Jun 13, 2021

कोरोनार बांग्ला

कोरोनार बांग्ला


आज तोताराम ने कहा- मास्टर, अपना राजस्थान 'सोनार राजस्थान' कब बनेगा ?

हमने कहा- बनना ज़रूरी है क्या ? क्या जो हैं उससे काम नहीं चल रहा ? वैसे राजस्थान के लोग इसे 'रंगीलो राजस्थान' कहते तो हैं. जहां तक 'सोनार' को लेकर ही तुझे कोई कुंठा है तो खुश हो जा कि यहाँ जैसलमेर में पीले पत्थरों से बने किले को 'सोनार दुर्ग' कहा जाता है.

बोला- तो मोदी जी जब बंगाल को 'सोनार बांग्ला' बनाने की बात कह रहे थे तो क्या उनका इरादा वहाँ कोई 'पीले पत्थरों का किला बनाने का था ? 

हमने कहा- मोदी जी हैं कोई मज़ाक है क्या ? वे दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बनवा सकते हैं, सबसे बड़े स्टेडियम को अपने नाम कर सकते हैं, कोरोना के दुष्काल में 'सेन्ट्रल विष्ठा' बनवा सकते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं. लेकिन बंगाल को 'सोनार बांग्ला'  बनाने के पीछे उनकी मंशा थी कि टैगोर, विवेकानंद, सुभाष, जगदीश चन्द्र बोस, अमर्त्यसेन, अभिजित बनर्जी, सत्यजित रॉय आदि ने जो 'सोनार बांग्ला'  बनाया उसमें पर्याप्त मिलावट थी, हो सकता है सोने का नाम लेकर पीतल का ही बना दिया हो. लेकिन बंगाल के नासमझ लोगों ने न तो उनसे 'सोनार बांग्ला' बनवाया और न ही टैगोर जैसी वेशभूषा का सम्मान किया.  

बोला- फिर कुछ तो बना ही दिया. 'सोनार बांग्ला' नहीं तो 'कोरोनार बांग्ला' ही सही.

हमने पूछा- यह 'कोरोनार बांग्ला' क्या है ?

बोला- २ मार्च २०२१ को बंगाल में कोरोना से एक भी मौत नहीं हुई थी लेकिन २ मई को जब मोदी जी और उनके सिपहसालारों का धुआँधार प्रचार समाप्त हुआ तब कोरोना पोजिटिव मामले २०० से बढाकर १८ हजार हो गए और मौतें शून्य से एक सौ प्रतिदिन हो गई. तो बन गया ना 'कोरोनार बांग्ला' ?

हमने कहा- लेकिन अमित शाह तो कह रहे थे कि महाराष्ट्र में चुनाव नहीं था फिर भी वहाँ रोज ४० हजार पोजिटिव आ रहे थे. इसका मतलब चुनाव रैलियों का संक्रमण से कोई संबंध नहीं है. और फिर जब मोदी जी को कुछ नहीं हुआ तो उनकी रैलियों पर दोषारोपण उचित नहीं है. 

बोला- मतलब जब तक चुनाव न जिताने वाले बंगाल में रोज ५० हजार संक्रमित नहीं होंगे तब तब अमित जी की आत्म को शांति नहीं मिलेगी. 

हमने कहा-  अपना राजस्थान तो पहले से ही रंगीला है. कई रंग वाला. केवल 'सोनार' ही बनाकर क्या करेंगे. 

बोला- २०२३ का चुनाव कौन सा दूर है ? तब 'रंगीले राजस्थान' को 'केसरिया राजस्थान'  बना देंगे. 

हमने कहा- एक बार इस 'कोरोना कष्ट' से निबटें. बाद की बाद में देखेंगे- काला-पीला, हरा-गेरुआ, भगवा-नीला.




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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