Nov 23, 2019

गाँधी-भक्तों के प्रकार



गाँधी-भक्तों के प्रकार   

आज सवेरे तोताराम नहीं आया |हो सकता है चाय से बड़ा कोई और कार्यक्रम आ पड़ा हो | वैसे आजकल चाय से बड़ा और महत्वपूर्ण कार्यक्रम देश में है तो नहीं फिर भी....|

मोदी जी के जल-संरक्षण कार्यक्रम के बिना भी हमारी गली में जल या तो नालियों में पूरी तरह संरक्षित और सुरक्षित है या फिर कोई मात्र छह इंच की गहराई पर डाली गई सप्लाई लाइन के बार-बार टूटते रहने से सड़क पर प्रवाहित होता रहता है |आज भी घर के सामने एक पाइप टूट गया |चूँकि गाँधी जयंती है |सब ज़रूरी काम बंद |बस उत्सव |
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 तो देश अपने-अपने हिसाब से गाँधीमय हो रहा है- गाँधी के पुराने भक्त 'महाश्रमदान' का आयोजन कर रहे हैं तो नए भक्त चुनावी गौशाला के लिए चंदा जुटाने हेतु गाँधी को 'संकल्प-यात्रा' के बहाने  गौपाष्टमी की गाय की तरह घुमा रहे हैं | हम गाँधी के भक्त नहीं हैं अनुयायी हैं सो जितना बन पड़ता है कार्य रूप में कर लेते हैं जिनमें प्रमुख है- सादगी |इससे दो फायदे हैं एक तो पैर चादर से बाहर नहीं निकलते |निकालें भी किसके दम पर |हम कौन नीरव मोदी हैं जो हमें कोई बैंक  वापिस न करने वाला ग्यारह हजार करोड़ी ऋण दे देगा |दूसरा फायदा यह कि गाँधी के बहाने से गरीबी को गरिमामय बनाने में मदद मिल जाती है जैसे मोदी जी ने विकलांगों को एक ही झटके में दिव्य बना दिया |अंग-अंग दिव्य- दिव्यांग |

हालत पटना जैसी नहीं थी फिर भी हम बरामदे में बैठे 'प्रलय-प्रवाह' तो नहीं लेकिन टूटी हुई पाइप से बुडबुड कर निकलते ऊर्ध्व मुखी जल को निहार रहे थे कि कोई दस बजे तोताराम प्रकट हुआ |झकाझक सफ़ेद प्रेस किया हुआ कुरता-पायजामा और बगल में कपड़े का एक थैला |

हमने पूछा- कहाँ से पधार रहे हैं महाशय ?

बोला- आज के दिन और कहाँ से पधार सकते हैं ? राष्ट्रपिता के कार्यक्रम से पधार रहे हैं ?

हमने पूछा- कौनसे राष्ट्रपिता ?

बोला- राष्ट्रपिता भी किसी देश में दो-चार होते हैं क्या ?अमेरिका में वाशिंगटन, रूस में लेनिन, चीन में माओत्सेतुंग, वियतनाम में हो ची मिह्न, भारत में महात्मा गाँधी |

हमने कहा- पहले तो हम भी यही समझते थे लेकिन अब ज़माना बदल गया है |पहले राष्ट्रपिता को सुभाष जैसे महापुरुष मनोनीत करते थे लेकिन अब यह अधिकार ट्रंप ने ले लिया है | क्या बताएँ, दुनिया के सबसे ताक़तवर देश हैं जो चाहें करें |

बोला- मैं तो महात्मा गाँधी वाले कार्यक्रम में गया था |

हमने कहा- उसमें भी गाँधी दो हैं एक तो वे जो सीकर में महाश्रमदान का आयोजन कर रहे हैं और दूसरे वे जो मजबूरी में गाँधी को बाँस पर टांगकर पदयात्रा कर रहे हैं |

बोला- मैं तो श्रमदान वाले कार्यक्रम में गया था |

हमने कहा- श्रमदान करके आ रहा है और तो कपड़ों पर एक भी सलवट और , कपड़ों पर मिट्टी का एक भी दाग क्यों नहीं है ? न ही पसीने की कोई गंध |यह कैसा श्रमदान किया ?

बोला- आजकाल ऐसा ही श्रमदान होता है जैसे कि पिछले पाँच सालों से स्वच्छ-भारत में हो रहा है |

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'संकल्प यात्रा' हो या' सन्देश यात्रा' दोनों एक ही नाटक के दो दृश्य हैं |'संकल्प' मतलब किसी भी हालत में कुर्सी पकड़े रखना;  'सन्देश' यह कि वोट नहीं दिया तो देख लेना.....|  

हमने कहा- फिर भी किसी भीड़ में शामिल होने से पहले सेवक की लेटेस्ट पार्टी- पोजीशन को जान लेना चाहिए |क्या पता, तू जाए किसी एक पार्टी का समझकर और तब तक वह जनसेवक टिकट न मिलने पर किसी दूसरी पार्टी में चला गया हो |

बोला- है तो बड़ा चक्कर |फिर भी कोई मोटामोटी पहचान यदि तुझे समझ में आती हो तो बता |

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हमने कहा- वैसे तो आजकल सेवक भी फैशनेबल हो गए हैं |सबको अपने ब्यूटीपार्लर में सेट करवाए हुए बालों की सेटिंग बिगड़ने का डर लगता है इसलिए टोपी नहीं पहनते, दूसरों को ही मूंडकर अपनी टोपी पहनाने के चक्कर में रहते हैं |फिर भी एक मोटी-सी पहचान यह हो सकती है कि जो दो अक्तूबर को सफ़ेद टोपी पहनते हैं वे देश की अब तक की सभी समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार पार्टी के हैं और जो इसके दस-पाँच दिन बाद काली टोपी पहनते हैं वे देशभक्त और दिन दूना और रात चौगुना विकास करने वाले हैं |

और इन दोनों कार्यक्रमों के अलावा देश में गाँधी को लेकर एक और कार्यक्रम चल रहा है जो इन दोनों से भी उच्च स्तर का है |

बोला- वह क्या कार्यक्रम है और उसे कौन चलाते हैं ?

हमने कहा- उनके प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं का हरावल दस्ता भी मौके की तलाश में दिल्ली में ही जमा हुआ है |वे सडकों पर नहीं निकलते |वे अपने कार्यालय में ही गाँधी के पुतले को गोली मारने की तांत्रिक क्रिया करते हैं |

बोला- इन्हें कैसे पहचानेंगे ?

हमने कहा- ये गाँधी को मुस्लिमपरस्त, देश का विभाजन करवाने वाला और वध के योग्य मानते हैं | इस २ अक्तूबर से भाजपा की' संकल्प यात्रा' और कांग्रेस की 'सन्देश यात्रा' की तरह वे भी  'गाँधी शवयात्रा' निकाल रहे हैं | यदि तेरा कोई राष्ट्रवादी वाट्सऐप ग्रुप हो तो उसमें  'गोडसे अमर रहे' का मेसेज भी वाइरल हो रहा होगा |यदि देश-प्रेम को सन्निपात तक पहुँचाना है तो उसे देख लिया कर |

बोला- ऐसी घृणा और हिंसा को आदर्श मानने वाले इसी देश में संभव है |

हमने पूछा- कैसे ?

बोला- आगे की कथा चाय के बाद |


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