Dec 10, 2023

मास्टर सॉन्ग


मास्टर  सॉन्ग  


आज तोताराम ने आते ही बिना हमारी किसी फरमाइश और इरशाद के ही उद्घोषणा की- मास्टर सॉन्ग । 

दो सेकंड बाद भी जब वह शुरू नहीं हुआ तो हमने कहा- मतलब ?

बोला- मतलब क्या ? मास्टर का, मास्टर के लिए, मास्टर द्वारा सृजित गीत । 

हमने कहा- आज तक कोई गीत मास्टर के लिए नहीं हुआ । सब या तो प्रार्थना, भजन और कीर्तन की आड़ में अपने पाप छुपाने के लिए किया गया हल्ला होता है या फिर राजनीति में घुसने का शॉर्ट कट । देखा नहीं, किस तरह आजकल बाबाओं को राजनीति में घुसाया जा रहा है ? लोग धर्म और संतई की आड़ में किए गए नाटकों से रामराज्य की आशा लगा लेते हैं लेकिन मिलता क्या है ? ठुल्लू । वैसे हमने तो 'पनोती' और 'कटुआ' की तरह यह एक नया संस्कारी शब्द भी सुना ही है । इसका वास्तविक अर्थ हमें नहीं मालूम । अगर किसी की भावना आहत हुई तो कह देंगे कि हमने तो यह शब्द कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो में सुना था । उसीसे पूछो । 

लोग समझते हैं इन बाबाओं के आगे-पीछे कौन है जिसके लिए कुछ उल्टा-सीधा करेंगे लेकिन लोग भूल जाते हैं कि परिवार वाले की संवेदना का क्षेत्र तो फिर भी विस्तृत होता है । इनका क्या ? न आगे नाथ, न पीछे पगहा । कुछ भी  कर गुजरते हैं । और जब इनका दिमाग खराब होता है तो कोई आसाराम बन जाता है तो कोई राम-रहीम । 

बोला- होता क्यों नहीं । मास्टरों के लिए बहुत कुछ होता है । एक मास्टर के नाम से अध्यापक दिवस मनाते हैं कि नहीं ? 

हमने कहा- एक दिवस या मूर्ति लगा देने से क्या होता है ? एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बना देने से क्या संस्कारी पार्टी के दबंगों ने मध्य प्रदेश में किसी आदिवासी के सिर पर पेशाब करना बंद कर दिया ? क्या किसी दलित को राष्ट्रपति बना देने से सनतानियों की निगाह में सभी दलित मंदिर-प्रवेश के स्वाभाविक अधिकारी बन गए ? कहाँ बुलाया कोविन्द को राममंदिर के शिला पूजन में, कहाँ आमंत्रित की गईं मुर्मू संसद में प्रवेशोत्सव में !   

एक अच्छा अध्यापक जब मास्टरी छोड़कर उपराष्ट्रपति-राष्ट्रपति बना तब अध्यापक दिवस शुरू हुआ । जिस दिन कोई राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री का पद छोड़कर किसी प्राइवेट स्कूल में दस हजार रुपए में दस-दस घंटे खटेगा तब मानेंगे अध्यापक दिवस । 

बोला- अगर तेरा यह आजकल के हालात पर तफ़सरा पूरा हो गया हो तो अपना मास्टर सॉन्ग शुरू करूँ ? 

हमारी अनुमति का इंतजार किए बिना ही तोताराम अपना मास्टर सॉन्ग शुरू कर दिया जिसके बोल थे-

रमेश जोशी ---रमेश जोशी 

इसके बाद तमिल की विशिष्ट शैली और आवाज में जो उत्तर भारत वाले हिन्दी प्रेमियों को कभी समझ में नहीं आती और न ही वे अपने अतिरिक्त हिन्दी अहंकार में समझना चाहते, वाजगनी---वाजगनी जैसा कुछ उच्चरित किया । 

इसके बाद फिर वही 

रमेश जोशी--रमेश जोशी --। 

हमने कहा- यह तो तूने भगवती और श्याम बाबा का जागरण करने वालों की तरह फिल्मी धुनों पर भजन गाने जैसा काम कर दिया । 

बोल- कैसे ? 

हमने कहा- हमें लगता है कि इसी तर्ज पर तमिलनाडु के डॉ. पुष्पवनम  कुप्पू स्वामी का 2020 में लिखा 'नरेंद्र मोडी --नरेंद्र मोडी' गीत हमने सुना है । और फिर हम पर गीत लिखकर तुझे क्या मिलेगा ? 

बोला- अब भक्तों को और धुनें कहाँ मिलेंगी । सब हनुमान चालीसा की तर्ज पर किसी भी विघ्नकारी नेता से लाभ या अभयदान पाने के लिए उसके नाम फिट  कर देते हैं । और जहां तुझ पर गीत लिखने की बात है तो मोदी जी पर तो इतने गीत लिखे जा चुके हैं कि लोगों ने उनका नोटिस लेना ही बंद कर दिया है । मेरा तो मास्टर सॉन्ग, मास्टर स्ट्रोक, मास्टर की, मास्टर माइंड सभी कुछ तू ही है । मोदी जी के चारों तरफ तो भक्तों की इतनी भीड़ लगी है कि सबकी आवाजें , भजन, पूजा-अर्चना, हिन्दुत्व की आड़ में उत्तेजक धार्मिक वक्तव्य आदि तक पूरे-पूरे मोदी जी तक  पहुँच ही नहीं पाते । जैसे कि मधुमक्खी के छत्ते पर रेंगती हुई सभी मधुमक्खियों को शहद का स्वाद नहीं मिलता । मेरा तो 'मोदी जी' तू ही है । तुझी से चाय के साथ नमकीन या तिल का लड्डू मिल सकते हैं । 

हमने कहा-  लेकिन तूने मोदी जी वाले इस गाने को ही क्यों चुना हम पर पैरोडी बनाने के लिए ?

बोल- यह आसान है । रमेश जोशी और नरेंद्र मोदी दोनों में वजन समान है इसलिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती । 

हमने कहा- कैसी बात करता है ? कहाँ हमारा वजन और कहाँ मोदी जी का वजन ! वे तो एक अकेले ही सब पर भारी पड़ते हैं । वर्तमान नेता ही नहीं बल्कि भूतकाल के गांधी, नेहरू, भगत सिंह, सुभाष, विवेकानंद सभी पर भारी पड़ते हैं ।उनकी तुलना में यदि आते भी है तो राम-कृष्ण के अलावा और कोई नहीं । उनका छप्पन इंच का सीना  तो खैर जगजाहिर है, उनका वजन भी 80-90 किलो से क्या कम होगा ?  उनका एक नारा, उनका एक गरबा एक ही दिन में लाखों करोड़ों लोग दोहराने लगते हैं । 

बोला- कर दिया ना सारे छंद-अलंकार शास्त्र का एक ही झटके में सत्यानाश । मैं तेरे और मोदी जी के शारीरिक और राजनीतिक वजन की बात नहीं कर रहा हूँ । मैं तो छंद और बहर के वजन की बात कर रहा हूँ । 



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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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