तो कुर्सी पर मरा पड़ा हुआ नेता भी भ्रम-भ्रम में दस-बीस दिन निकाल सकता है। क्या क्रिकेट में निर्देशक मंडल का सिद्धांत लागू नहीं है? तुझे पता होना चाहिए क्रिकेट कोई जुमले फेंकने का खेल नहीं है
बोला- सो तो मुझे भी पता है लेकिन मैं तो रवि शास्त्री और दूसरे अधिकारियों की सैलरी देखकर आकर्षित हो गया हूँ |
हमने कहा- लेकिन मुख्य कोच, फील्डिंग कोच और बैटिंग कोच में से कौन-सा काम तेरे वश का है ?
बोला- क्रिकेट में ये तीन काम ही होते हैं क्या ? क्रिकेट में हाफ सेंचुरी या सेंचुरी बनाने के बाद दर्शकों की प्रशंसा पर प्रतिक्रिया देनी होती है, छक्का या चौका लगाने के बाद रिएक्शन देना होता है,
Image result for विकेट लेने के बाद ख़ुशी में ताकत का प्रदर्शन

विकेट लेने पर हाथ को कुहनी से मोड़कर जोर से भस्त्रिका प्राणायाम जैसा झटका देना होता है, किसी को चिढ़ाना होता है, किसी को गुस्सा दिलाकर विचलित करना होता है, विकेट लेने वाले को हाई-फाई देना होता है, जीरो पर आउट होने पर बैट झटकना या गुस्सा ज़ाहिर करना होता है, कैच छूटने पर भी कई दूर तक फिसल कर दिखाना होता है कि कोशिश में कोई कमी नहीं थी- ऐसे बहुत से काम हैं जो किसी एक के वश के नहीं हैं

और फिर हार के वाजिब कारण भी तो बताने होते हैं। ये सब काम किसी एक के वश के नहीं हैं। जबकि मैं ये अतिरिक्त काम अच्छी तरह से कर सकता हूं।

हमने कहा- यह बात तो है। जैसे एक काम करने वाला मंत्री होता है तो दस उसकी असफलता का उत्तर देने वाले होते हैं। पता कर ले, हो सकता है तेरे लिए भी ऐसी ही कोई जगह निकल आए।  

















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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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