Jan 17, 2010

मदद या मिसलीडिंग - २६/११ और अमरीकी कूटनीति

अमर सिंह जी,
जय माता जी की । हमारे यहाँ तो राजपूत मिलने पर आपस में इसी तरह अभिवादन करते हैं । आपके उधर के स्टाइल का पता नहीं । वैसे तो आप उद्योगपति हैं । बड़े-बड़े आर्थिक मामलों में बड़े-बड़े लोगों के संकटमोचक हैं । विभिन्न अवसरों पर अपनी बात दबंग तरीके से कहकर आपने अपने क्षत्रियत्व को सिद्ध किया है । हम आपकी तरह न तो अमर हैं और न ही सिंह । हम तो एक सादे से डरपोक रिटायर्ड मास्टर हैं । न ही आपकी तरह फिल्मी तारिकाएँ हम से फोन पर बातें करती हैं । कभी युवावस्था में किसी स्वप्न सुन्दरी को पत्र लिखा भी तो उसने ज़वाब नहीं दिया । फिर भी हमको लगता है कि हममें और आप में कुछ समानताएँ भी हैं । आप बड़ी गंभीर बातें करते हैं पर पता नहीं क्यों आपको भारतीय राजनीति में गंभीरता से नहीं लिया जाता । हमें भी अपने परिवार वालों और दोस्तों ने कभी गंभीरता से नहीं लिया । हमारी बातों को हास्य-व्यंग कह कर यूँ ही उड़ा दिया ।

आपने रघुबीर यादव अभिनीत सीरियल 'मुंगेरी लाल के हसीन सपने ' अवश्य देखा होगा । उसमें कभी-कभी मुंगेरी लाल की आँख मिचमिचाती है और वह आपने सपनों की दुनिया में पहुँच जाता है जहाँ वह अपनी मनमानी करता है । हमें भी कभी-कभी अपने दिमाग में एक हलचल सी महसूस होती है और तब हम वह भी जान लेते हैं जो सामान्य अवस्था में संभव नहीं होता । इसी भावावेश में हमने कई अद्भुत सत्यों का उद्घाटन करते हुए कई बड़े-बड़े लोगों को पत्र लिखे पर किसी ने भी ज़वाब नहीं दिया । कल आपने संसद में कहा कि २६/११ वाले मामले में हेडली को लेकर अमरीका भारत की मदद कर रहा है या मिस्लीड ?


आपके इस प्रश्न का उत्तर किसी ने नहीं दिया होगा क्योंकि सरकार तो इस अमरीकी सहयोग की आड़ में अपनी नपुंसकता छुपा रही है । हमने भी अपनी तीसरी आँख से इस मामले को देखा है और हमें लगता है कि इस मामले में आपकी सोच बिलकुल सही है । भारत पर होने वाले सभी हमलों की जड़ पाकिस्तान ही है । भारत कितना भी कहे जब तक पाकिस्तान २६/११ का हल निकालने में सहयोग नहीं करेगा तब तक भारत उससे कोई वार्ता नहीं करेगा । मत करो वार्ता, उसे क्या फर्क पड़ता है । वह तो अपनी गतिविधियाँ जारी रखे हुए है ।

पाकिस्तान शुरु से ही अमरीका की ज़रूरत रहा है । पहले रूस और चीन को घेरने की रणनीति के तहत और समाजवाद की बात करने के कारण भारत को परेशान करने के लिए । अब चीन इतना ताक़तवर हो गया है कि अमरीका खुद उससे डरने लग गया है । रूस में समाजवाद की समाप्ति के बाद साम्यवाद के विरोध में उसे कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकवादियों के द्वारा घेरने की उतनी आवश्यकता नहीं रही । फिर भी चूँकि चीन ने पाकिस्तान के साथ गोटी फिट कर रखी है तो पाकिस्तान को खुद से दूर न होने देने की कूटनीति अमरीका की मज़बूरी है । साथ ही अफगानिस्तान में अपने उलझाव को निबटाने के लिए यह नमाज़ पाकिस्तान के गले डालने के लिए भी पाकिस्तान से प्रेम प्रदर्शन ज़रूरी है । सो अमरीका पाकिस्तान को नाराज़ नहीं करना चाहता इसीलिए उसे आर्थिक सहायता भी दे रहा है । कहा भी गया है -
बसे बुराई जासु तन, ताही को सनमान ।
भलो भलो कहि छोड़िए, खोटे ग्रह जप-दान ॥


अब भारत एक बड़ा बाज़ार हो गया है । आसान कमाई का आसान ज़रिया । सो भारत से ऊपरी तौर पर हिमायत की बातें करके उसे अपना सहयोगी बनाये रखना चाहता है । भारत पाकिस्तान का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता इसलिए अमरीका की थोड़ी सी ही सही, दिखावटी ही सही, हिमायत से विगलित होकर उससे लिपट जाता है और उसे अपनी कूटनीतिक सफलता बता कर अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनता है । अमरीका अफगानिस्तान की शांति और स्थिरता के लिए भारत की महत्वपूर्ण भूमिका की बात कर उसे अपने साथ रखने की बात करता है । यदि यहाँ का नेतृत्व कमजोर, मूर्ख और अदूरदर्शी हुआ, जिसको कि असंभव नहीं माना जा सकता, तो कहीं अमरीका भारत को अफगानिस्तान में फँसा कर खिसक न ले ।

वैसे अमरीका समझता है कि वह भारत को पाकिस्तान की तरह अपने हितों के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता इसलिए वह भारत को केवल कमाई का ज़रिया बना कर रखना चाहता है । पाकिस्तान के खिलाफ दिखावटी बातें करके भारत से अपने आर्थिक हित साधते रहना चाहता है । यदि भारत कभी उसके शिकंजे से निकलना चाहेगा तो उसको डराने के लिए वह पाकिस्तान रूपी कुत्ते का पट्टा पकड़े रखना चाहता है । अब चूँकि पाकिस्तान कसाब के जिंदा पकड़े जाने से नंगा हो गया है और उस पर आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही करने का दबाव बढ़ने लग गया है । इस दबाव को कम के लिए लगता है कि अमरीका ने हेडली का अविष्कार किया है जिससे २६/११ के मामले में पाकिस्तान पर कार्यवाही करने का दबाव हट कर सारा फोकस हेडली और एफ.बी.आई. पर हो जाये । पाकिस्तान को बचाते हुए भारत को भी संतुष्ट करने का इससे बढ़िया तरीका और क्या हो सकता है ।

पता नहीं, भारत सरकार वास्तव में उल्लू बन रही है या हेडली की आड़ में अपनी अक्षमता को छुपा रही है । पर इससे हमारी और आपकी सोच में दम और समानता सिद्ध हो जाती है । साँप भी नहीं मरेगा और लाठी भी टूट जायेगी ।

२०-१२-२००९

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Jhootha Sach

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