Nov 14, 2021

मास्टर जी, सौगात ले जाइए

मास्टर जी, सौगात ले जाइए 


हम और तोताराम आज भी बरामदे की बजाय कमरे में ही बैठे थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई- मास्टर जी, सौगात ले जाइए. 

हमने बैठे-बैठे ही उत्तर दिया- लगता है गलत पते पर आ गए हो. हम कौन किसी को राफाल का ठेका दिला सकते हैं जो कोई हमें सौगात भेजेगा. 

तोताराम बीच में कूद पड़ा, बोला- एक बार देख तो ले. किसी के तोहफे का इस तरह निरादर नहीं करना चाहिए. 

हमने कहा- पहले सौगात और अब यह तोहफा ! हम इतने अधार्मिक और हिंदुत्व विरोधी नहीं है जो इसे स्वीकार करें. उपहार होता तो बात और थी.

बोला-  सौगात और तोहफा या गिफ्ट सब उपहार के ही तो पर्यायवाची हैं. इससे क्या फर्क पड़ता है ?

हमने कहा- तुझे पता नहीं, ये मुसलमान और ईसाई इसी तरह हमारी संस्कृति और धर्म को नष्ट करते हैं. आज उपहार को सौगात और तोहफा का रहे हैं कल को स्वर्ग को जन्नत कहने लगेंगे. भले ही हमें नरक में जाना पड़े लेकिन मुसलमानों की जन्नत और ईसाइयों के हैवन में नहीं जायेंगे. प्यासे मर जाएँ लेकिन पियेंगे जल ही; वाटर पीने से तो रहे. 

बोला- आज अचानक तेरे वसुधैव कुटुम्बकम और सर्व धर्म समभाव को क्या हो गया है. कैसी तालिबानों की सी बातें करने लगा है. कहीं दिवाली पर अब्राहिमी लोगों द्वारा 'फैब इण्डिया' के  विज्ञापन के बहाने भारतीय संस्कृति को नष्ट-भ्रष्ट करने के सांप्रदायिक षड्यंत्र की आड़ में बेंगलुरु के सूर्या वाले बहकावे में तो नहीं आ गया ?

हमने कहा- अपनी वाणी को संभाल. पूरा नाम ले- तेजस्वी सूर्य. अब जो सत्तर के हो गए हैं वे ढलते सूर्य हैं. पता नहीं कब निर्देशक मंडल में जा बैठें या झोला उठाकर चल दें. यह चढ़ता हुआ तेजस्वी सूर्य है. प्रज्ञा की तरह भविष्य इसी का है भले ही कोई 'मन से माफ़' करे या न करे. न करे तो अपने घर बैठे.  अब तो इन्हीं की चलेगी.

तभी अब तक हमारी चर्चा से बोर हो रहा बेचारा 'सौगात की आवाज़' लगाने वाला बोला- मास्टर जी, मैं तो अखबार वाला हूँ.  मेरे पास मोदी जी द्वारा भेजी किसी वस्तु की सौगात नहीं है. मैं तो पहले पेज पर छपे समाचार को लेकर आपसे मज़ाक कर रहा था जिसमें लिखा है- मोदी जी की केन्द्रीय कर्मचारियों की दिवाली पर ३% डीए की सौगात. 

हमने कहा-  तेरा यह 'मज़ाक' नहीं चलेगा. हाँ, 'परिहास' करे तो बात और है. और हाँ, 'डीए की सौगात' के  अब्राहिमी आदेश को 'महँगाई भत्ते में तीन प्रतिशत की वृद्धि के उपहार'  के हिंदुत्त्ववादी आदेश में बदलने के लिए हम मोदी जी को पत्र लिखेंगे. 

हम तीन प्रतिशत डीए के लिए धर्म को संकट  में नहीं डाल सकते. 

अखबार वाला बोला- मास्टर जी, लगे हाथ मोदी जी को यह भी लिख देना कि संस्कृत में 'स्वतंत्रता' और 'स्वाधीनता' जैसे शब्दों के होते हुए वे 'आज़ादी' के ७५ साल का महोत्सव क्यों मना रहे हैं.


 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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