कल से चाय बंद
आज तोताराम बैठा नहीं |बरामदे के नीचे खड़े-खड़े ही बोला- आज मेरे लिए चाय मत बनवाना |
तभी पत्नी चाय ले आई |
बोली- क्या बात है लाला, मास्टर जी से झगड़ा हो गया या मैना ने कुछ कह दिया ?
बोला- मैं इन दोनों की परवाह नहीं करता | न इनको और, न मुझे ठौर | लेकिन आज विकट मामला फँस गया है |
अब तो हमारे भी कान खड़े हो गए |
पूछा- क्या चक्कर है ? साफ़-साफ़ बता |
बोला- रीवा (मध्य प्रदेश ) के ज्ञान नायक तिवारी का नाम पुलिस ने अपने 'गुंडा रजिस्टर' में दर्ज कर रखा है | वे परेशान हैं कि उनका नाम इसमें क्यों दर्ज है ? इसका कारण जानने के लिए उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत याचिका लगाई तो दो साल बाद पुलिस ने जवाब में कहा- चूंकि वे चाय की दुकान पर बैठते हैं इसलिए उनका नाम 'गुंडा रजिस्टर' में दर्ज किया गया है |यदि किसी को पता चल गया तो पता नहीं, पुलिस मेरे साथ सलूक करे |मंत्रियों की तरह बयान भी नहीं बदल सकता | लिखित सबूत है |तेरे आलेखों में मेरा तेरे यहाँ रोज चाय पीने और चर्चा करने का ज़िक्र है |
हमने कहा- यह भी कोई बात है ? भारत में लोकतंत्र है |इस तरह से किसी को गुंडा नहीं बताया जा सकता |जब एक चाय बेचने वाला व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है,वोट के लिए 'चाय पर चर्चा' कर सकता है, और चुनाव जीत भी सकता है और भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है तो उससे चाय पीने वाले व्यक्ति को तो बिना चुनाव के ही कम से कम सरपंच तो बना ही दिया जाना चाहिए | जब कि ये उल्टा कर रहे हैं |लेकिन पुलिस भी पूरी तरह से गलत नहीं हो सकती |चाणक्य का भी कहना है कि राजा को शराबखानों, वेश्याओं, मेलों, उत्सवों में अपने जासूसों को नियुक्त करना चाहिए क्योंकि इन स्थानों पर अपराधियों और षड्यंत्रकारियों के पाए जाने की संभावना रहती है |जो बिना बात अपना घर छोड़कर कहीं अड्डा जमता है तो भगवद्भक्ति तो करेगा नहीं |फालतू बातें ही करेगा |हमें तेरा चिंतित होना वाजिब लगता है |क्या पता मामला क्या टर्न ले ले |
बोला- तो फिर मैं अखबार में एक सूचना छपवा देता हूँ कि मैंने कभी मास्टर के बरामदे में चाय नहीं पी |यदि चाय पी भी तो बैठकबाजी नहीं की |यदि बैठकबाजी की भी तो राजनैतिक चर्चा नहीं की | यदि राजनैतिक चर्चा की भी तो सरकार के विरुद्ध कुछ भी नहीं कहा |यदि कहा भी तो मेरा उद्देश्य किसी के दिन ठेस पहुँचाना नहीं था |फिर भी यदि ठेस पहुँची हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ |भविष्य में यदि बरामदे में बैठा और चाय पर चर्चा करता पाया जाऊँ तो मुझे वही सजा दी जा सकती है जो एक देशद्रोही को दी जाती है |
हमने कहा- हम तो तुझे वैसे ही डरा रहे थे |अभी देश में ऐसी डिक्टेटरशिप नहीं है कि हमारे यहाँ चाय पीने पर ही तुझे गुंडा घोषित कर दिया जाए | कुछ हो भी जाए तो एक वाक्य बोल देना- 'ये नियम देश का सत्यानाश करने वाली कांग्रेस के समय में बनाए गए हैं' | फिर देखना कैसे सौ गुनाह माफ़ हो जाते हैं |
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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