आजकल प्रधानमंत्री कहाँ है ?
तोताराम अभी पूरी तरह से बैठ भी नहीं पाया था कि हमने प्रश्न उछाल दिया । जैसे कि विपक्ष और जनता नौकरी, शिक्षा, चुनाव सुधार, प्रदूषण और सरकारी उपक्रमों को बेचने और लोकतान्त्रिक संस्थाओं को कमजोर करने आदि की बात उठायें उससे पहले ही प्रधानमंत्री जी कोई न कोई सांस्कृतिक, भावनात्मक और धार्मिक मुद्दा उछाल देते हैं और लोग उसी में उलझ जाते हैं । इसी के लिए हमारे राजस्थान में एक कहावत है- धाया तेरी छाछ राबड़ी, गंडकाँ सैं तो कढ़ा । मतलब छाछ राबड़ी दे या नहीं लेकिन तेरे यहाँ के कुत्ते जो मेरे पीछे पड़ गए हैं उनसे तो पीछा छुड़ा ।
हमने पूछा- आजकल प्रधानमंत्री जी कहाँ हैं ?
बोला- तुझे प्रधानमंत्री जी से क्या मतलब है ? तू क्या उनका बॉस लगा हुआ है जो तुझेसे छुट्टी और हैडक्वार्टर लीव लेकर जाएंगे । प्रधानमंत्री हैं चुने हुए और वह भी तीसरी बार । और सारा देश जोर लगा ले 1947 में भी वे ही चुने जाएंगे और तब तक प्रधान मंत्री बने रहेंगे जब तक देश की अर्थव्यवस्था 100-200 ट्रिलियन की न हो जाए, देश विभाजन करवाने वालों और मैकाले के भक्तों के मुक्त नहीं हो जाता और सतयुग जैसा पवित्र और सनातन राष्ट्र नहीं बन जाता तब तक वे 20-20/24-24 घंटे काम करते रहेंगे । जहाँ भी होंगे देश के हित में कोई न कोई काम कर रहे होंगे ।
अगर किसी तीर्थ, मंदिर, मठ की यात्रा कर रहे हैं तो देश के हित का चिंतन कर रहे होंगे । अगर विदेश में हैं तो देश का डंका बजा या बजवा रहे होंगे ।या फिर कोई सम्मान ग्रहण कर रहे होंगे ।
हमने कहा- यह काम कोई और भी तो कर सकता है या फिर वह देश सम्मान डाक से भी भिजवा सकता है ।
बोला- क्या करें । जब कोई देश उनकी विश्वगुरु छवि से इतना ही अभिभूत हो जाता है और सम्मान देने के लिए पीछे ही पड़ जाता है तो प्रधानमंत्री को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को ध्यान में रखकर जाना ही पड़ता है । 16 दिसंबर इथियोपिया में और 17 दिसंबर को ओमान वाले ने सम्मानित किया ।
हमने कहा- सुबह ट्रेड डील और शाम को सम्मान । जैसे किसी अखबार के लोकल संस्करण में एक तरफ स्कूल का विज्ञापन और उसके पास ही संचालक का गुणगान । उन्हें अभी सभी देशों से पूछ लेना चाहिए कि जिसे भी सम्मान देना है अभी लगे हाथ दे दे । दस-बीस दिन लगाकर सारे सम्मान लेकर आ जाएं और फिर थोड़ा सुस्ता लें । 75 के हो गए हैं । कुछ आराम भी कर लिया करें ।
वैसे जिस स्पीड से सम्मान बटोर रहे हैं उससे तो लगता है कहीं से लॉटरी निकल गई है और जमकर मॉल में खरीददारी कर रहे हैं ।
बोला- मोदी जी ट्रम्प की तरह थोड़े हैं जो बेशर्मी से नोबल के लिए लार टपकाएं ।
हमने कहा- कोई बात नहीं ।ठीक है, वे गाँधी नेहरू से भी महान है और दुनिया उनको सम्मान देकर खुद सम्मानित होना चाहती है । फिर भी जब राम लाल जी आ जाएँ तो हमें बता देना । हम भी उन्हें ‘बरामदा विश्वरत्न सम्मान’ से विभूषित करना चाहते हैं ।
बोला- सम्मान तो ठीक है लेकिन उन्हें खुद को तो समय नहीं मिलेगा लेकिन हो सकेगा तो ओंम बिरला जी या अर्जुन राम जी जैसी राजस्थान की किसी विभूति को भेज देंगे । और कुछ नहीं तो एक दिन बस से दोनों भाई चले चलेंगे दिल्ली । राजस्थान रोड़वेज बस का किराया तो लगेगा नहीं 80 प्लस वालों का । फ्री में काम हो जाएगा । लेकिन बात तो मोदी जी की हो रही थी फिर बीच में यह राम लाल जी कौन आ गया ?
हमने कहा- हमने मोदी जी का नाम बदलकर राम जी लाल कर दिया है ।
बोला- ऐसे कैसे हो सकता है ?
हमने कहा- कोई बात नहीं, अगर तुझे ठीक नहीं लगता तो राम जी लाल की बजाय रामकुमार, रामसिंह, रामविलास, राम बिहारी, राममोहन,रामनिवास, रामप्रसाद या नाथूराम, बलीराम, कालूराम, लालाराम रख देते हैं ।
बोला- यह क्या बकवास है । तुझे पता नहीं नाम बदलना बहुत बड़ा अपमान है । लोग सबसे बड़ी शर्त यह लगाते हैं कि अगर मैं यह/वह न कर सकूँ तो मेरा नाम बदल देना ।
हमने कहा- अगर ऐसी बात है तो मोदी जी ने हर साल दो करोड़ नौकरियों और सबके खातों में 15-15 लाख रुपये डालने का वादा पूरा नहीं किया तो उनका बदल जा सकता है ।
बोला- वह कोई वादा नहीं था चुनावी जुमला था ।
हमने कहा- तो फिर मोदी जी ने मनरेगा का नाम क्यों बदला । गाँधी की जगह ‘’जी राम जी’ क्यों कर दिया ।
बोला- तुझे राम से क्या ऐतराज है । राम तो गाँधी जी को भी बहुत प्रिय थे । गाँधी जी ने मरते समय नेहरू जी का नहीं बल्कि राम का नाम लिया था । राम का नाम भारत की योजनाओं में नहीं होगा तो क्या पाकिस्तान की योजनाओं में होगा ?
हमने कहा- वैसे गाँधी जी अंतिम समय में राम नहीं ‘हे नाथूराम .... जैसा कुछ कहने वाले थे । फिर भी तुझे प्रधानमंत्री का नाम रामजी लाल होने में क्या ऐतराज है ? जब मोदी जी मनरेगा का नाम जी राम जी कर सकते हैं तो हम भी प्रधानमंत्री का नाम रामजीलाल कर सकते हैं । अगर भारत के प्रधानमंत्री का नाम रामजीलाल नहीं होगा तो क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का नाम रामजीलाल होगा ।
हम तो गृहमंत्री, रक्षामंत्री, वित्तमंत्री, आर एस एस के प्रधान सबका नाम राम से रखेंगे । अगर इस अपराध पर फाँसी लगती है तो भी हमें कोई ऐतराज नहीं है ।
तेरा नाम तो सौभाग्य से तोताराम है ही । हमारा नाम भी तू चाहे तो रमेश जोशी की जगह राम जोशी कर सकता है ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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