Apr 4, 2022

मास्टर की चड्डी और केजरीवाल का मफलर


मास्टर की चड्डी और केजरीवाल का मफलर 


जब से कोरोना के एमिक्रोन नामक वेरिएंट के लक्षणों के बारे में अखबारों में सूचनाएँ आनी शुरू हुई हैं, हमने अतिरिक्त सावधानी बरतना शुरू कर दिया है. सुनते हैं इस नए वेरिएंट से गले में खराश होती है. सर्दी-जुकाम का भी यही सामान्य लक्षण होता है. 

कोई भी, चाहे मौसम हो या अधिकारी, जब नया-नया आता है तो अतिरिक्त औपचारिकता, अपेक्षा, उपेक्षा, अंदाज़ और ठसके से आता है. जैसे कहते हैं जो नया-नया मुल्ला बनता है ज्यादा प्याज खाता है. बाद में तो दोनों का भय निकल जाता है और चिड़ियाघर के शेर और बकरी की तरह एक ही घाट पानी पीने लग जाते हैं. ऐसे ही जब कोई अधिकारी जाने लगता है तब या तो अपनी गलतियाँ सुधार कर जाता है या फिर ऑफिस के परदे तक उतार कर ले जाता है. इसलिए हम आती और जाती सर्दी दोनों को गंभीरता से लेते रहे हैं. 

दो दिन पहले तक हम सुबह बरामदे में भी कमीज पहनकर बैठते थे लेकिन आज ज़रूरत अनुभव नहीं हुई. सो अपने समर अटायर में बरामदे में बैठे थे. समर अटायर मतलब पट्टे वाली चड्डी, बस.

तोताराम ने आते ही कहा- आज से गरमी की ऋतु शुरू.

हमने पूछा- क्या भारत सरकार ने घोषणा ही है ?

बोला- नहीं. 

हमने पूछा- तो तुझे कैसे पता चला ?

बोला- जब तू केवल पट्टे वाली चड्डी में आ जाए तो समझ लेना चाहिए कि गरमी की ऋतु शुरू हो गई है. 

हमने पूछा- और सर्दी की शुरुआत कब मानें ?

बोला- जब केजरीवाल मफलर लगा ले. 

हमने कहा- लेकिन इस बार गरमी अनुमान से ज्यादा और समय से पहले नहीं आ गई ? हो सकता है इस बार बरसात कम होने से ऐसा हुआ हो.

बोला- नहीं, इसका दूसरा कारण भी है. मार्च में 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म भी तो रिलीज़ हो गई. उसमें जो हिंसा दिखाई गई है उससे लोग उबल रहे हैं तो गरमी तो बढ़नी ही थी. 

हमने कहा- लेकिन क्या हमेशा से साथ रहने वाले कश्मीर के किसी भी मुसलमान ने पंडितों की कोई मदद नहीं की ?

बोला- पता नहीं लेकिन फिल्म में तो ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया गया. वैसे भी फिल्म का एजेंडा ही जब कुछ और था तो उसमें सद्भाव के लिए जगह ही कहाँ थी. 

हमने कहा- वैसे दिल्ली में तेज गरमी का एक और कारण भी हमारी समझ में आ रहा है.

बोला- क्या ?

हमने कहा-  'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर केजरीवाल की केंद्र सरकार पर टिप्पणी का उत्तर देने के लिए तेजस्वी सूर्या बंगलुरु से दिल्ली पधारे हुए हैं. ऐसे में दिल्ली में गरमी नहीं बढ़ेगी तो क्या होगा ?

अगर तेजस्वी सूर्या कश्मीर, लद्दाख की तरफ निकल गये तो हो सकता है हिमालय के ग्लेशियर न पिघलने लग जाएँ.   



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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