उल्लू और उल्लू के पट्ठे
हम तो लक्ष्मी का अर्थ मानते हैं- श्रम |पहले जब मूल्य काम की चीजों में केन्द्रित थे तो हीरे, जवाहरात, सोना-चाँदी सब व्यर्थ थे |आज भी क्या कोई भूखा व्यक्ति इन्हें खा सकता है ?क्या ये किसी बीमारी की दवा हैं ? बैंक बेलेंस का क्या अर्थ है ? पहले जब बैंक निजी थे तो कभी-कभी बैंक वाले ग्राहकों का पैसा लेकर चम्पत हो जाते थे |अपने लोगों को खाली गोदाम पर ताला लगाकर कर्जा दे देते थे |राष्ट्रीयकरण के बाद यह बदमाशी रुकी लेकिन अब पता नहीं, पिछले दो सालों से किस कला के तहत बैंक दिवालिया होने लगे |
हमने अपने बचपन में लक्ष्मी पूजन में कभी, कहीं, किसी रूप में बाज़ार को नहीं देखा |दिवाली के बाद अन्नकूट मनता था जिसमें मंदिर में अर्पित कृषि सामग्री से प्रसाद बनता था और बंटता था |हमें तब पता नहीं था कि उल्लू का लक्ष्मी से कोई संबंध था |विद्यालय में गुरूजी जब किसी को 'उल्लू का पट्ठा' कहते थे तो हम उल्लू को मूर्खों का उस्ताद समझकर खुश हो जाते थे कि इसका निहितार्थ गुरूजी को ही 'उल्लू' के पद पर अभिषिक्त कर रहा है |
वैसे लक्ष्मी के कई वाहन माने जाते हैं- कमल, हाथी, मगरमच्छ, उल्लू आदि |जब विष्णु के साथ लॉन्ग ड्राइव पर जाती हैं तो गरुड़ पर |और शयन करती हैं तो शेष नाग पर | वैसे ही जैसे पैसे वालों के पास तरह-तरह की कारें होती हैं और वे शौक के लिए घोड़े, बग्घी आदि की सवारी भी करते हैं जैसे ब्रिटेन की महारानी, राष्ट्रपति |एक बार मुलायम सिंह जी के लिए भी इंग्लैण्ड से बग्घी मंगवाई गई थी |जैसे लालू जी ब्रोकली का सूप पसंद करते थे |वैसे गाँव वालों का खाना, नाश्ता और उसे करने का तरीका हम अच्छी तरह से जानते हैं |हम खुद सवेरे रात की ठंडी रोटी सर्दियों में दूध और गरमियों में दही के साथ खाते हैं |
हमारे यहाँ मासूम लोगों को समझाया जाता है कि उल्लू का अर्थ होता है बेवकूफ |जब किसी मूर्ख को उल्लू का पट्ठा कहा जाता है तो हम समझते हैं कि उल्लू तो हम से भी बड़ा बेवकूफ होता होगा और संतुष्ट हो जाते हैं |
अभी-अभी नेट पर एक समाचार पढ़कर हमने तोताराम से कहा- तोताराम, अभी ट्रंप की एक प्रशंसक अमेरिकन कंजर्वेटिव कमेंटेटर और टेलीविजन होस्ट टोमी लैरेन ने ट्रंप के लिए समर्थन जुटाने के प्रयास में भारतीय लोगों को ट्रंप के कैम्पेन 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' को भारी समर्थन देने के लिए धन्यवाद देते हुए कह रही थीं कि ट्रंप 'उल्लू' की तरह तेज और समझदार हैं |ख़ुशी है कि उसने हिंदी शब्द 'उल्लू' का उपयोग और उच्चारण करके हिंदी को सम्मान दिया जैसे फरवरी २०२० में ट्रंप ने अहमदाबाद में 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम में स्वामी विवेकानंद को स्वामी विवेकामॉनन्न, सचिन तेंडुलकर को ‘सुच्चिन तेंडुलकॉर’, विराट कोहली ‘विराट कोली’, चायवाला को 'चीवाला', शोले को ‘शोजे’ और वेद ‘वेस्ताज’ उच्चारित करके भी हिंदी को सम्मान तो दिया ही था |लेकिन टेमी के उच्चारण में कोई गलती नहीं थी |उसे सभी हिंदी भाषियों ने 'उल्लू' ठीक ही सुना और समझा |

तोताराम बोला- स्कूल के बाद कई दिनों तक मैं भी उल्लू का मतलब मूर्ख समझता रहा लेकिन बाद में समझ में आया कि बात ऐसी नहीं है |जो जीव लक्ष्मी के इतना निकट रहता हो और उसके पास ही स्थापित गणेश जी के चूहों पर हाथ साफ़ कर जाता हो और उन्हें पता ही नहीं लगाने देता हो |ऐसा जीव क्या चीज होगा, सोच लीजिए |हमें ऐसे जीवों में बड़ी संभावनाएं नज़र आती हैं |लालू जी की गँवई बातों से लोगों का मनोरंजन होता था |लोग उन्हें भोला और सीधा-सादा समझते थे लेकिन उन्होंने मनेजमेंट का जो जादू दिखाया वह बहुत रेयर है |बहुत से ज़मीन से जुड़े लोग दीमक भी हो सकते हैं | दुनिया का तो पता नहीं लेकिन भारत में आजकल दीमक बहुत बड़ी समस्या है |सब कुछ खा भी जाती है और पता ही नहीं चलता |यही हाल रात्रि-चर चमगादड़ का है |वह भी उल्लू का ही भाई है |दोनों ही पता नहीं कब-क्या गुल खिला जाते हैं ?
इसी तरह ट्रंप भी भोले और बावले होने का नाटक करते हैं |लाइजोल का इंजेक्शन लगवाने की बात करके वे अपनी मासूमियत से तथाकथित बुद्धिमान लोगों को गर्व करने का मौका देकर अपना पट्ठा बना लेते हैं जिसका हिंदी में अर्थ होता है मूर्ख बनाना |
हमने कहा- हाँ तोताराम, सच उल्लू किसी को उल्लू नहीं बनाता |वह जिसको भी बनाता है अपना पट्ठा बनाता है |उल्लू इन्हीं पट्ठों के बल पर अपना उल्लू सीधा करता है |खुद भला बना रहता है और अपने पट्ठों से कहीं भी लिंचिंग करवा देता है, ट्रोल करवा देता है, अपहरण और बलात्कार करवा देता है | क्या किसी अपराध में आपने किसी उल्लू को दण्डित होते देखा-सुना ? हर शासनोत्सुक या शासक उल्लू को पट्ठों की ज़रूरत पड़ती है |कभी वे पार्टी के नाम पर होते हैं तो कभी स्वयंसेवी संस्थानों में |तरह-तरह की कल्याणकारी योजनाओं में भी वे ही पाए जाते हैं |
तोताराम बोला- यदि लोग उल्लू समझकर ही सही, सत्ता सौंप देते हैं तो यह सौदा सस्ता ही है |
एक किस्सा सुन- एक छोटा बच्चा लाला की दुकान पर कुछ सामान लेने आया और बोला- ऐ लाला, इतनि-इतनी फलां चीज दे |
वहीँ कुछ सामान खरीदने आए एक मास्टर जी भी खड़े थे |बच्चे के जाने के बाद बोले- लाला जी, यह कल का छोकरा आपको 'ऐ लाला' बोल रहा था, आपको बुरा नहीं लगा ?
लाला ने कहा- मास्टर जी, हमें 'जी' से नहीं, दो पैसे कमाने से मतलब है |आप भी चाहे तो गधे का बच्चा कह लो लेकिन मोटी बिक्री तो करवाओ |
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