हमें मोदी जी समझ रखा है क्या ?
आज जब हम और तोताराम बरामदे में बैठे थे तो अपनी बाजार की चौकीदारी की नाइट ड्यूटी करके जा रहा चौकीदार हमें देखकर रुक गया, बोला- अच्छा रहा जो आप दोनों यहीं मिल गए वरना मुझे तोताराम जी के घर अलग से जाना पड़ता । सेठ जी ने आप दोनों को अभी अपने बेटे की शादी के खाने पर बुलाया है ।
सेठ जी मतलब वह दुकानदार जिसके यहाँ से हम और तोताराम परचून का सामान लाते हैं ।
हमने पूछा- इतने पंडित तो हम भी हैं । अभी तो वृहस्पति अस्त चल रहा है 10 जून से 6 जुलाई तक शादी का कोई मुहूर्त ही नहीं बनता ।
बोला- मुहूर्त का क्या है मास्टर जी, एक्स्ट्रा दक्षिणा दो या पीठ पर कट्टा लगा दो तो मुहूर्त का क्या है, पंडित जी जब चाहें निकाल दें । चुनाव की जल्दी थी तो रामलला की प्राणप्रतिष्ठा का मुहूर्त पंचक में निकाल दिया कि नहीं ?
हमने कहा- लेकिन न्यौता देने का यह कौनसा तरीका है ? न्यौता बाकायदा कार्ड के साथ समय से और आदर से दिया जाता है ।
बोला-मास्टर जी, मेरा नाम तो लेना मत लेकिन दरअसल बात यह है कि शादी का खाना तो कल शाम को ही था लेकिन बहुत खाना बच गया तो सेठ कह रहा था- बहुत खाना बच गया सो गली में जो भी दिखे उसी को अभी खाने के लिए कह जाना । देर हो जाएगी तो फिर खाना किसी लायक नहीं रहेगा ।
हमने कहा- तेरे सेठ को कह देना । खाना बच गया तो मास्टरों को न्यौता ! क्या समझ रखा है हमें । ऐसी तैसी तेरे सेठ की । हम मोदी जी हैं क्या जो जब चाहा निमंत्रण केंसिल कर दिया और मन किया तो ऐन वक़्त पर बुलावा। हम कोई उसके खाने के लिए निठल्ले बैठे हैं । अभी तो इतनी पेंशन मिल यही है कि न सही 80 हजार रुपए किलो का मशरूम; मजे से दोनों समय ‘श्री अन्न‘ खा सकते हैं ।
अब तक चुप बैठा तोताराम उछला, बोला- तुझे न जाना है तो न जा लेकिन बिना बात मोदी जी को बीच में क्यों लाता है ? तू मोदी जी के जीवनानुभव को क्या समझेगा । उन्होंने चाय बेची है, 35 साल भीख माँगी है, ट्रेन में लोगों की हस्तरेखा देख- देखकर बैठने को सीट कबाड़ी है ।
हमने कहा- लेकिन इस बात का क्या उत्तर है कि कनाडा ने समय पर मोदी जी को ं नहीं बुलाया ? इतनी कृतघ्नता । हमने तो सबको नए नए भारत मंडपम में बुलाया, तरह तरह के व्यंजन, सगीत से स्वागत किया, खजाने का मुँह खोल दिया और उसका यह जवाब !
बोला- उसका भी कारण है । कनाडा वाले ने सोचा होगा कि भारत तो मोदी जी के नेतृत्व में ग्रेट ही क्या ग्रेटेस्ट बन चुका है । अब उन्हें किसी ग्रेटों के सम्मेलन में जाने की क्या जरूरत है ? और फिर मोदी जी का आकर्षण ऐसा है कि सब उनके पीछे झप्पी और हाथ मिलाने के लिए पड़ जाएंगे । काम के लिए समय ही नहीं मिल पाएगा । और फिर मोदी जी सिंदूर वितरण में भी तो व्यस्त थे ।
बोला- क्या किया जाए । अब इज़राइल और ईरान वाला लफड़ा भी तो पड़ गया । मोदी जी के अलावा और है भी कौन जो एक फोन पर वार रुकवा दें । इसलिए विशेष आग्रह करके बुलाया है । अब मोदी जी तेरी तरह छोटी सोच के थोड़े हैं जो जरा-जरा सी बात पर बुरा मान जाएँ । विश्व हित के लिो छोटी-छोटी बातों को भूल भी जाना चाहिए ।
क्षमा बड़न को चाहिए छोटन को उत्पात.... ।
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(c) सर्वाधिकार सुरक्षित - रमेश जोशी । प्रकाशित या प्रकाशनाधीन । Ramesh Joshi. All rights reserved. All material is either published or under publication. Jhootha Sach
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