Mar 31, 2022

आ बहस करें


आ बहस करें


तोताराम ने आते ही कहा- चल मास्टर, बहस करें .

हमने कहा- कुछ काम की बात कर. बहस में क्या रखा है ? लोग अलाव तापते, हुक्का पीते, चबूतरे पर बैठे, चाय  सुड़कते हुए बहस के सिवाय और करते क्या हैं ?  ७५ साल से संसद में सेवक बहस के अलावा और कर क्या रहे हैं. संयुक्तराष्ट्र संघ में सभी देशों के प्रतिनिधि क्या खेती करने जाते हैं ? लेकिन बहस का नतीजा क्या निकला ? वही गरीबी, वही गैरबराबरी, वही बेरोजगारी, वही शोषण, वही युद्ध और लड़ाइयाँ. बहसों से कभी कुछ हुआ है ?

बोला- कुछ न कुछ करना तो पड़ेगा. बहस नहीं तो विचार-विमर्श कर लेते हैं. यदि तेरा स्टेंडर्ड ज्यादा ऊंचा हो गया है तो मंथन कर लेते हैं. 

हमने कहा- हमें पता है सभी बहसों, विमर्शों और मंथनों की असलियत. सभी धर्म कहते हैं- ईश्वर एक है, सभी मनुष्य उसकी संतानें हैं, सभी धर्म उसी की तरफ ले जाते हैं. वास्तव में एक बार विपरीत स्वभाव के पशु-पक्षी भी मिलजुल कर रह लेते हैं लेकिन जहां भी चार धर्म के ठेकेदार मिलते हैं तो सिर फुटौव्वल किये बिना नहीं उठते. कभी मिलजुल कर नहीं रहते.

बोला- सभी उसकी संताने हैं तभी तो लड़ना ज़रूरी, सगे भाई ही तो ज्यादा लड़ते हैं. मौसेरे भाई लड़ते भी है तो या तो दिखावे के लिए और दुबारा गठबंधन की गुंजाइश छोड़कर.

हमने कहा- खैर, बता किस विषय पर बकवास मतलब बहस करनी है ?

बोला- वास्तव में मेरा तो कोई मुद्दा नहीं है लेकिन कल राजस्थान लोकसेवा आयोग के सदस्य रामूराम राइका ने कहा है कि जिन सवालों के एक से अधिक नज़दीकी उत्तर हो सकते हैं उन्हें राजस्थान लोकसेवा आयोग हटाएगा.

हमने कहा- तो फिर समझ ले इस बहस और समस्या का कोई अंत नहीं है. कुछ भी ऐसा नहीं है जिसके एक-दो ही क्या अनेक नज़दीकी उत्तर नहीं होते.  

बोला- हम अध्यापक रह चुके हैं. रिटायर हो चुके तो क्या सरकार पेंशन भी तो देती है. यदि हम कुछ ऐसे प्रश्न तैयार कर दें जिनके एक से अधिक नज़दीकी उत्तर नहीं होते तो भविष्य में राजस्थान लोकसेवा आयोग की परीक्षाएं सफल और पारदर्शी तरीके से हो सकें.

हमने कहा- तो चल कुछ ऐसे तथ्यपरक वाक्य बता जिनके आधार पर ऐसे प्रश्न बनाए जा सकें जिनके एक से अधिक नज़दीकी उत्तर नहीं हो सकते. फिर हम तुझे बताएँगे कि इसके एक से अधिक नज़दीकी उत्तर हो सकते हैं या नहीं ?

तोताराम ने बड़े आत्मविश्वास के एक वाक्य कहा- भारत ने १५ अगस्त १९४७ को स्वतंत्रता हासिल की.

हमने कहा- कंगना के अनुसार भारत ने स्वतंत्रता २६ मई २०१४ को हासिल की जिस दिन नरेन्द्र मोदी जी ने  प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. इस तथ्य को सरकार का मौन समर्थन भी प्राप्त है. १९४७ में जो कुछ था वह हासिल नहीं किया गया था, वह भीख में मिला था. 

तोताराम ने अगला वाक्य कहा- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम योगी आदित्यनाथ है.

हमने कहा- यदि कोई अजयसिंह बिष्ट या 'बुलडोज़र' बताये तो क्या उसे फेल कर दोगे ?

बोला- नहीं.

हमने कहा- तो यह भी नहीं चलेगा.

बोला-  मोहनदास करमचंद गाँधी को किस उपनाम से जाना जाता है ? 

हमने कहा- इसका भी एक उत्तर नहीं हो सकता. वे रवीन्द्रनाथ ठाकुर के अनुसार महात्मा, सुभाष के अनुसार राष्ट्रपिता, अमित शाह के अनुसार चतुर बनिया, चर्चिल के अनुसार नंगा फकीर.

बोला- मोदी जी एक महान पुरुष हैं. 

हमने कहा- नहीं, राम जेठमलानी के अनुसार वे विष्णु के अवतार हैं.

बोला- तो क्या अवतार पुरुष नहीं होते ?

हमने कहा- अवतार तो मछली, कछुआ, सूअर आदि के रूप में भी मिलते हैं.और यदि अवतार को पुरुष मानोगे तो फिर राम और कृष्ण  को भी मनुष्य मानना पड़ेगा. उस स्थिति में तो राम-कृष्ण की राजनीति और मंदिरों का धंधा ही ख़त्म हो जाएगा. कुछ और सोच.

बोला- मुसलमान पश्चिम की ओर मुंह करके नमाज़ पढ़ते हैं.

हमने कहा- स्पेन का मुसलमान पूर्व की ओर मुंह करके नमाज पढ़ता है क्योंकि मक्का स्पेन से पूर्व में है जबकि हमारे यहाँ से पश्चिम में.  

बोला- महात्मा गाँधी देशभक्त थे.

हमने कहा- तो फिर नाथूराम गोडसे जी देशभक्त, थे, हैं और रहेंगे वाले स्टेटमेंट का क्या होगा ? अभी तक भाजपा सरकार ने उसे खारिज नहीं किया है.  

बोला-  रामूराम जी के अनुसार केवल एक ही उत्तर हो सकने वाले प्रश्न बनाने के चक्कर में प्रश्न पत्र ही नहीं बन पायेगा. ऐसे में लगता है राजस्थान लोकसेवा आयोग को या तो सिक्का उछालकर चयन करना पड़ेगा या फिर पदों की खुली नीलामी करनी पड़ेगी. 

 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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