दाँतफाड़ासन
दो दिन बारिश हुई तो मौसम ठीक हो गया था लेकिन कल दोपहर बाद तेज धूप निकली तो सब कुछ बराबर । फिर वही गरमी और साथ में उमस भी । रही सही कसर रात को कोई चार बजे जाकर लाइट ने पूरी कर दी । अब ऐसे में कोई क्या सो ले ।
हमारा घर लब-ए-सड़क है सो शोर और रौनक बनी रहती है लेकिन यह आवाज कुछ और ही तरह की थी-- झाड़ू लगाने की आवाज ।कोई पाँच बजे होंगे । इतनी जल्दी नगर परिषद के ठेकेदार के आदमियों का सफाई के लिए आना संभव नहीं । आ तो वे आधी रात को भी सकते हैं बशर्ते किसी मंत्री या महामानव का रोड़ शो हो ।
जिज्ञासा हुई, उठकर बाहर गए तो देखा कोई मानवाकृति सड़क के बीचों बीच दरी पट्टी बिछाकर लेटने का उपक्रम कर रही है । यह कृत्य तो स्पष्ट रूप से आत्महत्या की तैयारी है । हमने उस आकृति को झट से पकड़ कर उठाया । स्ट्रीट लाइट की तरफ चेहरा घुमाकर देखा तो तोताराम !
यह क्या बेवकूफी है ?क्या मरने का इरादा है । सब्जी मंडी में ले जा रहा कोई मोटर साइकिल वाला टाँगें कुचल जाएगा और अगर किसी ट्रेक्टर के नीची आ गया तो शक्ल भी नहीं पहचानी जाएगी। खुरच खुरच कर उठाना पड़ेगा । मरना ही है तो पहलगाँव घूमने चला जा या अमित शाह के अहमदाबाद से लंदन की एयर इंडिया की फ्लाइट पकड़ ।कुछ मुआवजा और पब्लिसिटी तो मिलेगी । यहाँ मरकर हमें क्यों पुलिस के चक्कर में फँसाता है ?
बोला- मास्टर, तुझे पता होना चाहिये आज विश्व योग उर्फ योगा दिवस है मोदी जी द्वारा भारतीय संस्कृति को वैश्विक बनाने के उपक्रम का दिन । रोजाना कुछ भी करो, योग करो ना करो लेकिन दिवस पर ऊटपटाँग तरीके से किए गए नाटकों को मीडिया में अधिक चर्चा मिलती है इसलिए मैंने यह योग करने का रोमांचक स्थान चुना है ।
हमने कहा- रोमांच वोमांच सब धरा रह जाएगा जब पुलिस आत्महत्या की कोशिश के केस में पकड़ ले जाएगी । यह भी कोई स्थान है योग करने का ?
बोला- कोई भी स्थान किसी भी काम को करने के लिए हो सकता है । यह सब करने वाले की क्षमता और समझ पर निर्भर करता है । रात में हाइवे पर सत्ताधारी दल के एक माननीय ने सी सी टीवी कैमरे के सामने जो किया वह क्या था ? क्या वह स्थान उचित था ?
हमने कहा- खैर छोड़, हमें ऐसे लोगों से क्या लेना देना । कुछ माननीय सांसद लोग तो नए संसद भवन के उद्घाटन सत्र में भी अपने साथी माननीय को कटुए, मुल्ले, आतंकवादी बुलाने लग जाते हैं तो क्या हम ऐसे लोगों का अनुसरण करें ? चल अंदर । हो गया योग । अगर ज्यादा की उचंग चढ़ी है तो बरामदे में बिछा ले दरी ।
हमारा कहना मानकर तोताराम बरामदे में आ गया और लेटकर तरह तरह से शरीर को तोड़ने-मरोड़ने लगा ।
हमने कहा- यह क्या है ?
बोला- ये आलिया भट्ट, सचिन तेंडुलकर, करिश्मा कपूर जैसे सेलेब्रिटीज के कपोतासन, वीरभद्रासन, चक्रासन आदि योगासन हैं ।
हमने कहा- ये तो जवानों के वश के काम हैं । तू तो कोई बुजुर्गों वाला आसान बता ।
बोला- तो फिर धनखड़ जी वाला ‘’कमर झुकासन’ कर ले या फिर बिरला जी वाला ‘’हर समय मुस्करासन’ कर ले ।
हमने कहा- तोताराम, लगता है अब सीना सिकुड़ता जा रहा है । इसे ठीकठाक करने वाला भी कोई आसन है क्या ?न सही 56 इंच का 36 का हो जाए तो भी चलेगा ।
बोला- है तो सही लेकिन थोड़ा कठिन है । इसके लिए पहले चाय बेचना, फिर भाभी को छोड़ना और फिर 35 साल भीख मांगना जरूरी है जो अब संभव नहीं है । इसलिए अब या तो बरामदे में बैठकर निंदासन किया कर या फिर खाट पर शवासन । भगवान लंबी उम्र दे तो आडवाणी जी की तरह ‘अनंत प्रतीक्षासान’ भी कर सकता है ।
हमने फिर पूछा- इससे सरल भी कोई योग है क्या ?
बोला- अब तो वही एक आसन बचा है जो मोदी जी किसी भी राष्ट्राध्यक्ष से मिलने के समय कुछ समझ न आने पर करते हैं- बिना बात हँसासन या दाँतफाड़ासन ।
-रमेश जोशी
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