Nov 25, 2021

दूर दृष्टि : पक्का इरादा


दूर दृष्टि : पक्का इरादा 


मोदी जी के 'आत्मनिर्भर भारत' के नारे के बिना भी, हमने मोदी जी के जन्म के तीन साल पहले ही, अपने में बचपन में गांधी जी की बुनियादी शिक्षा के प्रभाव और पाठ्यक्रम के कारण आत्मनिर्भरता के सिद्धांत को समझ लिया था. और कुछ जो बचा-खुचा रह गया वह ज़िन्दगी ने सिखा दिया. वैसे ही जैसे मोदी जी को रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर चाय-विक्रय और बाद में संघ के प्रचारक की मज़बूरियों ने आत्मनिर्भर बना दिया. बस, फर्क इतना सा है कि उन्होंने विक्रय कला में जो  विशेषज्ञता हासिल की वह अब सरकारी उद्योगों को बेचने में काम आ रही है.और हमने गाँधी जी की शिक्षा से आत्मनिर्भरता का जो अर्थ समझा वह हमारे लिए समस्या बना हुआ है. हम भी गाँधी जी की तरह अपने सभी काम खुद ही करने की कोशिश करते हैं. कुछ अपनी स्वभावगत चंचलता और कुछ माँ की दूरदृष्टि कि हम शादी से पहले ही खाना बनाना सीख गए. स्कूल में तकली कातना और सिलाई का छोटा-मोटा काम सिखाया ही जाता था. रिटायर्मेंट से पहले तक हम अपने कपड़ों की छोटी-मोटी मरम्मत, काज, बटन, रफू तथा पट्टे वाला अंडरवीयर, पायजामा सीने जैसे काम कर लिया करते थे. 

 कमीज का ऊपर वाला बटन टूट गया था. अब सर्दी में उसे बंद करना पड़ा करेगा सो उसी को लगा रहे थे, तभी तोताराम आ गया, बोला- मास्टर, ताज्जुब है तेरी नज़दीक की दृष्टि अभी तक ठीक काम कर रही है. इस उम्र में आकर दूर की दृष्टि तो ठीक रहती है लेकिन नज़दीक वाली कमजोर हो जाती है.

हमने कहा- हाँ, बुढ़ापे में ऐसा हो जाता है जैसे अडवानी जी को अब भी अपने घर से राष्ट्रपति भवन में रखी कुर्सी साफ़ दिखाई देती है लेकिन बरामदे में रखी अपनी निर्देशक मंडल वाली दरी दिखाई नहीं देती. इंदिरा जी का नारा तो तुझे याद ही होगा- दूर दृष्टि, पक्का इरादा. वे बुढ़ापे के कारण दिल्ली में बैठे-बैठे स्वर्ण मंदिर तो देख पाती थीं लेकिन अपने नज़दीक ही हत्या का षड्यंत्र रचने वाले अपने दो अंगरक्षकों को नहीं देख पाईं. इसी तरह अमित शाह जी अपने हाथों की दूरबीन बनाकर ही उत्तर प्रदेश में जगह-जगह रात को गहने पहने, स्कूटी पर सुरक्षित घर जाती  लड़कियों को देख सकते हैं लेकिन मंच पर बैठे बाहुबालियों को नहीं. 

बोला- तो क्या तू अस्सी साल में जवान है  और तुझसे २२ साल छोटे अमित शाह बुज़ुर्ग हैं.  

हमने कहा- हम ज़िन्दगी भर १५-२० साल के बच्चों के बीच ही रहे सो हमारी कूटनीतिक समझ अभी तक किशोरों जितनी ही है. हाँ, जहाँ तक अमित शाह जी की बात है तो वे तो 'विश्वगुरु भारत' के चाणक्य हैं. गाँधी और नेहरू तक को एक वाक्य में निबटा देते हैं.   



पोस्ट पसंद आई तो मित्र बनिए (क्लिक करें)

(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

No comments:

Post a Comment