Mar 24, 2023

जी-जी-२

जी-जी-२  


आज मौसम खराब है। कुछ आसमान में बादल, कुछ हवा में तेजी । या तो बारिश आएगी या फिर आंधी । आंधी न भी आई तो इतनी हवा तो होगी ही कि सड़कों पर बिखरी पॉलीथिन की थैलियाँ उड़-उड़ कर मंडी में भयंकर रूप से फैली  इज़राइली बबूलों की कंटीली शाखाओं में उलझकर 'स्वच्छता के त्योहार की उत्सवी ध्वजाओं की तरह तो फहराने ही लगेंगी ।  अगर मौसम खराब न हो तो भी बेईमान तो होता ही है । और जो बेईमान होता है उसमें सभी खराबियाँ अपने आप आ ही जाती हैं । जैसे अभिमान में सभी पाप । पाप मूल अभिमान । 

वैसे मौसम कैसा भी हो, सुबह सुबह मंडी में सब्जियां लाने जाते ठेले, स्कूल की तीस तीस किलोमीटर से छात्रों को बटोरती स्कूलों की बालवाहिनी बसों, सुबह सुबह अपनी 'गली-भक्ति' का प्रमाण देते कुत्तों के उत्साही जयघोष, विभिन्न धार्मिक स्थलों से विभिन्न भाषाओं में उठता लाउड स्पीकरी आर्तनाद सब मिलकर सुबह को एक जाग्रत राष्ट्र की छवि प्रदान कर देते हैं। 

ऐसे जीवंत परिवेश और सुहानी सुबह में भी बाहर बरामदे में जाने का मन नहीं हुआ लेकिन बरामदे में होने वाली खटपट सुनकर लगा, कहीं उत्साही भक्त अभी से मिशन '२४' के तहत प्राण खाने तो नहीं आ गए । देखा तो पाया कि तोताराम बरामदे में किसी छोटे मोटे बौद्धिक की सी तैयारी करता दिखा । 

हमने पूछा- अभी तो '२४' बहुत दूर है । अभी से मीरा क्यों पग घुँघरू बांधने लगी ? 

बोला- हम तो 'जी जी २ की' तैयारी कर रहे हैं ।  

हमने कहा- 'विश्वगुरु का रुतबा क्यों गिरा रहा है ? जी २० बोलने में तकलीफ हो रही है क्या ? 

बोला- जलन तो विपक्षियों को होगी मोदी जी की हर दिन किसी न किसी नई उपलब्धि को लेकर । 

हमने कहा- लेकिन ये फेक्ट चेक करने वाले और सोच समझकर खबरें पढ़ने वाले किसी न किसी तरह गर्व के गुब्बारे की हवा निकाल ही देते हैं । अभी अभी कुछ उत्साही भक्त नोबल का ग्रांड छक्का सेलेबरेट कर ही रहे थे कि कुछ चौकस पत्रकारों और उस नोबल समिति के उप चीफ ने ऐसी गुगली फेंकी कि साहब हिट विकेट हो गए । लेकिन हमारी क्षमताओं को देखते हुए दुनिया के ग्रेट २० देशों ने मार्गदर्शन हेतु हमें बड़े इसरार से अध्यक्ष बना ही दिया तो फिर यह 'जी जी २' का  १/१०  लघु बौद्धिक आयोजन ही क्यों ? कोई 'नमस्ते ट्रम्प' या आस्ट्रेलियायी प्रधान मंत्री के साथ 'सलाम दोस्ती' जैसा धकधक आयोजन क्यों नहीं ?

बोला- मास्टर सच पूछे तो इन ईर्ष्यालु खुचड़ों ने पता नहीं क्यों हर मजे को किरकिरा करने का ठेका ही ले रखा है ? कह रहे हैं- सब देशों का एक एक करके 'जी २०' की अध्यक्षता का नंबर आ चुका है । बस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और भारत ही बचे थे । तुर्की, मेक्सिको का विश्व गुरु बनने का नंबर भी भारत से पहले ही आ चुका है । दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के बाद तो मजबूरी में  नंबर आना ही था । 





हमने कहा- फिर भी यह छोटी उपलब्धि नहीं कि हमारा नंबर ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका से पहले आ गया । क्या पता, नेहरू जी होते तो बीसवाँ नंबर भी लगता कि नहीं ।  यह तो 'मोदी है तो मुमकिन' हुआ । वैसे अब तो बता कि यह 'जी जी २' क्या नाटक है ? एक ग्रेट तो तू है । यह दूसरा ग्रेट और कौन आगया आज तेरे साथ मीटिंग करने ?

बोला- भाई साहब, इस दुनिया में मेरे और आपके अलावा और ग्रेट है ही कौन ?

हमने कहा- तोताराम, यह तो वही 'परस्परम प्रशंसन्ति' वाली बात हो गई- ऊंटों की शादी में गधे सेहरा पढ़ने गए तो दोनों एक दूसरे की प्रशंसा करते रहे- क्या रूप है ? क्या गायकी है ? 

बोला- कल बच्चे बाजार से गोलगप्पे लाए थे। उन्हीं में से कुछ बच गए थे तो मैंने सोचा क्यों न तेरे इस अमृत बरामदे में मोदी जी और जापानी प्रधानमंत्री की तरह दो-दो गोल गप्पे खाकर 'जी जी २' मना लिया जाए ।

हमने कहा- लेकिन मोदी जी ने २०१४ में ही कह दिया था- न खाऊँगा, खाने दूंगा, फिर यह क्या ? बुद्ध जयंती पार्क में जापानी प्रधानमंत्री के साथ गोलगप्पे  ? यही स्थान क्यों चुना ? क्या भगवान बुद्ध गोल गप्पे बेचते थे ? क्या वे गोलगप्पे के लिए जाने जाते है ? अन्यथा तो बुद्ध जयन्ती पार्क गरीब आशिक माशूकों का मिलन स्थल है जबकि बुद्ध तो विश्व के कल्याण के लिए अपनी पत्नी और बच्चे को सोता छोड़कर कर महाभिनिष्क्रमण कर गए थे ।  

मोदी जी के इस कृत्य से बुद्ध के प्रति हमारी भावनाएं आहत हुई हैं । 

बोला- तू और तेरे बुद्ध और तुम्हारी भावनाओं का इतना महत्त्व थोड़े है कि थाने वाले मोदी जी का अपमान करने वाले पोस्टर के खिलाफ १४४  एफ आई आर लिखें ।  और जहां तक गोल गप्पे खाने की बात है तो  मोदी जी नमक, मिर्च, तेल, खटाई कुछ नहीं खाते लेकिन क्या करें, देश हित और देश की 'अतिथि देवो भव'  की छवि के लिए ऐसे कष्ट उठाने ही पड़ते हैं । 








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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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