मुबारक हो, ट्रिपल इंजन की सरकार
तोताराम हमारे जाग जाने से पहले ही हाजिर जैसे कि चुनाव की घोषणा होते ही टिकटार्थी नोटों से भरा सूटकेस और अपने जिताऊ उम्मीदवार होने के प्रमाणस्वरूप पुलिस केसों की लिस्ट लेकर पार्टी कार्यालय को घेर लेते हैं ।
हमने छेड़ा- आज कौनसा स्वार्थ भगा लाया भक्त को ।
बोला- हम स्वार्थी भक्त नहीं हैं । हम तो पार्टी के अनुशासित सिपाही है । जनता की सेवा के लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं लेकिन अपने कुछ मांगने के मामले में मामा शिवराज सिंह जी की तरह हैं । मर जाएंगे लेकिन कुछ मांगने के लिए दिल्ली नहीँ जाएंगे । आज तो हम तुझे विशेष रूप से 'मुबारकबाद' देने आए हैं ।
हमने कहा- हम भी हिन्दुत्व, राष्ट्रीयता और गुलामी के बचे-खुचे चिह्नों को मिटाने के मामले में तेजस्वी सूर्या से कम नहीं हैं । शुभकामना दे, बधाई दे लेकिन यह 'इस्लामी' मुबारकबाद किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है ।
बोला- चल, तेरी ही बात बड़ी कर देता हूँ , ट्रिपल इंजन की सरकार कल्याणकारी हो, शुभ हो, मंगलमय हो ।
हमने तोताराम को फिर फफेड़ा- यह ट्रिपल भी 'घमंडिया' के 'इंडिया' की तरह अंग्रेजी है, इंजन भी अंग्रेजी और 'सरकार' फिर कहीं न कहीं अरबी-फारसी-उर्दू वाली इस्लामी संस्कृति की याद दिलाता है ।
बोला- इस तरह तो हम हिन्दी वालों का बोलना ही मुश्किल हो जाएगा । अंग्रेजी, उर्दू शब्दों के बिना कैसे काम चलेगा ? खैर, कोशिश करता हूँ । 'त्रिगुण अग्निरथ सत्ता' कल्याणकारी हो ।
हमने कहा- सब तो डबल इंजन की सरकार का जुमला फेंकते हैं लेकिन अब यह तीन इंजन की सरकार कहाँ से आ गई ?
बोला- जो केंद्र में वही राज्य में । तो डबल । और उस पर ब्राह्मण मुख्यमंत्री तो हुई कि नहीं त्रिगुण इंजन सत्ता ? कल पहली बार राज्य में तेरे सरनेम वाले हरिदेव जोशी के 33 साल बाद कोई ब्राह्मण मुख्यमंत्री बना है । अब और क्या चाहिए ?
देखा नहीं, तेरे सरनेम वाले राजस्थान विप्र सेना के अध्यक्ष समेत कितने ब्रह्मज्ञानियों ने भजन लाल शर्मा को पूरे पेज के विज्ञापन द्वारा बधाई दी है ।
लेकिन यह मत भूल कि कोविन्द जी को राम मंदिर के शिलान्यास और मुर्मू को संसद के उद्घाटन में नहीं बुलाया गया । मुर्मू के काल में ही मध्यप्रदेश में किसी आदिवासी का लघुशंका वाले तरल पदार्थ से अभिषेक करने की घटना हुई है । झारखंड में बिरसा मुंडा और दाँतेवाड़ा में महाराणा प्रताप की मूर्ति लगा देने से या किसी आदिवासी को छतीसगढ़ का मुख्यमंत्री बना देने से आदिवासियों के संसाधनों पर मित्रों का कब्जा नहीं थम जाएगा ।
बोला- अगर इस खुशखबरी के बदले अगर तिल के लड्डू या जलेबी नहीं खिलाना है तो मत खिला लेकिन कम से कम 33 साल बाद किसी ब्राह्मण के राज्य के मुख्यमंत्री बनने की खुशी का सत्यानाश तो मत कर ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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