Oct 13, 2020

गाँधी का एक और चश्मा

गाँधी का एक और चश्मा 


आज तोताराम ने फिर ब्रेकिंग न्यूज प्रसारित कर दी, बोला- गाँधी जी का चश्मा  बिक गया |एक अमरीकी ने अढाई करोड़ रुपए में ख़रीदा है |

हमने कहा- क्या देश पूरी तरह स्वच्छ हो चुका जो चश्मे की ज़रूरत नहीं रही |

बोला-  देश की स्वच्छता पर तो बात न करे तो ही ठीक है |जब अपना सीकर अपनी श्रेणी के स्वच्छता सर्वे में प्रथम आ सकता है तो पटना की दशा की तो कल्पना करके ही बदबू आने लगती है |  जहां तक गाँधी जी के चश्मे का सवाल है तो वह सरकार के पास था ही कब ? वह तो फोटो से ही काम चला रही थी |गाँधी का चश्मा ही क्या,  जनता को सब कुछ डिजिटल और वर्चुअल ही परोसा जा रहा है |कर ले वाट्स से कोरोना का टीका या इम्यूनिटी बढ़ाने वाला 'भाभीजी पापड़'  डाउन लोड |



गांधी का चश्मा

हमने फिर पूछा- तो क्या माल्या से वह चश्मा किसी को बेच दिया |

बोला- कुछ भी हो जाए, लोग कुछ भी कहें लेकिन माल्या ने कभी कोई घटिया बात नहीं कही |यहाँ भी ठसके से रहा और इंग्लैण्ड में भी बन्दे का वही जलवा है |वह चश्मा ही क्या और भी बहुत से ऐतिहासिक चीजें खरीदकर रखे हुए है |वह बेचा-खोची का ऐसा सस्ता धंधा करने वाला नहीं है |

हमने पूछा- तो अब यह कौनसा चश्मा आ गया जिसे अमरीकी ने ख़रीदा है ?

बोला- यह गाँधी जी का पहला चश्मा है |जब दूसरा मिल गया तो कहीं रखकर भूल गए होंगे |उन्हें भी क्या पता था कि कभी उनके चश्मे, कटोरे, घड़ी, चप्पलों के इतने रुपए मिलेंगे |नहीं तो वे भारत को पाँच ट्रिलियन की इकोनोमी बनाने के लिए लाखों चश्मे, घड़ियाँ खरीदकर रख जाते |

हमने कहा- ये चीजें सीमित हैं इसलिए कीमती हैं |यदि जयललिता की तरह हजारों जूते होते तो कौन खरीदता करोड़ों में |आजकल के नेता दिन में तरह-तरह के कुरते चार बार बदलते हैं |अब इनका कोई खरीददार नहीं |एक तो सभी मोदी जी की नक़ल पर, दूसरे आजकल कोरोना जिस तरह से नेताओं को चपेट में ले रहा है उसे देखते हुए तो इनके नाम से भी दूर रहने में ही खैरियत है |लेकिन तोताराम, अब बिना चश्मे के  गाँधी जी  का काम कैसे चलता  होगा ?

बोला- उनके पास आत्मा का चश्मा था जो बाहरी धार्मिक आडम्बरों के पार इंसानियत को देखता था |आजकल के नेताओं की तरह नहीं जो मात्र कपड़ों, नामों और जाति-धर्मों से लोगों के दंगाइयों, देशद्रोहियों और अन्य अपराधियों की पहचान करते हैं |ऐसों के कपड़ों को घर लाना तो दूर, उनके साथ ही श्मशान में जला दिया जाना चाहिए |

हमने कहा- हमें तो लगता है कि अब आगे समय गाँधी के चश्मे और चप्पलों का नहीं,  गोडसे की पिस्टल का आ रहा है |   





 



पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment