नोट बैड
तीन दिन से खाँसी-ज़ुकाम है लेकिन हम विश्वगुरुओं, राष्ट्र की छवि निर्माताओं की तरह सकारात्मक बने हुए हैं. करने को तो हम कोरोना की आशंका भी कर सकते हैं लेकिन जब तक साँस चल रही है तो क्यों मरने से पहले मरने की पीड़ा भुगतें. वैसे खाँसी सूखी नहीं है. तीन-चार बार खांसने से थोड़ा कफ निकल जाता है और सब ठीक.
चाय आई और तभी हमें खाँसी. तब तक तोताराम चाय का एक घूँट ले चुका था. हमने मार्क किया कि उसने कुछ मुँह बनाया लेकिन यह तय नहीं कर पाए कि मुँह हमारी खाँसी पर बनाया या चाय पर. हम थूक कर आए और पूछा- क्या बात है ? क्या चाय ठीक नहीं बनी ?
अमरीकन स्टाइल में बोला- नोट बैड.
हमने कहा- यह कैसा कमेन्ट है ? पीने लायक बनी है तो आराम से पी नहीं तो साफ़-साफ़ बोल.
बोला- जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वह भी अच्छा ही होगा. तू अपनी बता.
हमने कहा- हमें क्या हुआ है ? बदलते मौसम की खाँसी है दो-पाँच दिन में ठीक हो जाएगी.
बोला- फिर भी किसी अच्छे अस्पताल में एडमीशन की बात तो करके रख. पता नहीं कब क्या ज़रूरत पड़ जाए.
हमने अस्पतालों के नंबर देखकर ऐसे ही किसी एक नम्बर लगा दिया.
उधर से उत्तर आया- जय श्रीराम.
लगता है किसी मंदिर का नंबर लग गया. वैसे तो आजकल सब कुछ 'मंदिर' ही हो गया है. प्याऊ नहीं जल-मंदिर कहेंगे, गाइड से प्रश्नोत्तर रटाने की दुकान का नाम होगा- विद्या मंदिर. हो सकता है कोरोना के नाम पर दस दिन घर वालों की आँखों से दूर रखकर लाखों रुपए वसूल करके एक दिन शव संभला देंगे या हाथरस वाली लड़की की तरह आधी रात को जलाकर हिसाब-किताब बराबर कर दिया जाएगा.
खैर, हमने फिर फोन लगाया. अबकी बार उत्तर आया- भारत माता की जय.
हमने कहा- तोताराम, आज तो बड़ा राष्ट्रीय मामला हो रहा है. पहले 'जय श्री राम' और अब 'भारत माता की जय'. कहाँ लग रहा है यह फोन.
बोला- लगता है उत्तर प्रदेश के किसी अस्पताल का लग रहा है.
हमने पूछा- तो ढंग से बात क्यों नहीं कर रहे हैं ?
बोला- यही है बात करने का सुरक्षित तरीका. तुझे पता होना चाहिए उत्तर प्रदेश में योगी जी ने यह आदेश दिया है कि अस्पताल ऑक्सीजन की कमी की सूचना न लगाएं. ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज न करें और ऐसे मामलों में मीडया से बात न करें अन्यथा उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. हो सकता है सरकार की छवि बचाने के लिए दिए गए आदेशों के तहत अपनी खाल बचाने के लिए अस्पताल वाले किसी भी फोन के उत्तर में शायद ये दो सुरक्षित 'नारे' लगा रहे हों.
हमने कहा- क्या इसी सन्दर्भ में तूने चाय के बारे में साफ़ नहीं कहा ?
बोला- मे बी.
तभी पत्नी ने कहा- आज पता नहीं चाय में चीनी की जगह नमक कैसे डल गया. थोड़ा रुको, दूसरी बनी जाती है.
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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