Mar 25, 2023

आहत भावना


आहत भावना 


सदैव की भांति तोताराम आकर बरामदे में बैठ गया लेकिन कई  देर तक जब चाय नहीं आई तो बोला- अभी तक चाय नहीं आई । क्या आज इस बरामदा संसद की कार्यवाही शुरू नहीं होगी ? 

हमने कहा- आज माइक बंद है । कुछ भी बोला हुआ संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं किया जाएगा । जहां तक चाय की बात है तो आज चाय भी नहीं बनेगी । हमारी भावना आहत हुई । 

बोला- किसने की तेरी भावना आहत ? और कब ? 

हमने कहा- ५ फरवरी को मोहन भागवत ने कहा कि जाति-व्यवस्था पंडितों ने बनाई है। यह भगवान की बनाई व्यवस्था नहीं है । अब हमें तो याद नहीं कि हमने जाति-व्यवस्था कब बनाई ? और न ही हम जाति के आधार पर किसी का अपमान या सम्मान करते । ऐसा आरोप लगाकर उन्होंने हमारी भावना को आहत किया है । 

बोला- बड़ी देर लगी तेरी भावना को आहत होने में। हो सकता है या तो तुझे बात देर से समझ में आई या फिर शब्दों को ही नागपुर से सीकर आने में ५० दिन लग गए ।  

हमने कहा- हमें तो जल्दी समझ में आ गई बात लेकिन राहुल वाले मामले में तो सूरत के एक विधायक पूर्णेन्दु मोदी को तो समझ में आने में चार साल लग गए । 

बोला- रिटायर्ड और वह भी मास्टर ! पहली बात तो मुसलमान की तरह मास्टर की तरह कोई भावना होती नहीं, और होती हो तो भी आजकल वह कुट पिट कर इतनी भावशून्य हो गई है कि आहत हो ही नहीं सकती । सरकार ने १८ महीने का डी ए खा लिया तब तो तेरी भावना आहत नहीं हुई। बैठ गया कान दबाकर । चूँ तक नहीं किया । 

 हाँ, अगर तू कोई 'माननीय' होता तो बात अलग थी । पूर्णेन्दु मोदी की बात अलग है । भले ही भूतपूर्व सही लेकिन विधायक तो है ।उसकी भावना आहत होना अफोर्ड कर सकती थी । और फिर तू कोई पंडित थोड़े है ? तू तो जोशी है । 

हमने कहा- तो फिर 'मोदी' भी कोई जाति नहीं है । मोदी 'सरनेम' कई जातियों और धर्मों में पाया जाता है । यहाँ तक कि मुसलमानों में भी 'मोदी' सरनेम होता है। ऐसे तो लोग मास्टरों, नेताओं, व्यापारियों को लेकर बहुत सी  अपमानजनक बातें करते हैं तो क्या वे सब किसी पर केस कर देते हैं ? 

बोला- तो हो सकता है उनका इशारा पंडित नेहरू की तरफ हो । 

हमने कहा- तो क्या नेहरू के वंशज अब मानहानि का केस नहीं कर सकते ?

बोला- नहीं । आज के समय में नेहरू-गांधी के बारे में कुछ भी अपमानजनक कहना-बोलना कोई अपराध नहीं है । बल्कि राजनीतिक पुरस्कार पाने की एक सरल योग्यता है । कुछ लोग तो गांधी के हत्यारे को देशभक्त बताकर गांधी को प्रकारांतर से देशद्रोही सिद्ध करके ही 'माननीय सांसद' तक बने हुए हैं । 

और फिर भागवत जी के पास कौन सी सांसदी है जिस पर आँच आएगी । मुकदमा तो दूर कोई एफ आई आर भी  दर्ज नहीं होगी । उलटे पुलिस वाला तुझे ही धक्के मारकर भगा देगा । 

और फिर भागवत जी स्वयं भी तो दंडधारी हैं ।उन्होंने १४ अप्रैल २०२२ को कहा था- हम अहिंसा की ही बात करेंगे पर हाथों में दंड लेकर । 

सोच ले मामला इतना आसान नहीं है ।    




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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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