Mar 30, 2022

ज़माना बहुत ख़राब है


ज़माना बहुत ख़राब है


आज ठिठुरन कुछ कम है. बरामदे में बैठा जा सकता है, सो बैठे थे. कल की कल देखी जाएगी. अब हम और तोताराम सुपर सीनियर सिटिजन की श्रेणी में आने वाले हैं. करे तो हमें ही कोई राम-राम, श्याम-श्याम करे. हम जिन्हें आगे से चलकर राम-राम करें ऐसे बुज़ुर्ग लोग बहुत कम बचे हैं मोहल्ले में. जो एक दो बचे हैं सड़क पर कम निकलते हैं. संयोग से एक निकले. तोताराम ने उन्हें बड़े अदब से राम-राम की तो उत्तर देने की बजाय बोले- तेरा आधार कार्ड कहाँ है ?

हद हो गई. यह ठीक है कि सरकार ने पेंशनरों को आधार कार्ड के बिना पेंशन बंद हो जाने का डर दिखाकर सारी जानकारियाँ ले लीं और उन्हें जिस तिस को बेच दी. लेकिन 'राम-राम' करने पर भी आधार कार्ड मांगना तो ज्यादती की हद है. यदि ऐसा ही है तो आधार कार्ड को सभी लोगों के माथे पर छाप दिया जाना चाहिए. जैसे पुलिस और सेना में सबके सीने पर उनके नाम की एक छोटी सी प्लेट सी लगी रहती है.जब तक यह देशभक्तिपूर्ण नाटक शुरू हो उससे पहले और कुछ नहीं तो सभी अपने आधार कार्ड के डिटेल्स छपा एक झंडा लेकर चलें जिससे व्यक्ति के नकली होने की संभावना कम से कम रहे और उसकी असलियत दूर से ही पहचानी जा सके. 

हमने पूछा- भाई साहब, 'राम राम' में भी इतना खतरा ?

बोले- मास्टर जी, आपको पता नहीं. ज़माना बहुत खराब है. जाने किस वेश में नारायण मिल जाय और बैंक बेलेंस साफ़ कर जाए.

हमने कहा- ज़माना इतना भी खराब नहीं आया है कि 'राम राम' लेने में भी इतना डर लगे. 

बोले- मास्टर जी, ज़माना कब खराब नहीं था ? यह तो अतीत के गर्व की कुंठा है वरना रामायण, महाभारत और यहाँ तक कि सतयुग में भी भरी सभा में कुलवधू को नंगा करने की, वेश बदलकर सीता के हरण की, सपने के बहाने सत्यवादी हरिश्चंद्र का राज हड़पने की साजिश हमारे गौरवमय अतीत की ही घटनाएँ तो हैं. पता नहीं, कब कोई, किस खुसफुस के बहाने आपके फोन या खाते में कोई पेगासस घुसा दे और विनोद काम्बली के बैंक खाते की तरह आपका बैंक खाता साफ हो जाए. 

तोताराम ने बीच में ही लपक लिया, बोला- विनोद काम्बली तो बेचारा भोला है वरना उसके साथ वाले तो क्रिकेट के भगवान बन गए और वह एक धूमकेतु की तरह कुछ समय चमककर सीन से लुप्त हो गया. क्या किया जाए, देश को विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए सब कुछ डिजिटल करना भी तो ज़रूरी है.

हमने कहा- यदि डिजिटल धोखाघड़ी रोकने की समझ और व्यवस्था नहीं है तो चलने देते वही पुराना तरीका. कम से कम कोई भी के. वाई. सी. के चक्कर में भोले और बुज़ुर्ग लोगों को ठगेगा तो नहीं. कोई भी सुरक्षित नहीं है.अब  तो पता चला है कि पी.एम. ओ. का ट्विट्टर अकाउंट भी हैक हो गया है.

बोला- जो लालची, आलसी और लापरवाह होता है वही ज्यादा ठगा जाता है. नहीं तो क्या किसी को पता नहीं है कि कोई रुपये दुगुना नहीं कर सकता. फिर भी लालच के कारण लोग चक्कर में आ ही जाते हैं.   

हमने कहा- कम से कम इतना तो किया जा सकता है कि आगे से 'माई गुव' के नाम से मोदी जी के 'मन की बात' सुनने का जो मेसेज आता है उसे भी इग्नोर करें. क्या पता, उसे खोलते ही हमारा बैंक बेलेंस साफ हो आये. वैसे  लोग कहाँ तक बचें. अब रास्ते में कोई खाकी वर्दी वाला किसी को पकड़कर पूछताछ करने लग जाए तो क्या कोई उससे पूछेगा कि तू असली पुलिस वाला है या नकली ? मान ले कोई ज्यादा साहस दिखाए और पहचान पत्र मांग ले तो भी क्या गारंटी है कि उसका पहचान पत्र असली ही होगा. जब नोट तक नकली छप सकते हैं तो कुछ भी नकली बनवाया जा सकता है. 

भाई साहब बोले- तभी तो मैं कहता हूँ ज़माना बहुत खराब है. 

हमने कहा- तब तो तोताराम, यह भी असंभव नहीं है कि यू. पी. के चुनावों के बाद सरकार को पता चले कि कोई  बहुरूपिया मोदी जी का वेश धारण करके किसानों से माफ़ी मांगकर उन्हें उल्लू बना गया हो. तीनों कृषि कानून वापिस हुए ही नहीं हों.क्योंकि लोकतंत्र में वेश, वादों और विचारधारा का कहीं कोई रिश्ता नहीं बचा है.   

तोताराम बोला- लेकिन बाद में पुलिस की सक्रियता से काम्बली की एंट्री रिवर्स तो हो गई.

भाई साहब बोले- तो क्या हम लोग काम्बली, सचिन और गांगुली हैं ? 


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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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