May 17, 2021

फिर प्रतीकात्मक .....


फिर प्रतीकात्मक .....


तोताराम चाय पीकर चला गया और हम नहाने के लिए. लेकिन यह क्या ? जैसे ही पत्नी ने रात के दो फुल्के छाछ में चूर कर पौष्टिक नाश्ता हमारे सामने रखा, तोताराम प्रकट हो गया.

हमने कहा- यह क्या तमाशा है ? न हमारा डीए बढ़ा है और न ही मोदी जी की कृपा से भविष्य में किसी पे कमीशन की कोई आशा. ऐसे में क्या अब तेरा नाश्ते का भार भी हमें ही उठाना पड़ेगा. 

बोला- तेरे जैसे छोटे दिल वालों के कारण ही तो यह सोने की चिड़िया, विश्वगुरु संकट में हैं. पाकिस्तान जैसे देश को भी हमें मास्क भिजवाने की हिम्मत हो गई. 

हमने कहा- जिसकी जितनी हैसियत होगी उतना ही तो देगा. मुकेश अम्बानी ने ५०० करोड़ रुपए दिए तो हजार जगह नाम आ रहा है. दिया क्या मात्र १५ दिन की कमाई. वह भी पता नहीं कितनी अपनी मेहनत की है और कितनी सरकार की कृपा से ? लेकिन यदि हम अपनी ३० दिन की पेंशन कोरोना संकट में दान दे दें तो क्या मोदी जी हमसे उसी तरह मिलेंगे जैसे वे मुकेश अम्बानी और नीता अम्बानी से मिलते हैं ? पानी समुद्र पर ही ज्यादा बरसता है.

बोला- मोटी मुर्गी छोटा अंडा देती है. पैसे वाले के हाथ से पैसा बहुत मुश्किल से छूटता है. भले जाय चमड़ी,  पर न जाय दमड़ी. बड़ा दान गरीब ही दे सकता है. धनवान तो इसमें भी गणित लगाता है. श्राद्ध भी बेटे के टीचर को जिमाता है. एक पंथ दो काज, कर्मकांड का कर्मकांड और वक़्त ज़रूरत बच्चे का ख़याल भी रखेगा. इसीलिए धनवान का छोटा-सा दान भी बड़ा होता है. तभी राष्ट्रपति भवन या गवर्नर्स हाउस में २६ जनवरी को धनवानों को बुलाया जाता है ? क्या मोदी जी के शपथ-ग्रहण समारोह में किसी तेरे जैसे मास्टर को बुलाया गया ?

हमने कहा- लेकिन इन धनवानों के छोटे दानों से क्या होगा ?

बोला- होगा, ज़रूर होगा. और फिर मोदी जी तो हैं ही. मोदी जी हैं तो सब कुछ मुमकिन है. अभी अभी उन्होंने घोषणा की है कि १८ साल से ऊपर वाले सभी को टीका लगेगा. मैं तो इसीलिए आया था कि हम दूसरी डोज़ लगवा आते हैं और बंटी, सोनू और शुभम को भी टीका लगवा लाते हैं.  

हमने कहा- देश में १८ साल से बड़े लोगों की जनसंख्या संख्या करीब ८५ करोड़ है. इतने लोगों को टीका लगवाना इतनी जल्दी संभव नहीं है. अमरीका के ४८%  वयस्क लोगों को टीका लगाया जा चुका है. वह एक साधन संपन्न देश है और वहाँ टीके को लेकर मोल-भाव नहीं किये गए. सबको बिठाया और लगाया टीका. अब वे बिन मास्क के भी घूम सकेंगे. यहाँ की तरह नहीं कि वोट दोगे तो फ्री टीका लगेगा. या टीके की कीमत कहीं १५० तो कहीं ६००. 

बोला- क्या बिना मास्क के घूमना ही बड़ी बात है ? क्या अमरीका के लोग इसी के लिए टीका लगवा रहे हैं ? यदि ऐसा है तो हम तो पिछले एक महिने से बंगाल में मोदी जी की ख़ुशी के लिए लाखों-लाख की संख्या में रैली में शामिल हो रहे थे. अकेले कुम्भ में ही कोई तीस-चालीस लाख लोग जमा होकर पुण्य-लाभ कमा चुके.

हमने कहा-  तभी तो बंगाल में संक्रमण बीस गुना बढ़ गया. और शेष राज्यों में कुम्भ में स्नान करके पवित्र होकर पहुंचे लोग अपने-अपने राज्यों में जाकर चमत्कार दिखा ही रहे हैं.   

बोला- फिर भी टीके के महत्त्व से कौन मना कर रहा है ? इसीलिए तो अपने सीकर के एस. के. अस्पताल में आज से १८ वर्ष के ऊपर वालों का टीकाकरण शुरू हो गया है.

हमने कहा- समाचार पूरा पढ़ाकर. अंत में लिखा है कि टीके बहुत कम मात्रा में आए हैं इसलिए प्रतीकात्मक रूप में कुछ लोगों को ही लगाए जायेंगे. अब जब प्रतीकात्मक ही करना है तो यहीं कर लेते हैं. 

बोला- कैसे ?

हमने कहा- हम बंटी की बाँह में सुई घुसाते हुए और तू सोनू की बाँह में सुई घुसाते हुए फोटो खिंचवा लेना. हो गया प्रतीकात्मक टीकाकरण.

बोला- लेकिन इसके फायदा क्या होगा ?

हमने- वही जो गणेश जी को एक इंच के कलावे के 'वस्त्रं समर्पयामि' से होता है, या कोरोना के स्वास्थ्य पर ताली-थाली से जो फर्क पड़ता है या जैसे गोबर के लेप से आणविक विकीरण से बचाव होता है.


पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment