Jun 16, 2025

हमें मोदी जी समझ रखा है क्या ?

हमें मोदी जी समझ रखा है क्या ? 

 

आज जब हम और तोताराम बरामदे में बैठे थे तो अपनी बाजार की चौकीदारी की नाइट ड्यूटी करके जा रहा चौकीदार हमें देखकर रुक गया, बोला- अच्छा रहा जो आप दोनों यहीं मिल गए वरना मुझे तोताराम जी के घर अलग से जाना पड़तासेठ जी ने आप दोनों को अभी अपने बेटे की शादी के खाने पर बुलाया  है ।  

 

 

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सेठ जी मतलब वह दुकानदार जिसके यहाँ से हम और तोताराम परचून का सामान लाते हैं ।  

हमने पूछा- इतने पंडित तो हम भी हैंअभी तो वृहस्पति अस्त चल रहा है 10 जून से 6 जुलाई तक शादी का कोई मुहूर्त ही नहीं बनता ।  

बोला- मुहूर्त का क्या है मास्टर जी, एक्स्ट्रा दक्षिणा दो या पीठ पर कट्टा गा दो तो ुहर्त क्या है, डि जी चाहे निकाल दें ुनाव की ्द थी तो रालला की प्राणप्ति्ठा का ुहूरत पचक मे निकिया कि नहीं 

हमने कहा- लेकिन न्यौता देने का यह कौनसा तरीका है ? न्यौता बाकायदा कार्ड के साथ समय से और आदर से दिया जाता है ।  

बोला-मास्टर जी, मेरा नाम तो लेना मत लेकिन दरअसल बात यह है कि शादी का खाना तो कल शाम को ही था लेकिन बहुत खाना बच गया तो सेठ कह रहा था- बहुत खाना बच गया सो गली में जो भी दिखे उसी को अभी खाने के लिए कह जानादेर हो जाएगी तो फिर खाना किसी लायक नहीं रहेगा ।  

 

हमने कहा- तेरे सेठ को कह देनाखाना बच गया तो मास्टरों को न्यौता ! क्या समझ रखा है हमेंऐसी तैसी तेरे सेठ कीहम मोदी जी हैं क्या जो जब चाहा निमंत्रण केंसिल कर दिया और मन किया तो ऐन वक़्त पर बुलावाहम कोई उसके खाने के लिए निठल्ले बैठे हैंअभी तो इतनी पेंशन मिल यही है किसही 80 हजार रुपए किलो का मशरूम; मजे से दोनों समयश्री अन्नखा सकते हैं ।  

 

अब तक चुप बैठा तोताराम उछला, बोला- तुझेजाना है तोजा लेकिन बिना बात मोदी जी को बीच में क्यों लाता है ? तू मोदी जी के जीवनानुभव को क्या समझेगाउन्होंने चाय बेची है, 35 साल भीख माँगी है, ट्रेन में लोगों की हस्तरेखा देख- देखकर बैठने को सीट कबाड़ी है ।  

हमने कहा- लेकिन इस बात का क्या उत्तर है कि कनाडा ने समय पर मोदी जी कोनहीं बुलाया ? इतनी कृतघ्नताहमने तो सबको नए नए भारत मंडपम में बुलाया, तरह तरह के व्यंजन, सगीत से स्वागत किया, खजाने का मुँह खोल दिया और उसका यह जवाब 

बोला- उसका भी कारण हैकनाडा वाले ने सोचा होगा कि भारत तो मोदी जी के नेतृत्व में ग्रेट ही क्या ग्रेटेस्ट बन चुका हैअब उन्हें किसी ग्रेटों के सम्मेलन में जाने की क्या जरूरत है ? और फिर मोदी जी का आकर्षण ऐसा है कि सब उनके पीछे झप्पी और हाथ मिलाने के लिए पड़ जाएंगेकाम के लिए समय ही नहीं मिल पाएगाऔर फिर मोदी जी सिंदूर वितरण में भी तो व्यस्त थे ।  

बोला- क्या किया जाएअब इज़राइल और ईरान वाला लफड़ा भी तो पड़ गयामोदी जी के अलावा और है भी कौन जो एक फोन पर वार रुकवा देंइसलिए विशेष आग्रह करके बुलाया है । अब मोदी जी तेरी तरह छोटी सोच के थोड़े हैं जो जरा-जरा सी बात पर बुरा मान जाएँविश्व हित के लिो छोटी-छोटी बातों को भूल भी जाना चाहिए ।  

क्षमा बड़न को चाहिए छोटन को उत्पात.... ।   



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