Dec 26, 2023

तोताराम चंपत हो गया

तोताराम चंपत  हो गया 


कल शाम को तोताराम का पोता बंटी कह गया था कि बड़े बाबा, कल सुबह का चाय-नाश्ता हमारे यहाँ है । 

जैसे ही हम नाश्ते के समय तोताराम के यहाँ पहुंचे तो देखा बैठक में कोई नहीं । 

हमें बड़ी खीज हुई । एक तो ले देकर इतने बरसों में पहली बार नाश्ते के लिए बुलाया और अब खुद ही गायब ।  हमने कुढ़ते हुए ऊंचे स्वर में हाँक लगाई- हमें नाश्ते पर बुलाकर कहाँ चंपत हो गया, जुमलेबाज !

पीछे से तोताराम की आवाज आई, बोला- मेरा निमंत्रण राम मंदिर वाले चंपत राय का राम मंदिर आंदोलन के आदिपुरुष आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी को न आने का कपड़े फाड़ू और सिर फोड़ू, अपमानजनक  निमंत्रण जैसा नहीं है । यह वास्तविक निमंत्रण है । मैं तो बाजार से गरमागरम पकौड़े लेने गया था । 

हमने कहा- लेकिन तू चंपत राय जी की बात को सही ढंग से नहीं समझ रहा है । उनका फर्ज बनता है बुजुर्गों के कष्ट का खयाल करने का । बिना बात बुजुर्गों को मात्र शोभा बढ़ाने के लिए इतना कष्ट देना ठीक नहीं लगता । ऐसे कठिन कामों के लिए मोदी जी हैं ना ।  

जब देश के हर क्षेत्र में ' सबका साथ : सबका विकास : सबका विश्वास'  कार्यक्रम चल रहा है तो फिर क्या बुलाना और क्या न बुलाना । यहाँ तो रोम रोम में राम हैं। सियाराममय सब जग जानी है । क्या गुरुद्वारे में लंगर के लिए कोई किसी को निमंत्रण देता है ? क्या केदारनाथ, बद्रीनाथ किसी को निमंत्रण भिजवाते हैं ? वैष्णो देवी के भक्तों की और मोदी जी की बात और है । जब भक्तों को माता का बुलावा आता है तो वे चल पड़ते हैं या फिर जब गंगा मैया बुलाती है तब मोदी जी बनारस चले जाते हैं । आडवाणी जी और जोशी जी भी राम के बुलावे का इंतजार कर सकते हैं । 

बोला- तुझे पता है 'राम का बुलावा' क्या होता है ? फ़ोटो में जोशी जी की हालत तो जरूर दयनीय लगती है लेकिन आडवाणी जी अभी भी फिटफाट हैं । कहीं से नहीं लगता कि 'राम' के बुलावे का इंतजार कर रहे हैं । 

जब 4000 संत और 2200 विशिष्ट जन बुलाए गए हैं तो इन्हें भी साधारण डाक से उलटे मन से भिजवा देते एक निमंत्रण पत्र । लेकिन भिजवाया तो क्या संदेश ! आप मत आना । इतना अपमान तो चंपत राय जी ने हमारा भी   नहीं किया । हमें विधिवत निमंत्रण नहीं भेजा तो कोई बात नहीं लेकिन यह तो नहीं कहा कि मत आना । 

हमने कहा- एक तरह से तो चंपत राय जी ने ठीक ही किया । मान ले बुला लेते और त्रिपुरा में विप्लव देव के शपथ ग्रहण समारोह जैसी अनदेखी होती तो सोच कितनी निंदा होती संस्कारी लोगों की । 

और फिर इस उम्र में दुख सहने की तो आदत हो जाती है लेकिन खुशी बर्दाश्त नहीं होती । कल को खुशी के अतिरेक में कुछ हो जाए तो ! बिना बात रंग में भंग पड़ जाएगा । 





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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach

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