Jun 1, 2021

हमारा भी तो कोई फ़र्ज़ है


हमारा भी तो कोई फ़र्ज़ है 


तोताराम सुबह चाय पी गया था लेकिन जैसे ही हम लगभग १२  बजे अपनी पालतू 'मीठी' को लघु शंका करवाने के लिए निकले तो देखा तोताराम एक छोटा-सा थैला लिए जयपुर रोड़ की तरफ जा रहा है. हमने पूछा- इस लॉक डाउन में कहाँ जा रहा है ? किसी पुलिस वाले ने पकड़ लिया तो दो सौ रुपए का चालान काट देगा. नेताओं और संतों की बात और है. वे जो चाहे बोलें, जो चाहे करें. चुनावी रैली करके घृणा और भीड़ के द्वारा अलगाववाद का कोरोना फैलाएं या संत हरिद्वार में कुम्भ स्नान करके पूरे देश को संक्रमण का प्रसाद वितरित करें; उनके सात खून माफ़ हैं.  इस कड़क धूप कहाँ जा रहा हैं ? आ बैठ, पानी पी ले. फिर घर वापिस चले जाना.

बोला- मास्टर, जाना तो पड़ेगा. बिटिया की तबीयत ठीक नहीं है. 

हमे पूछा- क्यों, स्वीटी बिटिया को क्या हुआ ?

बोला- स्वीटी तो ठीक है. कंगना को कोरोना हो गया है. 

हमने कहा- तो उसमें तू क्या करेगा ? वैसे कोरोना हो कैसे गया ? उसे तो वाई प्लस सुरक्षा मिली हुई.

बोला- कोरोना से कोई सुरक्षा नहीं दे सकता. उसका वाइरस कोई दिखाई थोड़े देता है जो कमांडो एनकाउन्टर करके वहीँ ढेर कर देंगे. उसने तो अमित शाह, ट्रंप, जोनसन आदि तक को लपेटे में ले लिया. 

हमने कहा- चिंता की कोई बात नहीं है. मुम्बई में बड़े-बड़े अस्पताल हैं और फिर सिर पर केंद्र सरकार का हाथ है. सब ठीक हो जाएगा. 

बोला- फिर भी ऐसी देशभक्त और भारतीय संस्कृति की भक्त और सच्ची हिन्दू के लिए अपना भी तो फ़र्ज़ बनता है. 

हमने कहा- तू क्या करेगा ? उसके शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ के लिए तेरी कल ही बनी संस्था 'अंतर्राष्ट्रीय अबाध ऑक्सीजन आपूर्ति अभियान' संस्था की तरफ से शुभकामना दे दे.  

बोला- वह तो देंगे ही. फिलहाल एक पीपल का और एक तुलसी का पौधा भेज रहा हूँ.

हमने उसे एक हनुमान चालीसा देते हुए कहा- यह हमारी तरफ से भेज देना. कल ही एक विश्वसनीय अखबार में समाचार छपा है कि वेद-विज्ञान की थोक आपूर्तिकर्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक आनुषांगिक अनुभाग के प्रान्त प्रमुख संजीव गर्ग ने जयपुर में बताया है कि कोरोना संकट मुक्ति के लिए राजस्थान में हनुमान चालीसा के कम से कम सवा लाख पाठ किये जायेंगे. जब बात वैदिक ज्ञान की है तो झूठ होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता. यदि उठ भी गया तो बैठा दिया जाएगा. 

बोला-  बिटिया काली की भी भक्त है लेकिन पता नहीं, बंगाल में 'जय श्री राम' के नारे की विफलता के बाद उसे काली में कितना विश्वास रह गया है.  मैंने उसका योग करते हुए फोटो देखा है. बहुत शांत लग रही थी. 

हमने कहा- तू पीपल और तुलसी भेज रहा है तो भेज दे. वैसे कल ही रामकिशन यादव ने भी कहा है कि ऑक्सीजन की चिंता मत करो. ब्रह्माण्ड ऑक्सीजन से भरा पड़ा है. ये दोनों नथुने दो सिलेंडर हैं. भर ले जितनी चाहे ऑक्सीजन. 

बोला- तो फिर ठीक है. घर लौट रहा हूँ. वैसे श्रद्धा और आस्था वाला कोई और उपाय हो तो वह भी बता दे, मेसेज करवा देंगे. 

हमने कहा- वैसे तो कोई चिंता की बात नहीं फिर भी यदि वह चाहे और आसपास कोई हनुमान जी का मंदिर हो तो गुजरात के साणंद की महिलाओं की तरह सिर पर कलश लेकर वहाँ अभिषेक कर आए. इसके बाद तो काम पक्का. कोरोना का बाप भी कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा. 

 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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