May 26, 2020

कोई तो चक्कर है ज़रूर



 कोई तो चक्कर है ज़रूर 

हमने कहा- तोताराम, अमरीका के महान टीका वैज्ञानिक और राष्ट्रपति ट्रंप जी के अनुसार क्या कीटनाशक का इंजेक्शन लगाकर कोरोना के वायरस को नहीं मारा जा सकता ? बहुत स्वाभाविक और तार्किक जिज्ञासा है |ऐसी जिज्ञासाओं से ही महान आविष्कारों का आधार तैयार होता है |टीके के कई आविष्कारकों ने इसी तरह के साहसिक प्रयोग किए तब कहीं जाकर टीके बने | अभी हमारे यहाँ के लालबुझक्कड़ जी का स्टेटमेंट नहीं आया है |जब सब लोग इस बारे में सिर खपा लेंगे तब उनका भी एक्सपर्ट कमेन्ट आ ही जाएगा |फ़िलहाल तो दूसरी-तीसरी पायदान के वैज्ञानिक अपना मत प्रकट कर रहे हैं जैसे सड़कों पर गड्ढे वाले मंत्री गड़करी जी |उन्होंने ट्रंप साहब का समर्थन करते हुए कहा है कि  यह वायरस लैब से ही फैला है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि कोरोना वायरस नैसर्गिक (प्राकृतिक) नहीं है बल्कि लैब में तैयार हुआ है। हमें कोरोना के साथ जीवन जीने की कला को समझना होगा। एक टी वी चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने यह बात कही। 



बोला- इसमें कुछ पढ़ने-समझाने की क्या बात है ? भगवान केवल काम की चीजें बनाता है लेकिन आदमी अपने स्वार्थ के लिए उस व्यवस्था में टांग अड़ाता है जैसे कि साहिर के शब्दों में-

मालिक ने तो सौंपी थी हमें एक ही धरती 
हमने कहीं भारत, कहीं ईरान बनाया |

हमने कहा- लेकिन सबके अलग धर्म-जातियाँ हैं ऐसे में सारी दुनिया को एक देश तो नहीं बनाया जा सकता |जब अलग-अलग देश होंगे तभी तो बहुत से लोगों को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बनाने का मौका मिलेगा |

बोला- ठीक है लेकिन यह भी तो इस कोरोना के बहाने समझ लेना चाहिए कि सुख और अच्छाई का भले ही विस्तार न हो लेकिन बुराई सभी सीमाओं को तोड़कर बड़ी तेज़ी से फैलती है | कहीं तैयार हुआ हो कोरोना का वायरस लेकिन अब परेशान तो सारी दुनिया को कर रहा है |जल और वायु का प्रदूषण क्या एक देश तक सीमित रहता है |अब पाकिस्तान से अपने राजस्थान में आ रही हैं टिड्डियाँ |कर दो इनके लिए सीमाएँ बंद |कहावत है- घोसियों के घर जलेंगे तो वहाँ के चूहे क्या सुख से रह सकेंगे ? 

सारी धरती ही क्या, समस्त सृष्टि को एक इकाई मानकर ही उसके कल्याण की बात समझी-सोची जा सकती है |


हमने कहा- तोताराम, आज तुमने कोरोना के बहाने बहुत बड़ी दार्शनिक बात कह दी है लेकिन यह स्वार्थी और छोटी सोच के नेताओं को समझ आए तब ना ? वैसे गड़करी जी की बात का एक और आयाम समझ में आता है कि तथाकथित राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थाएं भी एक प्रकार की प्रयोगशालाएं ही हैं जिनमें तरह-तरह के संकीर्ण विचारों वाले कट्टरपंथी, आतंकवादी और मानवताद्रोही विचारों के लोग तैयार किए जाते हैं |अन्यथा सहज रूप से तो समाज में सभी लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर, आपसी सहयोग से सुख-दुःख मिल-बाँटकर जी लेते हैं |गाय तो सही दूध देती है लेकिन नकली दूध-मावा और पनीर तो मनुष्य खुराफाती प्रयोगशालाओं में ही तैयार करता है |क्या अमरीका द्वारा जापान पर गिराया गया अणुबम या रूस की ए.के. फोर्टी सेवन किसी पेड़ पर लगे थे ? ये सब कुटिल लोगों की दिमागी प्रयोगशाओं में पहले बने थे |

बोला- यह तो पता नहीं कब तय होगा कि कोरोना किस प्रयोगशाला में तैयार हुआ लेकिन यह सत्य है कि सभी नेता कोरोना की आड़ में अपनी रोटियाँ सेंक रहे हैं |लाखों करोड़ के बजट को ठिकाने लगाने का षड्यंत्र कर रहे हैं |कोरोना को किसी ख़ास धर्म-जाति और रंग से जोड़कर पुरानी दुश्मनियाँ निकाल रहे हैं | 

3D render: Corona virus - Schematic image of viruses of the Corona family

An illustration of the influenza virus cells .3d Illustration.

Group of virus cells. 3D illustration of Coronavirus cells

कभी कोरोना सवर्णों का भगवा हो जाता है तो कभी दलितों का नीला और कभी मुसलमानों का हरा ? कोई तो चक्कर है ज़रूर |यह सब ऐसे ही तो नहीं हो जाता |इनकी भी कोई न कोई लेबोरेटरी ज़रूर है |जहाँ बचपन से ही यह रंगान्धता विकसित कर दी जाती है |एक बार घृणा का यह वायरस दिमाग में फिट हो जाए |बस, फिर तो वह न सच्चा मुसलमान रहता है और न ही सच्चा हिन्दू रहता है |फिर तो वह फिल्म 'धर्मपुत्र' में साहिर के गीत को उलटकर 'शैतान' हो जाता है-

तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा
शैतान की औलाद है शैतान बनेगा |
  
हमने पूछा- तो बता अब चाय पिएगा या किसी प्रयोगशाला में तैयार हुआ ठंडा पिएगा ?

बोला- आज तो घड़े के ठंडे पानी में लेमन टी हो जाए |




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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