यह मोदी जी के बस का काम नहीं है
आज जैसे ही हम बरामदे में गए तो देखा तोताराम पहले से ही बैठ हुआ है और वह भी चुपचाप । हमें बड़ा अजीब लगा । कहा- कब से बैठ हुआ ? आवाज क्यों नहीं लगाई ?
तोताराम अनमना सा बैठा रहा और बोला- कुछ नहीं,बस वैसे ही ।
तोताराम और ऐसी मरियल आवाज ! ठीक है, तोताराम कोई इतना बड़ा महाबली नहीं कि जिसके चेहरे पर यौनशोषण के मामले में केस दर्ज होने पर भी शिकन न आए ।और पत्रकारों से ही पूछ ले कि कौन काटेगा मेरा टिकट ? अपने अहंकार में इतना भी मगरूर नहीं कि मणिपुर जैसे मामले में भी जुबान न खोले । अभी तक तोताराम के पीछे कोई ई डी या सी बी आई नहीं पड़ी है इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि वह अपने आदर्शों के प्रति वास्तव में कितना प्रतिबद्ध है । फिर भी कुल मिलाकर हमें उसका इस प्रकार चुप रहना और मरियल आवाज में जवाब देना अच्छा नहीं लगा ।
पूछा- क्या बात है ?
बोला- बात क्या है ? अब तो सब उम्मीदें समाप्त । एक मोदी जी का ही आसरा था लेकिन अब लगता है कि यह काम अब मोदी जी के बस का नहीं रहा ।
हमने कहा- तोताराम, हम किसी भी बड़े से बड़े झूठ पर विश्वास कर सकते हैं । 15 लाख वाले जुमले को सच मान सकते हैं, दो करोड़ नौकरियों के वादे पर भी विश्वास कर सकते हैं, यह भी मान सकते हैं कि चीन भारत की सीमा में नहीं घुसा लेकिन यह नहीं मान सकते कि दुनिया में कोई काम ऐसा भी है जिसे मोदी जी नहीं कर सकते । मोदी है तो सब कुछ मुमकिन है । जो आदमी यहाँ बैठे बैठे रूस और यूक्रेन का युद्ध रुकवा सकता है, चीन को लाल आँख दिखा कर हड़का सकता है, हर दिन एक एम्स, एक आई आई टी, हर दिन लाखों शौचालय, लाखों मकान बना सकता है, वह क्या नहीं कर सकता ?
बोला- वह भारत को हिन्दू राष्ट्र नहीं बना सकता ?
हमने कहा- कैसी बात करता है । जो आतंकवादियों को उनके कपड़ों से पहचान सकता है, तीन तलाक समाप्त कर सकता है, जज को फुसलाकर राम मंदिर बनवा सकता है, हर मस्जिद के नीचे शिव लिंग ढूंढ सकता है, जो राम लला को अंगुली पकड़कर ला सकता है, जो हर अब्दुल की चूड़ी टाइट कर सकता है, जो हर बात में मुसलमानों को लपेट सकता है, जो अमरीका की सड़कों पर बुलडोज़र का जुलूस निकलवा सकता है, वही हिन्दू राष्ट्र बना सकता है । और कौन है जो इस दुष्कर और देश तोडू, घर फोडू काम को कर सकता है ?
बोला- मुझे तो लगता है कि यह काम अब राहुल बाबा ही करेंगे ।
हमने कहा- तोताराम तेरा दिमाग तो ठीक है या फिर कोविशील्ड का टीका लगवाकर खराब हो गया ? राहुल तो इस धार्मिक नफरत को मिटाना चाहते हैं । वे और उनका परिवार और उनके साथी और उनकी पार्टी और उनका गठबंधन कोई भी धार्मिक कट्टरता को नहीं मानते ।
बोला- मेरा तो दिमाग ठीक है लेकिन तेरा दिमाग जरूर कोरोना के वाइरस ने खा लिया है। ये राजनीति की बहुत गूढ बातें हैं । मोदी जी ने जो आशंका व्यक्त की कि राहुल गांधी हिन्दू महिलाओं के मंगल सूत्र छीन कर मुसलमानों में बाँट देंगे; बस इसी में छुपा हुआ है हिन्दू राष्ट्र का एजेंडा ?
हमें लगा कि तोताराम बात को घुमाने में मोदी जी से भी चार हाथ आगे है । फिर भी स्पष्ट करने के लिए पूछा- वह कैसे ?
हमने कहा- जब राहुल हिन्दू महिलाओं के मंगल सूत्र छीनकर मुसलमान महिलाओं में बाँट देंगे तो वे उसका क्या करेंगी ? पहनेंगी ही ना ! फिर करवा चौथ का व्रत करेंगी। ऐसे ही वे हिन्दू बन जाएंगी और उनके पीछे पीछे उनके पति और संतानें सब हिन्दू बन जाएंगे । और इसी कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए ब्राह्मणों के जनेऊ मुसलमानों को पहना देंगे । इसी तरह से फिर राजपूतों के ताव दी हुई मूँछें मुसलमानों को लगा देंगे । और हिन्दू का मतलब क्या होता है ? यह दिखावटी फरक ही तो है हिन्दू मुसलमान आदि में वरना तो सभी की समस्याएं तो वे ही रोटी, पानी, नौकरी, मकान, हारी-बीमारी, बच्चे, ब्याह शादी आदि ।
बोला- लेकिन उसमें भी तो एक नहीं, हजार पेंच हैं । हजारों जातियाँ, लाखों गोत्र, करोड़ों देवता, तरह तरह के खानपान, पहनावे । इनमें कैसे समन्वय बैठायेंगे ?
हमने कहा- राजनीति का उद्देश्य समन्वय नहीं, सत्ता होता है । जब हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा तो फिर उसमें चुनाव जीतने के लिए ब्राह्मण, बनिया, भंगी, चमार, जाट, राजपूत किया जाएगा ।इस खाज का कोई इलाज नहीं है । न रोगी मारे, न ठीक हो और डाक्टर पलते रहें ।
बोला- तो फिर इसी तरह रहने में क्या बुराई है ?
हमने कहा- कोई बुराई नहीं । हो सके तो अर्थव्यवस्था के बारे में सोचो । उसी से रास्ता निकलेगा । भूख का इलाज मंदिर-मस्जिद और हिन्दू-मुसलमान में नहीं है । ये सब तो मूर्खों को बहकाने के बहाने हैं ।
बोला- मोदी जी के अनुसार तो पाकिस्तान भी चाहता है कि राहुल जीतें ।
हमने कहा- और क्या ? धर्म के आधार देश बनने से दोनों देशों के कट्टर पंथियों का फायदा है । फिर बिना कुछ किए ही चुनाव जीतना आसान हो जाता है । नशे में आदमी को भूख प्यास कहाँ व्यापती है ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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